देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुआई में भाजपा सरकार ने 23 मार्च को पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। हफ्तेभर बाद 29 मार्च को धामी ने मंत्रियों के विभागों का बँटवारा कर दिया। मुख्यमंत्री धामी द्वारा मंत्रियों को विभाग बँटवारे के बाद एक बात तो दीवार पर लिखी इबारत की तरह सौ टका साफ पढ़ी जा सकती है, वो है कि सीएम धामी और मंत्री सुबोध में ‘ऑल इज नॉट वेल’!
वरना जब पुरानी सरकार के तमाम विभाग जैसे टूरिज्म, संस्कृति, धर्मस्व और लोक निर्माण विभाग सतपाल महाराज रिटेन कर गए और साथ में पंचायती राज जैसे
कई और भारी-भरकम विभाग भी पा गए। यही हाल डॉ धन सिंह रावत का रहा जो हेल्थ, उच्च शिक्षा और सहकारिता जैसे विभाग रिटेन करते हुए विद्यालयी शिक्षा जैसे नए विभाग भी पा गए। तब सुबोध उनियाल, जिनको कृ्षि और उद्यान विभाग में परफ़ॉर्मर मंत्री माना गया और प्रधानमंत्री मोदी के हाथों कृषि कर्मण जैसे अवार्ड मिलना इसका सबूत रहे, उनसे ये विभाग लेकर वन मंत्रालय थमा दिया वो भी बिना पर्यावरण के।
पिछली सरकार में हरक सिंह रावत पॉवर के साथ वन और पर्यावरण सहित श्रम और कौशल विकास विभाग संभाल रहे थे। केन्द्र में भी वन और पर्यावरण विभाग को संयुक्त तौर पर ही अलॉट किया जाता रहा है। लेकिन सीएम धामी ने सुबोध को वन देकर पर्यावरण अपने पास रख लिया। पर्यावरण ऐसा अहम विभाग है जहां से उद्योगों और यहाँ तक कि खनन और स्टोन क्रेशर को लेकर एनओसी की दरकार रहती है।
पहली बार मंत्री बने सौरभ बहुगुणा के हिस्से भी कौशल विकास और सेवायोजन आया लेकिन बिना श्रम विभाग के वे इस विभाग में क्या परफ़ॉर्मेंस दिखाएँगे यह मुख़्यमंत्री और यंगेस्ट मंत्री जानें।
बहरहाल, पहली बार मंत्री बने प्रेमचंद अग्रवाल को वित्त के साथ शहरी विकास और आवास देकर मुख्यमंत्री ने खूब भरोसा जताया है। कृषि मंत्री बनाकर गणेश जोशी को भी धामी ने वज़नदार बनाने की कोशिश की है। सतपाल महाराज और धनदा को भारी भरकम विभागों के जरिए मुख्यमंत्री ने खूब खुश करने की कोशिश की है।
वैसे मुख्यमंत्री ने आबकारी, खनन, औद्योगिक विकास और पॉवर जैसे मलाईदार विभाग अपने पास ही रखें हैं। जाहिर है लॉजिक यही कि आगे तीन मंत्रीपद भरेंगे तो उनको बांटने पड़ेंगे।