सिसोदिया और सत्येंद्र के इस्तीफे नैतिकता की मिसाल या सियासी मजबूरी का सबब?

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डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और मंत्री सत्येंद्र जैन ने दिए इस्तीफे
सीएम अरविंद केजरीवाल ने तुरंत स्वीकार किए दोनों के इस्तीफे

दिल्ली: दिल्ली की आबकारी नीति को लेकर घोटाले के आरोप झेल रहे दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के बाद सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिल पाने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसी के साथ आठ महीनों से जेल में बंद केजरीवाल के मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी इस्तीफा दे दिया है।

सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के इस्तीफे सीएम अरविंद केजरीवाल न तुरंत स्वीकार भी कर लिए हैं जिसे आम आदमी पार्टी नैतिक मूल्यों का तकाजा बता रही तो वहीं बीजेपी इसे घोटाले के आरोपों में घिरने के बाद मजबूरी में उठाया गया कदम करार दे रही है। सवाल है कि क्या ये इस्तीफे नैतिकता है या मजबूरी में उठाया गया कदम?

दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति को लेकर घोटाले के आरोप में सीबीआई मनीष सिसोदिया की अरेस्ट कर चुकी है और मंगलवार को जब उनको गिरफ्तारी से सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिल सकी, तब ऐसा लगता है कि आम आदमी पार्टी ने रणनीति और तेवर बदले हैं।

दरअसल आम आदमी पार्टी अब तक साफ सुथरी छवि का हवाला देकर परंपरागत राजनीतिक दलों को टारगेट करती रही और खुद सीएम केजरीवाल का वो बयान वायरल हो रहा है जिसमें वे कहते सुने जा सकते हैं कि संसद में जब तक लालू,मुलायम, राजा जैसे नेता बैठे हैं तब तक यह संसद उनके हित की बात कैसे सोच सकती है।

इसी साफ सुथरी छवि के चक्कर में केजरीवाल की मजबूरी थी कि जब विपक्ष लगातार उनके दल और नेताओं को ही भ्रष्टाचार के मुद्दे पर निशाने पर लिया जाने लगा तो सीएम केजरीवाल पर अपने इन कैबिनेट सहयोगियों के इस्तीफे लेने का दबाव बन रहा था। इससे केजरीवाल और AAP की छवि पर लगातार चोट हो रही थी। इसके बाद मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत ना मिलने के बाद अब हाई कोर्ट में लड़ाई लंबी खींचने के आसार बनने के बाद केजरीवाल को रणनीति बदलनी पड़ी है।

अब अगर मामला लंबा खींचने के आसार हैं तब दिल्ली सरकार की खास योजनाओं का भार मनीष सिसोदिया के पास ही था। दिल्ली सरकार के 33 में से 18 विभाग मनीष सिसोदिया ही संभाल रहे थे जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली,पानी और पीडब्ल्यूडी जैसे अहम विभाग शामिल थे। ऐसे में अगर सिसोदिया लंबे समय तक जेल में रहे तो इन विभागों की अहम योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।

यही वजह है कि केजरीवाल ने एक साथ कई मोर्चों पर चुनौतियों से निपटने का दांव चलते हुए मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के इस्तीफे तुरंत स्वीकार कर लिए हैं। इससे जहां सरकारी योजनाओं को प्रभावित होने से बचाने की रणनीति है वहीं सियासी अखाड़े में हो रहे हमलों को भी भौथरा करने की कोशिश की है।

हालांकि बीजेपी डिप्टी सीएम पद से मनीष सिसोदिया और मंत्री सत्येंद्र जैन के इस्तीफों के पीछे राजनीतिक दबाव को अहम वजह करार दे रही है। बीजेपी ने आरोप लगाया कि सीएम केजरीवाल ने नौ महीने से जेल में बंद थे और जिनको जमानत तक नहीं मिल रही लेकिन बावजूद इसके केजरीवाल ने इस्तीफा नहीं लिया। बीजेपी ने आरोप लगाया कि आज जब मनीष सिसोदिया भी भ्रष्टाचार के आरोपों में घिर गए और अब जब पानी सिर से ऊपर गुजर गया तो उनको हटाना पड़ा।


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