अड्डा In-depth: उत्तराखंड में बच्चों में कोरोना संक्रमण: बच्चों को कोरोना हो जाए तो पैरेंट्स घर पर कैसे करें इलाज व देखभाल, केन्द्र की गाइडलाइन

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देहरादून/दिल्ली: वैसे तो बच्चोें में कोरोना की तीसरी लहर में संक्रमण बढ़ने की चेतावनी दी गई है लेकिन उत्तराखंड में दूसरी लहर में ही कोरोना संक्रमण बढ़ता दिखाई दे रहा है। अब ये तीसरी लहर का ख़तरनाक संकेत तो नहीं दे रहा? हालाँकि अभी एक्सपर्ट्स ने इस पर कुछ नहीं कहा है लेकिन राज्य में बच्चोें और किशोरों में संक्रमण बढ़ रहा है जो गंभीर चिन्ता पैदा कर रहा है। स्टेट कंट्रोल रूम कोविड19 वेबसाइट के आँकड़ों के अनुसार पिछले डेढ़ महीने के दौरान 9 साल तक के 3020 बच्चे कोरोना पॉजीटिव मिले हैं। चिन्ता का सबब ये है कि छोटे बच्चों में संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 1 से 15 मई के बीच 9 साल तक के 1700 बच्चों में कोविड संक्रमण पाया गया है। पिछले साल मार्च में कोरोना की एंट्री के बाद से अब तक 5,151 बच्चे कोविड संक्रमित हो चुके हैं।
साफ है राज्य सरकार, स्वास्थ्य महकमे के साथ साथ पैरेंट्स के लिए भी सँभलने का वक़्त है क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर ने जो कहर मचाया है उससे बच्चे भी अछूते नहीं रहे हैं। यही वजह है कि अब भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जरूरी टिप्स देते हुए कहा है कि बच्चोें में कोविड संक्रमण के अधिकतर मामलों में घर पर रहकर ही इलाज किया जा सकता है। हेल्थ मिनिस्ट्री ने बच्चोें में कोविड लक्षण या कोविड पॉजीटिव होने पर घर पर देखभाल की ये गाइडलाइन जारी की है:-
हेल्थ मिनिस्ट्री के अनुसार, “कोरोना पॉजीटिव अधिकतर बच्चे बिना लक्षण वाले यानी asymptomatic या बेहद कम हल्के लक्षण वाले यानी mildly symptomatic होते हैं।”


बिना लक्षण वाले यानी asymptomatic बच्चों की देखभाल ऐसे करें:

  • बिना लक्षण वाले कोविड पॉजीटिव बच्चोें की देखभाल घर पर संभव है। ऐसे बच्चोें की पहचान फ़ैमिली मेंबर्स की कोविड जांच पॉजीटिव आने के बाद हो पाती है, जब सबकी जांच की जाती है।
  • ऐसे बच्चोें में संक्रमण के कुछ दिन गले की खराश, नाक बहना, ब्रीथिंग प्रोब्लम के बिना ही खाँसी हो सकती है. कई बार पेट ख़राबी की शिकायत भी हो सकती है।
  • ऐसे बच्चोें को घर में आइसोलेट कर सिम्टम के आधार पर ट्रीटमेंट दिया जाता है। बुखार आए तो पेरासिटामोल डॉक्टर की सलाह पर ही दिया जा सकता है।
  • ऑक्सीमीटर की मदद से ऑक्सीजन लेवल पर निगरानी बनाए रखना बेहद जरूरी है। ऑक्सीजन लेवल 94 फ़ीसदी से नीचे जाता है तो तुरंत डॉक्टर को फोन लगाकर सलाह लें।
  • जन्म से हार्ट की बीमारी, लंबे समय से फेफड़ों संबंधी रोग, मोटापा या किसी अंग के काम न करने जैसी बीमारियों वाले बच्चोें की भी सावधानीपूर्वक डॉक्टरी सलाह के साथ घर पर देखभाल संभव है।

हल्के लक्षण वाले यानी mildly symptomatic बच्चों की घर पर देखभाल ऐसे करें पैरेंट्स:-

  • बच्चे को घर पर अलग कमरे में आइसोलेट करें ताकि बाकी फैमिली मेंबर्स संक्रमण से बचें रहें।
  • बुखार को लेकर पेरासिटामोल 10-15mg/kg/dose यानी बच्चे के वज़न से 10-15 mg को गुणा कर पेरासिटामोल दें। डोज 4 से 6 घंटे में रिपीट कर सकते हैं। फ़ैमिली बाल रोग विशेषज्ञ के संपर्क में जरूर रहें।
  • ऐसे बच्चों की बॉडी में पानी की कमी न होने दें। नारियल पानी, दाल का पानी, जूस और आसानी से पचने वाला हेल्दी फूड दें।
  • ऐसे बच्चे के लक्षण बिगड़ते दिखें या ऑक्सीजन लेवल घटने लगे तो तुरंत ऑक्सीजन युक्त बेड फ़ैसिलिटी वाले हॉस्पिटल पहुचें।

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