देहरादून: देश में उत्तराखंड,यूपी सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का प्रचार चल रहा है लेकिन कोरोना महामारी के चलते चुनाव आयोग ने रैलियों और भीड़भाड़ जुटाने पर रोक लगा रखी है। लिहाजा पार्टियों का फोकस डिजिटल प्रचार पर है। उत्तराखंड में भी भाजपा हो या कांग्रेस डिजिटल प्रचार का जमकर सहारा लिया जा रहा और नेता वर्चुअल रैली कर इंटरनेट और फोन कॉल्स, मैसेज, व्हाट्सअप के जरिए वोटर्स तक पहुँचने की कोशिश कर रहे। लेकिन असलियत यह है कि न वोटर्स ही पार्टियों-प्रत्याशियों से कनेक्ट होते दिख रहे और न ही दलों तक जनता के वास्तविक मूड का फील आ रहा।
अब मौसम भी राजनीतिक दलों के लिए मुसीबत का सबब बनेहा। मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में 2 से 5 फरवरी तक बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है। मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार 2 फरवरी को गढ़वाल मंडल के उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग और कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ और बागेश्वर जिले में हल्की बारिश और बर्फबारी हो सकती है। वहीं मैदानी क्षेत्रों में कोहरा छाया रह सकता है।
मौसम विभाग ने 3 फरवरी को गढ़वाल मंडल के पर्वतीय जिलों और कुमाऊं के पिथौरागढ़, बागेश्वर, नैनीताल और चंपावत में बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई है। जबकि अल्मोड़ा और यूएसनगर जिले में भी कई इलाक़ों में हल्की बारिश होने के आसार हैं। वहीं 4 और 5 फरवरी को भी मौसम बारिश और बर्फ़बारी के लिए अनुकूल बना रह सकता है।
जाहिर है अगर मौसम विभाग का पूर्वानुमान सटीक रहा और कुमाऊं से लेकर गढ़वाल के पर्वतीय हिस्सों में बारिश और बर्फ़बारी का दौर अगले तीन-चार दिन बना रहा तो डोर टू डोर कैपेन की रफ्तार भी धीमी हो जाएगी। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं जब राजनीतिक दल उम्मीद लगा रहे हैं कि चुनाव आयोग संभवतया एक फरवरी यानी कल से प्रचार अभियान में तेजी और गरमी लाने को कुछ और ढील दे सकता है। अब अगर मौसम ही ‘बेईमान’ हो चला तो चुनाव प्रचार के बहाने गली-मोहल्लों से लेकर नुक्कड़ तक पॉलिटिकल अलाव जलाने की जो तैयारी नेता और दल किए बैठे हैं उसको भी जाड़ा मार सकता है।