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कब तक सफ़ेद हाथी बना रहेगा गोल्डन कार्ड! उत्तराखंड अधिकारी कार्मिक शिक्षक महासंघ ने गोल्डन कार्ड जीओ की होली जलाकर सरकार को चेताया, ख़ामियाँ जल्द दूर नहीं की गई तो प्रदेशभर में होंगे धरने-प्रदर्शन

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देहरादून: आज 27 सितम्बर को सुबह 11 बजे उत्तराखण्ड अधिकारी-कार्मिक-शिक्षक महासंघ के बैनर तले कार्यकारी अध्यक्ष दीपक जोशी की उपस्थिति में उत्तराखंड अधिकारी कार्मिक शिक्षक महासंघ एवं जनपद देहरादून के संयोजक मण्डल के नेतृत्व में देहरादून स्थित दून हास्पिटल चौराहे के पास गोल्डन कार्ड की खामियों को लेकर गोल्डन कार्ड के सम्बन्ध में जारी शासनादेश की होली जलायी गयी। इसमें देहरादून के उत्तराखण्ड अधिकारी-कार्मिक-शिक्षक महासंघ के संयोजक मण्डल के सदस्यों आशुतोष सेमवाल, अनिल बलूनी, मुकेश बहुगुणा, शंकर पाठक, शेखर पन्त, अनिता नेगी, जगमोहन नेगी, वीरेंद्र सिंह गुसाई, विक्रम रावत, केदार फर्सवाण, अनिल कुमार नौटियाल, मीनाक्षी उपाध्याय, ललित मोहन रावत, चन्द्र शेखर पुरोहित, पंकज नैथानी, दीप चन्द्र पन्त, प्रवीण कुमार के अतिरिक्त जनपद पौडी, चमोली, घनशाली व रुद्रप्रयाग से आये क्रान्तिकारी साथी सीताराम पोखरियाल, नरेश भट्ट, अनिल बडौनी, स्वरूप जोशी, सहित संगठन के कई सदस्य और अधिकारी, कर्मचारी-शिक्षक एवं पेंशनर्स सम्मिलित थे।

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संगठन पदाघिकारियों द्वारा आरोप लगया गया कि गोल्डन कार्ड में विगत कई माह से राज्य के विभिन्न विभागों में कायर्रत कार्मिकों तथा पेंशनर्स के वेतन से प्रतिमाह लगातार कटौती जारी है किन्तु उक्त कटौती के सापेक्ष सरकारी विभागों में कार्यरत अधिकारियों- कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के पारिवारिक सदस्यों को पैनल में सम्मिलित अस्पतालों द्वारा उपचार देने से मना किया जा रहा है। पैनल में सम्मिलित निजी चिकित्सालयों का कहना है कि सरकार द्वारा भुगतान एस0जी0एच0एस0 की भुगतान की जो दरें रखी गयी है वह सी0जी0एच0एस0 की दरों से बहुत कम है जिससे कार्मिकों के पारिवारिक सदस्य जो गम्भीर बीमारी से ग्रसित हैं, वेतन से कई महीनों से प्रतिमाह कटौती के बावजूद निजी चिकित्सालयों में उपचार पाने से वंचित हैं। इस कारण उन्हें एवं उनके पारिवारिक सदस्यों को अत्यधिक पैंसे खर्च कर निजी चिकित्सालयों में उपचार कराना पड़ रहा है।

इस सम्बन्ध में संगठन पदाधिकारी एवं सदस्यों द्वारा पूर्व में स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत से गोल्डन कार्ड की खामियों को शीघ्र दूर किये जाने के सम्बन्ध में मुलाकात भी की थी। उन्होंने जल्द ही इस प्रकरण पर कार्रवाई का आश्वासन भी दिया था किन्तु संगठन पदाधिकारियों एवं सदस्यों का कहना है कि 24 सितम्बर को आहूत कैबिनेट बैठक में इस प्रकरण को सरकार ने सम्मिलित न कर उनके साथ धोखा किया है। इसी से आक्रोशित होकर उत्तराखण्ड अधिकारी-कार्मिक-शिक्षक महासंघ द्वारा मजबूरन यह कदम उठाना पड़ा ताकि सरकार की कानों तक आवाज पहुॅच सके। संगठन पदाधिकारियों का कहना है कि यदि सरकार गोल्डन कार्ड की खामियों का तत्काल निराकरण नहीं करती है तो उन्हें मजबूरन प्रदेश भर में धरना-प्रदर्शन एवं बृहद आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

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