दिल्ली: इंटरनेशनल साइंस जर्नल लैंसेट के एक्सपर्ट्स ने कोरोना जंग को लेकर मोदी सरकार को कई जरूरी सुझाव दिए हैं। ब्रिटिश जर्नल में एक्सपर्ट्स ने भारत में कोरोना की दूसरी लहर से पैदा हुए हालात और तीसरी लहर के आसन्न संकट को लेकर केन्द्र और राज्यों की सरकारों को आठ सुझाव दिए हैं। लैंसेट एक्सपर्ट्स ने मोदी सरकार को सलाह दी है कि वैक्सीन खरीदने और फिर इसके वितरण को लेकर सेंट्रलाइज्ड सिस्टम यानी केन्द्रीय प्रणाली गठित करने की दरकार है। एक्सपर्ट्स ने राज्यों को दवा खरीद के लिए अपने हाल पर छोड़ देने की बजाय तत्काल केन्द्रीय प्रणाली अमल में लाने की सिफ़ारिश की है।
लैंसेट जर्नल के एक्सपर्ट्स के आठ सुझाव
एंटी कोविड वैक्सीन खरीद-वितरण की केन्द्रीय प्रणाली लागू की जाए। केन्द्र के पास राज्यों का ज़रूरतों का डेटा तैयार है उसी अनुरूप काम किया जाए।
अस्पताल, ऑक्सीजन और दवा क़ीमतों में ट्रांसपेरेंसी बेहद जरूरी। एक्सपर्ट्स ने कहा है कि नेशनल लेवल पर क़ीमतों का निर्धारण हो जाने से आम जनता पर इलाज का बोझ कम होगा और इलाज में महंगाई की लूट नहीं मचेगी। इससे हेल्थ बीमा योजनाओं के कवर से इलाज होगा और इससे आम आदमी को राहत मिलेगी।
एक्सपर्ट्स ने लिखा है कि केन्द्रीय प्रणाली से उचित मूल्य निर्धारित होंगे और वैक्सीन की डिमांड और सप्लाई में असमानता खत्म होने से राज्यों का केन्द्र के साथ झगड़ा काफी हद तक कम हो जाएगा।
लैंसेट एक्सपर्ट्स ने सलाह दी है कि असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों को नक़द राशि दी जाए। वैक्सीन केन्द्र खुद ख़रीदे राज्यों पर छोड़ने की बजाय और एंटी कोविड वैक्सीन मुफ्त दी जाए, कम्यूनिटी प्रयास हों तथा मेडिकल व पैरा मेडिकल लास्ट ईयर छात्रों को कोरोना जंग में साथ लेना चाहिए। दरअसल लैंसेट सिटीज़न पैनल मे विश्व के 21 एक्सपर्ट शामिल हैं।
ग़ौरतलब है कि मई के शुरू में लैंसेट जर्नल के सम्पादकीय में मोदी सरकार पर दूसरी लहर को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए तीखा हमला बोला गया था। यहाँ तक कहा गया था कि मोदी सरकार महामारी को क़ाबू करने की बजाय ट्विटर पर विरोधी ट्विट हटवाने में ज्यादा पसीना बहा रही है।
वैसे वैक्सीन खरीद और वितरण को लेकर केन्द्रीय प्रणाली बनाने जैसे सुझाव कई और मंचों से भी आ चुके हैं क्योंकि कई राज्य सरकारों ने ग्लोबल टेंडर निकाले हैं लेकिन सफलता मिलती नहीं दिख रही है। उत्तराखंड सरकार ने भी वैक्सीन खरीद के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला हुआ है, देखना है कितना जल्दी विदेश से दवा पहुँचती है।