देहरादून: 2022 की चुनावी बैटल में सबसे ज्यादा सियासी साख बीजेपी की दांव पर है। पांच में से चार राज्यों में उसकी सरकार है और उत्तर भारत की राजनीति में कमल कुनबे के लिए उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड बेहद अहम राज्य हैं। यूपी में दोबारा सत्ता में वापसी का बड़ा सहारा राममंदिर को समझा जा रहा। इसे और मजबूत करने के लिए मोदी-शाह और संघ कमंडल के साथ मंडल की राजनीतिक गोलबंदी में भी जुटे हैं। पिछले हफ्ते का मोदी मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल से इसे बखूबी समझा जा सकता है।
यूपी में मंदिर राजनीतिक से सियासी महाभारत जीतने का सपना देख रही बीजेपी उत्तराखंड में मंदिर के मोर्चे पर बुरी तरह फंस गयी है।
त्रिवेंद्र राज में करीब दो साल पहले विधानसभा से बिल पास कराकर देवस्थानम बोर्ड बनाया गया था। लेकिन तीर्थ-पुरोहित और हक-हकूकधारी चारों धामों सहित 51 मंदिरों को लेकर बनाए गए देवस्थानम बोर्ड का लगातार विरोध कर रहे हैं। त्रिवेंद्र के बाद आए तीरथ पुनर्विचार का वादा कर 115 दिन के अपने कार्यकाल में चुप्पी साधे रहे। काफी समय से आंदोलित तीर्थ-पुरोहित तो यहां तक कहने लगे हैं कि मंदिरों को देवस्थानम बोर्ड के तहत लेकर प्रदेश में बीजेपी सरकार ने सनातन परम्परा को चोट पहुँचाई है और इसीलिए उसके दो-दो मुख्यमंत्रियों को कुर्सी तक गंवानी पड़ी है।
दो दिन पहले तीर्थ-पुरोहितों के पास मंत्री सतपाल महाराज के मैसेंजर बनकर पहुँचे बीजेपी नेता पंकज भट्ट को गुस्साई भीड़ ने दौड़ा दिया और उनको जान बचाकर भागना पड़ा। देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ तीर्थ-पुरोहितों के उग्र होते विरोध-प्रदर्शन से घिरती धामी सरकार रास्ता निकाल पाने में अब तक नाकाम रही है। तीर्थ पुरोहित देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ में तीर्थ पुरोहित सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
दिल्ली आलाकमान से मंथन कर आज सीएम पुष्कर सिंह धामी देवस्थानम बोर्ड की एक अहम बैठक कर रहे हैं जिसमें मुख्यमंत्री के अलावा पर्यटन और धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज और बोर्ड से जुड़े तीर्थ पुरोहित शामिल होंगे। देवस्थानम बोर्ड की इस बैठक में चारधाम यात्रा और तीर्थ पुरोहितों की समस्याओं को लेकर चर्चा होगी।
दूसरी ओर अपनी मांगों को लेकर सकारात्मक संदेश ना मिलने पर तीर्थ पुरोहित उग्र आंदोलन करने का ऐलान कर चुके हैं।दरअसल, अस्तित्व में आने के बाद से ही देवस्थानम बोर्ड का तीर्थ -पुरोहित विरोध कर रहे हैं। पंडा पुरोहित समाज देवस्थानम बोर्ड को अपने हक-हकूकों के साथ कुठाराघात करार दे रहा है। पंडा पुरोहित समाज देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर त्रिवेंद्र सरकार में सड़कों पर उतर कर अपना विरोध दर्ज करा चुका है तो तीरथ सरकार में भी अपनी इस मांग को सामने रख चुका है। तीरथ सिंह रावत के देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार करने के बयान के बाद तीर्थ पुरोहितों में थोड़ा संतोष तो दिखा था लेकिन सरकार की हिला हवाली को समझने में तीर्थ पुरोहितों ने ज्यादा समय ना लेते हुए फिर से मोर्चा खोल दिया था।
मौजूदा समय में पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री है और इस समय तीर्थ पुरोहितों का विरोध प्रदर्शन लगातार उग्र होता जा रहा है। 2022 के चुनाव से पहले देवस्थानम बोर्ड का मुद्दा गरमाया हुआ है। बोर्ड को भंग ना करने की सूरत में तीर्थ पुरोहित 2022 में बीजेपी सरकार को ऊखीमठ में पंकज भट्ट के साथ जो हुआ वैसा ही सबक सिखाने की चेतावनी दे रहे हैं। सवाल है कि आखिर मंदिर मुद्दे पर बीजेपी का यूपी और उत्तराखंड में अलग-अलग स्टैंड चुनावी बिसात पर 2022 में उसके लिए कितना मददगार साबित होगा?