धामी सरकार के गले की फांस बना भर्ती भ्रष्टाचार, बॉबी पंवार ने उठाया नीयत पर सवाल: बेरोजगार युवा सड़कों, कांग्रेस धरने पर, हरदा का हल्लाबोल

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ADDA In Depth: याद कीजिए मुख्यमंत्री बनते ही पुष्कर सिंह धामी ने सबसे पहले सालों से रिक्त पड़े सरकारी पदों को भरने क एलान कर बेरोजगारी युवाओं में बड़ी उम्मीदों का संचार करने का काम किया। फिर उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा का पेपर लीक कांड खुला तो हाकम सिंह रावत और सादिक मूसा जैसे नकल माफिया सलाखों के पीछे धकेल दिए गए। जबकि आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष एस राजू रिजाइन कर भाग खड़े हुए और सचिव संतोष बडोनी की घेराबंदी भी हो गई। धामी ने लगे हाथ हरदा सरकार में हुई VPDO भर्ती भ्रष्टाचार पर भी एक्शन कर दिखाया और UKSSSC के पहले अध्यक्ष रिटायर्ड पीसीसीएफ डॉ आरबीएस रावत एंड कंपनी को भी जेल में ढेल दिया गया।

जब एसटीएफ ताबड़तोड़ एक्शन कर रही थी तो विपक्ष और बेरोजगारी युवाओं को सीबीआई जांच की मांग भी धीमी पड़ने लगी थी। राजनीतिक पंडित भी बाइस बैटल के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा सीएम पुष्कर सिंह को “धाकड़ धामी” कहे जाने को सार्थक मानने लगे। लेकिन उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा इसी साल आठ जनवरी को कराई पटवारी लेखपाल भर्ती परीक्षा का पर्चा भी जब लीक हो गया तो बेरोजगारी युवाओं को न केवल झटका लगा बल्कि भर्ती आयोगों को लेकर भरोसा भी डगमगा गया। विपक्षी कांग्रेस आक्रामक होकर हल्लाबोल करने लगी सो अलग! पूर्व सीएम हरीश रावत तो चिंदी चिंदी कर धामी सरकार के कपड़े फाड़ने लगे हैं। रावत धामी राज में संस्थाओं की चमक फीकी होने का मुद्दा बनाकर गांधी पार्क में बैठकर मुख्यमंत्री पुष्कर को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।

जाहिर है कहां तो UKSSSC स्नातक स्तरीय पेपर लीक पर एसटीएफ गठित कर युवाओं में बन रही थी धामी की धाकड़ मुख्यमंत्री वाली इमेज और अब तमाम दावों के बावजूद पटवारी लेखपाल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो जाना बताता है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मीडिया में आकर कहते जरूर रहे कि एक्शन ऐसा ले रहे कि नकल माफिया सपने में भी पेपर लीक कराने की नहीं सोचेगा। शायद आठ जनवरी को हुई पटवारी लेखपाल भर्ती परीक्षा का पर्चा लीक कर नकल माफिया ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दावों को खुली चुनौती दे डाली है।

आपको बखूबी याद होगा कि सीएम धामी लगातार सख्त नकल विरोधी कानून लाने का दम भरते रहे लेकिन जाने क्या मजबूरियां रहीं कि बीती कैबिनेट तक में इसके प्रस्ताव पर मुहर नहीं लग पाई। यही वजह है कि विरोधी पूछ रहे कि जब अपने “खास” लोगों के हितों की रक्षा को अध्यादेश का रास्ता अपनाया जा सकता है तब बेरोजगार युवाओं के सपनों से हो रही खिलवाड़ पर एक्शन को नकल विरोधी कानून के लिए अध्यादेश क्यों नहीं लाया जा सकता था? ये भी कि जब नकल माफिया किस कदर भर्ती एजेंसियां और आयोगों में घुसपैठ किए हुए है तब स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा पेपर लीक कांड के तुरंत बाद सख्त कानून को लेकर कदम क्यों नहीं बढ़ाए गए? क्या पटवारी लेखपाल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने का सरकार इंतजार कर रही थी?

सवाल है कि क्या सीएम धामी के सलाहकारों ने इस सभी तथ्यों पर गंभीरता न दिखाते हुए युवाओं के सपनों से जुड़े मुद्दे को भी टहलाते रहने का रास्ता चुना? कम से कम बेरोजगार युवाओं की आवाज बने उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार तो यही मानते हैं कि सरकार की नीयत ठीक नहीं वरना आयोगों में जमी नकल माफिया की संजीव चतुर्वेदी जैसे तमाम मछलियों के साथ साथ प्रदेश में उनके हमदर्द घड़ियालों को दबोचकर हमेशा हमेशा के लिए पारदर्शी भर्ती परीक्षा का माहौल बनाया जा सकता है।

जाहिर है पटवारी लेखपाल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने से UKPSC का फेल्योर सामने आ गया है और कांग्रेस ने इस मुद्दे को लपककर धामी सरकार के खिलाफ हल्लाबोल शुरू कर दिया है। मंगलवार को उत्तराखंड में जगह जगह कांग्रेस ने धामी सरकार को घेरने का काम किया।

उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में धांधली को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने धामी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए प्रदेशभर में धरना प्रदर्शन कर मोर्चा खोला।

जहां कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने नैनीताल में हल्लाबोल किया तो नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने हल्द्वानी से भर्ती भ्रष्टाचार को लेकर धामी सरकार पर निशाना साधा। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल नेकदेहरादून के गांधी पार्क में धरना दे सरकार को कटघरे में घड़ा किया। जबकि पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह और उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी खटीमा और हरिद्वार में युवाओं के साथ प्रदर्शन में शामिल हुए। इस दौरान कांग्रेस नेताओं ने भर्ती घपलों की हाईकोर्ट की देखरेख में सीबीआई से जांच कराने की मांग की।

इस दौरान प्रदेश कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि एक के बाद एक कई भर्तियों में जिस तरह के गड़बड़ी के मामले सामने आए हैं, उससे राज्य के बेरोजगार युवा खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की इसी नाकामी को एक्सपोज करने के लिए कांग्रेस ने प्रदेशभर में जगह-जगह प्रदर्शन कर विरोध दर्ज कराया है।

यहां पढ़िए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किस अंदाज में धामी सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है।

राज्य की व्यवस्था संचालन हेतु गठित #संस्थाएं राज्य के मुकुट पर रत्न की भांति है, इनकी चमक राज्य के भाल को आलोकित करती है। आज कुछ रत्न चटक गए हैं। जैसे अधिनस्थ सेवा चयन आयोग, राज्य सहकारी बैंक, पंतनगर विश्वविद्यालय, आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय, तराई बीज निगम, संस्था के रूप में विधान सभा सचिवालय। अभी-अभी राज्य का लोक सेवा आयोग रूपी बड़ा रत्न चटका है। कुछ और भी चटकने की ओर बढ़ रहे हैं। राज्य विद्युत निगम, जल निगम, परिवहन निगम, गढ़वाल मंडल विकास निगम, वन निगम, मुक्त विश्वविद्यालय, दून विश्वविद्यालय, तकनीकी विश्वविद्यालय आदि-आदि लंबी फेहरिस्त है। मैं इस सबके लिए व्यक्तिगत तौर पर मुख्यमंत्री को उत्तरदायी नहीं मानता हूं। वह तो अभी-अभी आए हैं। मगर वह एक ऐसे तंत्र का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसे उपरोक्त संस्थाओं में ऐसे लोगों को नियुक्त करने के लिए बाध्य किया जा रहा है, जिनकी क्षमता का आकलन उनकी वैचारिक सोच या प्रतिबद्धता हैं। पब्लिक सर्विस कमीशन में महत्वपूर्ण स्थानों व संवेदनशील कार्यों हेतु कुछ विशेष प्रकार के लोगों को नियुक्त किया गया है। पंतनगर विश्वविद्यालय में तो अब शोध कार्य भी वैचारिक सोच के आधार पर दिए जा रहे हैं।
छोटा राज्य है हम कहां जाकर रूकेंगे! मुझे सुर्खियों का शौक नहीं है।मैं तो उस समय भी सुर्खियां बटोरता था, जब मुझ पर चोट करने वाले लोग पैदा भी नहीं हुए थे। आज कल देहरादून में राज्य के भविष्य लड़के-लड़कियों के मुंह जहां-तहां पुकार लगा रहे हैं। उन्हें अपने भविष्य, मां-बाप के लिए हुए कर्ज, भाई-बहनों के उत्तरदायित्व की चिंता है। उनके मुरझाये चेहरे बिना कहे सब कुछ कह रहे हैं। उन्हें थोड़ी सहानुभूति दिखा दो तो रो पड़ रहे हैं। मेरे शब्द उनके मनोभावों को व्यक्त करने में असमर्थ हैं। राज्य लुटेरों के संगठित गिरोह में फंसा हुआ है। पक्ष-विपक्ष, दोनों को इन नौजवानों की चित्कार सुननी चाहिए। पक्ष अपना कार्य करे, हमें अपना कर्तव्य पूरा करना चाहिए। आज का उपवास/धरना आदि एक कदम मात्र है और आगे भी पूरी शक्ति से लड़ें।
22 जनवरी, 2023 को फिर संघर्ष जोड़ना पड़ेगा। आगे इस संबंध में कांग्रेस पार्टी को इस संबंध में निर्णय लेना है।

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