- छह दिन पहले कई अफसरों के किए थे तबादले, छह दिन बाद भी मुख्यमंत्री के आदेश को धता बता रहे कुछ ब्यूरोक्रेट्स
- दिल्ली की दौड़ से ब्यूरोक्रेसी को नियंत्रित करने की मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की कोशिशों पर फेर रहे ब्यूरोक्रेट्स पानी
देहरादून (पंकज कुशवाल): तमाम कयासों को दरकिनार कर मुख्यमंत्री बने पुष्कर सिंह धामी अपने महीने भर से कम समय के कार्यकाल में अब तक राज्य की राजनीति पर हावी हुई ब्यूरोक्रेसी पर लगाम लगाने के लिए चर्चाओं में है। 2017 में भाजपा सरकार बनने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनते ही सरकार पर अफसरशाही हावी होने के आरोप लगने शुरू हो गये थे। त्रिवेंद्र राज के आने वाले सालों में यह साफ साफ दिखने भी लगा कि अफसरशाही राज्य सरकार पर पूरी तरह से हावी हो चुकी है। उस दौरान कई बार विधायक, मंत्री तक मुख्यमंत्री के सामने अफसरों के रवैये की शिकायत लेकर जा चुके थे लेकिन तब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अफसरों को माननीयों के सम्मान संबंधी पत्र जारी करवाकर इस मामले में इतिश्री कर ली। सचिवालय के चतुर्थ तल पर पॉवरफुल IAS कपल की नियुक्ति हो या फिर मुख्य सचिव के रूप में ओम प्रकाश की ताजपोशी, ब्यूरोक्रेसी और सरकार( मंत्री-बीजेपी विधायक शिकायत करते दिखते रहे) में तलवार लगातार खिंची दिखी।
इस दौरान माना यह जा रहा था कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ‘अपने’ अफसरों को अपनी मनमर्ज़ी से कामकाज करने की खुली छूट दे रखी थी। इस दौरान शायद ही सत्ताधारी दल के विधायकों और मंत्रियों के कहने या सिफारिश या फिर शिकायत पर किसी अफसर का तबादला या नियुक्ति हुई हो। एकाध जिलों से अपवादस्वरूप तबादले हुए भी तो उन अधिकारियों को शासन में मजबूत ज़िम्मेदारी से नवाज़ा गया।
महीने भर पहले तीरथ सिंह रावत को हटाकर युवा पुष्कर सिंह धामी को जब भाजपा ने साढ़े चार साल के शासनकाल में तीसरा मुख्यमंत्री बनाया और धामी ने आते ही मुख्य सचिव ओम प्रकाश को हटाकर उन्हें सीनियर अफसरों के ओल्ड एज होम माने जाने वाले राजस्व बोर्ड में भेज दिया तो उसे ब्यूरोक्रेसी को कड़ा संदेश माना जाने लगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सत्ता का केंद्र माने जाने वाले सचिवालय के चतुर्थ तल से भी पावरपुल IAS कपल को हटाकर अपने पसंदीदा अफसरों को तैनात कर दिया। आने वाले दिनों में कई महत्वपूर्ण विभागों में बड़ा फेरबदल कर त्रिवेंद्र-तीरथ राज में पॉवर कोरिडोर के केन्द्र स्थल पर क़ाबिज़ रहे कई ब्यूरोक्रेट्स की कुर्सियां हिला दी। लेकिन, हफ्ते भर से इस बात की तस्दीक भी होने लगी है कि कई रसूखदार आईएएस की दिल्ली दरबार तक बड़ी पहुंच के चलते सीएम पुष्कर सिंह धामी की ब्यूरोक्रेसी पर लगाम लगाने की कोशिशों पर पानी फिरना तय हो गया है।
पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़े स्तर पर अफसरों के विभागों में बदलाव किया। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को मुख्यमंत्री कार्यालय और कार्मिक विभाग से विदा करने से लेकर ब्यूरोक्रेसी के पॉवर कपल, हरिद्वार में सालों से डेरा जमाए IAS दीपक रावत इस फेरबदल में अहम चेहरे रहे। लेकिन छह दिन बीतने के बाद भी इन तीन IAS अधिकारियों ने तबादला आदेशों के अनुसार चार्ज नहीं लिया है। दीपक रावत को जिलाधिकारी हरिद्वार से हटाकर हरिद्वार कुंभ आयोजन के लिए मेलाधिकारी का चार्ज दिया गया था। कोरोना के साए में हुए कुंभ मेले के बाद फर्जी कोविड जांच भ्रष्टाचार पर हंगामा बरपा तो कुंभ कार्यों में भी अनियमितताओं की शिकायतें सामने आई और ऐसे में माना जा रहा था कि दीपक रावत की सालों बाद हरिद्वार से शासन में वापसी हो सकती है।
पुष्कर सिंह धामी ने दीपक रावत को ऊर्जा विभाग के तहत आने वाले निगमों का प्रबंध निदेशक बनाया था लेकिन छह दिन हो चुके हैं पर अब तक उन्होंने चार्ज गंवारा नहीं समझा है। मोदी सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री के बेहद करीबी IAS दीपक रावत CM धामी द्वारा दी गई ज़िम्मेदारी से खुश नहीं बताए जा रहे हैं और दिल्ली से इस पूरे आदेश को बदलवाने में जुटे हैं। तो वहीं झा दंपति को भी अपनी नई जिम्मेदारियों से खुश नहीं माना जा रहा है। दिल्ली में केंद्र सरकार में डेप्यूटेशन में रहे झा दंपति के केंद्र सरकार के बड़े नेताओं के साथ अच्छे संबंध है। ऐसे में उनकी दिल्ली दौड़ के भी यहीं मायने निकाले जा रहे हैं कि वह भी जल्द पुष्कर सिंह धामी के लिए तबादला सूची में संशोधन का आदेश लेकर आ सकते हैं।
वहीं, एक ताजा अपडेट यह भी है कि दीपक रावत की ऊर्जा निगमों के प्रबंध निदेशक के पद पर तैनाती न लेने के बाद नये नवेले ऊर्जा मंत्री डाॅ. हरक सिंह रावत ने एक तोड़ और निकाला है। उन्होंने राज्य सरकार से ऊर्जा के तहत आने वाले यूपीसीएल, यूजेवीएनएल और पिटकुल में प्रबंध निदेशक की कुर्सी पर आईएएस की बजाए विभाग के सीनियर अफसर को बिठाने की सिफारिश की है। इसे दीपक रावत का दबाव भी माना जा रहा है। माना जा रहा है कि दिल्ली से मिले इस सुझाव को अमल में लाने के लिए डाॅ. हरक सिंह रावत की ओर से राज्य सरकार को यह प्रस्ताव दिया जा रहा है जिससे हरिद्वार में सालों से जमे दीपक रावत के तबादला संशोधन की वजह मिल सके और मंत्री हरक सिंह रावत भी मनपसंद अधिकारी की एमडी पद पर ताजपोशी कर ले जाएं।
पिछले छह दिनों से मचे इस बवाल से एक बात तो साफ हो गई है कि बेलगाम ब्यूरोक्रेसी पर नकेल कसने के लिए पुष्कर सिंह धामी को खूब पसीना बहाना पड़ेगा। या फिर अपने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों की तरह ब्यूरोक्रेसी का इकबाल मंजूर कर उनके हिसाब से सरकार चलानी होगी। युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से राज्य के विधायकों को भी काफी उम्मीदें हैं, ब्यूरोक्रेसी के सामने समय-समय पर अपमानित महसूस कर रहे विधायकों को उम्मीद है कि पुष्कर सिंह धामी ब्यूरोक्रेसी की नकेल कसकर जनप्रतिनिधियों को ब्यूरोक्रेसी के सामने दोबारा ‘सम्मानित माननीय’ होने का रुतबा वापस दिलवाएंगे। लेकिन ताजा घटनाक्रम को देखते हुए यह बेहद मुश्किल लगने लगा है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)