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चारधाम यात्रा: तीरथ सरकार जाएगी सुप्रीम कोर्ट, 34 पेज के HC स्टे ऑर्डर का अध्ययन, विधिक रायशुमारी कर होगा फैसला, सरकार को आस शीर्ष अदालत से मिलेगी राहत

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देहरादून: कोविड कर्फ़्यू को लेकर सोमवार देर शाम जारी हुई SOP में सरकार ने 25 जून के कैबिनेट फैसले के अनुसार एक जुलाई से सीमित चारधाम यात्रा का ऐलान किया है। इसका मतलब साफ है कि तीरथ सरकार हाईकोर्ट के स्टे ऑर्डर से राहत पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रही है। दरअसल हाईकोर्ट ने सरकार को कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए चारों धामों से दर्शन-पूजा लाइव स्ट्रीमिंग करने को कहा है। हालाँकि सरकार ने इसके कुछ तीर्थ-पुरोहितों द्वारा विरोध करने तथा शास्त्रसम्मत न होने जैसे तर्क दिए जो अदालत के गले नहीं उतर पाए।

अब सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले हाईकोर्ट के 34 पेज के जजमेंट के हर पहलू का ठीक से अध्ययन और विधिक विचार-विमर्श कर कदम उठाना चाह रही है। सरकार के सूत्रों ने खुलासा किया है कि जल्दबाज़ी में कोई भी निर्णय सरकार की छवि को और झटका देने वाला साबित होगा लिहाजा विधिक रायशुमारी कर शीर्ष अदालत की तरफ रुख किया जाएगा।सरकार के सूत्रों ने कहा है कि अभी आज और कल, दो दिन का वक्त है और केस की मैरिट पर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लग सकती है।

कल शाम शासकीय प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा भी कि जजमेंट कॉपी के अध्ययन के बाद सरकार जरूरत महसूस करेगी तो हाईकोर्ट ऑर्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी। सुबोध उनियाल ने कहा कि सरकार ने कोविड के मद्देनज़र पुख़्ता इंतजाम किए थे कि किसी भी क़ीमत पर चारों धामों में यात्रा के दौरान भीड़भाड़ जैसे हालात न बनने दिए जाएं।

शासकीय प्रवक्ता ने कहा कि ऐसी व्यवस्था बनाई गई थी कि चारों धामों में 750 यात्री ही दर्शन कर सकते थे, इस तरह संख्या सीमित की थी। उन्होंने कहा कि एक-एक सीनियर ऑफ़िसर जिला प्रशासन और देवस्थानम बोर्ड के साथ यात्रा इंतज़ामात को लेकर समन्वय के लिए चारों धामों में तैनात करने का फैसला भी लिया गया था। लेकिन अब हाईकोर्ट का जो जजमेंट आया है उसका अध्ययन कर सरकार आगे बढ़ेगी और जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट भी जाएगी।

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