नैनीताल: उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार अपने ही बनाए जाल में उलझकर रह गई है। चारधाम यात्रा को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सुविधाएँ और कोविड संक्रमण रोकने की तैयारियाँ पूछी तो सरकार जवाब दे नहीं पाई थी। कोर्ट ने मजबूरन लोगों के स्वास्थ्य की चिन्ता करते हुए चारधाम यात्रा पर रोक लगाई तो सरकार वापस हाईकोर्ट को जवाब देने की बजाय सुप्रीम कोर्ट पहुँच गई।
इससे सरकार को कुछ दिन की राजनीतिक राहत जरूर मिल गई लेकिन अब चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय कारोबारियों का चौतरफा दबाव बढ़ने लगा तो धामी सरकार के गले-गले आ गई है। लिहाजा धामी सरकार ने फिर पैंतरा चला हाईकोर्ट पहुंचकर चारधाम यात्रा खोलने की गुहार लगाने का ताकि मैसेज जाए कि सरकार यात्रा शुरू कराने को बहुत भाग-दौड़ कर रही है। लेकिन धामी सरकार का यह पैंतरा हाईकोर्ट में ज़रा देर भी टिक नहीं पाया।
दरअसल धामी सरकार ने मंगलवार को हाईकोर्ट से चारधाम यात्रा खोलने का अनुरोध किया है। इस पर हाईकोर्ट ने साफ-साफ कह दिया कि अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है और देश की शीर्ष अदालत के आदेश से पहले हाईकोर्ट चारधाम यात्रा पर लगी रोक नहीं हटा सकती है।
जैसा ऊपर हमने कहा कि नैनीताल हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा रूट के जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं की किल्लत, कोरोना संक्रमण रोकने के लिए पर्याप्त तैयारियां नहीं कर पाने से लेकर डॉक्टरों के अभाव व जिला प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर चारधाम यात्रा पर 28 जून को रोक लगाई थी। सरकार ने HC आदेश को चुनौती देते हुए 6 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SPL) दायर की थी।
मंगलवार को महाधिवक्ता ने चीफ़ जस्टिस आरएस चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की बेंच के समक्ष पेश होकर मौखिक तौर पर चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटाने का अनुरोध किया। सरकार के महाधिवक्ता ने कहा कि चारधाम यात्रा से हजारों लोगों की रोजी रोटी जुड़ी हुई है लिहाज़ा इस पर लगी रोक हटनी चाहिए।इस पर हाईकोर्ट ने साफ कह दिया है कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है तब हाईकोर्ट रोक हटाने पर विचार कैसे कर सकती है।
ज़ाहिर है चारधाम यात्रा पर हाईकोर्ट की सख़्ती से बचकर सुप्रीम कोर्ट भागी धामी सरकार को कुछ दिनों की मोहलत ज़रूर मिल गई थी लेकिन शीर्ष अदालत में मामला लिस्टिंग कराने में ही पसीने छुड़ा बैठी सरकार अब घिर गई है। जहाँ तीर्थ पुरोहित और स्थानीय कारोबारी सरकार से अपनी रोज़ी रोटी के मसले पर जवाब माँग रहे थे वहीं विपक्षी दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इसे सरकारी लापरवाही का परिणाम मानकर मुख्यमंत्री धामी और उनकी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे।