सवाल तो बनता है: न सूबे में एक अदद स्वास्थ्य मंत्री न मंत्रियों को ज़िम्मेदारी, IAS-IPS पर भरोसा टीएसआर-1 को भी ले डूबा!

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देहरादून (पवन लालचंद):

पिछली सरकारों में भट्ट, बेहड़, निशंक से लेकर नेगी तक स्वास्थ्य मंत्री बनते आए अब क्यों नहीं?
कोरोना की दूसरी लहर पहाड़ प्रदेश पर कहर बनकर टूट रही फिर भी एक अदद स्वास्थ्य मंत्री तक नहीं?
कहां हैं तीरथ रावत के मंत्री! क्यों अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र और कार्यकर्ताओं तक सिमटे ?
आईएएस-आईपीएस, जो किसी का फोन उठाना अपनी तौहीन समझते क्यों संकट में सिर्फ उन पर ही भरोसा?
क्या मंत्रियों की मॉनिटरिंग कमेटी नहीं बननी चाहिए जो ख़ामियों पर अफ़सरशाही के पेंच भी कसे?
स्वास्थ्य मंत्री खुद सीएम, एग्जीक्यूटिव पॉवर्स अफसरों तक सिमटी और महामारी में मंत्री बैठे घर?

बुधवार को सीएम तीरथ रावत ने एक दर्जन से ज्यादा आईएएस-आईपीएस नोडल अधिकारी बना दिए, जो कोविड जंग में ऑक्सीजन क़िल्लत, बेड, आईसीयू और रेमडेसिविर जैसी दवाओं के लिए दर-दर भटकते लोगों की तकलीफ कम करने कराने को पसीना बहाएँगे. एकबारगी तो लगता है अच्छी बात है चलो कोरोना महामारी से जंग में जितने हाथ लगें उतनी मुश्किलें कम होंगी. लेकिन जब सरकार के रोज नित नए दावे फेल साबित हो रहे तब ये सवाल उठता है कि आखिर सिर्फ अफ़सरशाही के भरोसे ही तीरथ इस महामारी से जंग जीत पाएंगे?
या फिर उनको भी टीएसआर-1 की तर्ज पर नकारा नौकरशाही और स्वार्थी सलाहकारों के जंजाल ने घेर लिया है?
क्यों तीरथ कैबिनेट के मंत्री हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं?
क्या महामारी में एक स्वास्थ्य मंत्री बनाने से सीएम तीरथ की कोविड के खिलाफ जंग हो जाएगी कमजोर?
क्या मौजूदा कैबिनेट में एक भी मंत्री इस काबिल नहीं जो स्वास्थ्य विभाग संभाल सके?
पहली चुनी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री अजय भट्ट, तिवारी सरकार में तिलकराज बेहड़, फिर रमेश पोखरियाल निशंक और आखिर में सुरेन्द्र सिंह नेगी, अब त्रिवेंद्र से तीरथ तक किसी पर भरोसा क्यों नहीं?

क्या नोडल अफसरों पर मॉनिटरिंग को मंत्रियों की टीम या कमेटी नहीं होनी चाहिए. आखिर लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनप्रतिनिधियों की ज़िम्मेदारी क्या है और उनसे बेहतर जनता के तकलीफ़ों को जान सकता है. या फिर ये समझा जाए कि जैसे त्रिवेंद्र सिंह रावत यानी टीएसआर-1 अफ़सरशाही की घेराबंदी का शिकार होकर रह गए थे कुछ कुछ उसी तर्ज पर सीएम तीरथ सिंह रावत यानी टीएसआर-2 भी दाएं-बाएँ के स्वार्थी सलाहकारों और नौकरशाही के जाल में ट्रैप होते जा रहे हैं! आखिर इसी नौकरशाही का कमाल है कि हर शाम बड़े-बड़े ऐलान और अगले दिन सब धड़ाम!

अगर ऐसा नहीं तो ये अमर उजाला की खबर आँखें क्यो नहीं खोल दे रही ‘सरकार’ की! डीएम देहरादून ऐलान करके देहरादून में ऑक्सीजन सप्लायर्स के नंबर जारी करते हैं लेकिन लोगों की चौतरफा शिकायतें आती हैं कि फ़ोन लग नहीं रहे लग रहे तो उठ नहीं रहे. अब इसी की अमर उजाला ने पड़ताल कर परतें उधेड़ दी हैं. पढ़ लीजिए सीएम सर!

उत्तराखंड में कोरोना : देहरादून में लोगों के काम नहीं आए ऑक्सीजन एजेंसियों के नंबर

जरूरतमंद मरीजों की मदद के लिए देहरादून जिला प्रशासन की ओर से जारी किए गए 10 ऑक्सीजन एजेंसियों और सप्लायरों के नंबरों से कोई राहत नहीं मिल रही है। कई जरूरतमंद पूरे दिन नंबर मिलाते रहे, लेकिन फोन हरदम व्यस्त मिला।

पाठकों की शिकायत के बाद अमर उजाला की टीम ने इसकी पड़ताल की और दिए गए नंबरों पर संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन एक-दो को छोड़कर किसी से बात नहीं हो पाई

वहीं, एक नंबर उपयोग में न होने का संदेश भी आया। 

दिन में स्विच ऑफ, शाम को बिजी

अंबिका गैस, कांवली रोड के नंबर पर दोपहर करीब दो बजे कॉल की तो स्विच ऑफ आया। शाम करीब 6:30 बजे दो बार कॉल की। दोनों बार नंबर व्यस्त मिला। शाम करीब सात बजे दूसरे नंबर से भी दोबारा फोन किया गया, लेकिन नंबर व्यस्त मिला। 

नंबर व्यस्त, नहीं हो पाई बात

राजीव गैस, सुभाष रोड के फोन नंबर पर दोपहर में तीन बार कॉल किया, लेकिन हर बार नंबर व्यस्त होने से बात नहीं हो पाई। शाम करीब 6:30 बजे फिर कॉल की गई, लेकिन इस बार भी नंबर व्यस्त होने के चलते बात नहीं हो सकी। करीब 7:30 बजे भी फोन व्यस्त रहा। 

हर बार व्यस्त मिला फोन

मॉर्डन गैस, प्रिंस चौक के फोन नंबर का भी यह हाल रहा। दोपहर करीब 1:10 बजे कॉल की गई तो नंबर व्यस्त रहा। इसके चलते बात नहीं हो सकी। शाम करीब 6:15 बजे भी दो बार फोन किया तब भी नंबर व्यस्त होने के चलते बात नहीं हो पाई। 7:15 बजे भी फोन व्यस्त आया। 

डीएस नेगी का नंबर गलत

डीएस नेगी ऋषिकेश के दिए गए नंबर पर कई बार कॉल की गई, लेकिन हर बार नंबर उपयोग में न होने की जानकारी दी गई। दिन में और शाम को कई बार इस नंबर को मिलाया गया, लेकिन हर बार यही मैसेज मिला। 
स्विच ऑफ रहा बालाजी गैस का नंबर

बालाजी गैस का नंबर भी स्विच ऑफ आया। दिन में और शाम को कई बार दिए गए नंबर पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन एक बार भी घंटी नहीं गई। हर बार नेटवर्क से फोन स्विच ऑफ होने की जानकारी मिली। 

नंबर बिजी होने से नहीं हुआ संपर्क

लक्खीबाग और सेलाकुई के भारत ऑक्सीजन में दोपहर और शाम को कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन नंबर हर बार बिजी आया। कई बार प्रयास करने के बाद भी बातचीत नहीं हो पाई। दो अलग-अलग नंबरों से फोन किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। 

कई बार कोशिश के बाद भी नहीं हुआ संपर्क

निरंजनपुर स्थित गुप्ता गैस सर्विस के नंबर पर पूरे दिन में कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली। नंबर लगातार बिजी आता रहा। इसके कारण बात नहीं हो पाई।

आक्सीजन है पर कल ही मिलेगी

डीएम गैस सर्विस श्यामपुर ऋषिकेश से शाम को संपर्क हुआ। गैस एजेंसी संचालक गुरदेव सिंह ने बताया कि गैस पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, लेकिन बुधवार सुबह ही मिल सकेगी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि फ्लो मीटर भी उपलब्ध नहीं है। हालांकि जरूरत के अनुसार गैस मिल जाएगी।  

जितनी जरूरत हो, उतने सिलिंडर ले जाएं

कोहली गैस सर्विस के संचालक विजय कोहली ने पहली बार में ही फोन रिसीव कर लिया। उन्होंने कहा कि हमारे पास गैस पर्याप्त उपलब्ध है, लेकिन कंटेनर नहीं हैं। आपको डॉक्टर ने जितना बोला है, उतनी गैस मिल जाएगी। आप सिलिंडर लेकर कल सुबह सीधे लालतप्पड़ फैक्ट्री पर आ जाइए।


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