देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार को चारधाम यात्रा में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के आगे कमजोर पड़ते सरकारी इंतज़ामों के लिए एक जरूरी सलाह दी है। हरीश रावत ने कहा है कि इसे सरकार की आलोचना न समझा जाए बल्कि जो फीडबैक जमीनी स्तर से मिला है उसको सरकार तक पहुँचाकर उनके काम में हाथ बढ़ा रहे हैं। हरदा ने लगे हाथ उत्तराखंडवासियों से भी इस मौके पर ‘अतिथि देवो भव:’ की भावना दिखाने की अपील की है।
हरदा ने कहा है कि चारधाम यात्रा को लेकर ज़बरदस्त आकर्षण दिख रहा है लेकिन उसके मुकाबले सरकारी तैयारियों की कमजोरी झलक रही है। इसलिए यह सभी राज्यवासियों के लिए आगे बढ़कर टूरिस्टों का वेलकम कर सरकार का हाथ बँटाने का वक्त है। रावत ने कहा कि इस हालात में अगर हममें से किसी ने चारधाम यात्रा की बुकिंग भी कराई है तो उसे सरेंडर कर दें ताकि बाहर से आ रहे श्रद्धालुओं को मौका मिल सके। सरकार स्थानीय लोगो की सरेंडर होने वाली बुकिंग्स को आगे एडजेस्ट कर दे।
रावत ने धामी सरकार को सलाह दी है कि यदि केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा हो रही है तो कुछ यात्रियों को सरकारी ख़र्चे पर मार्ग में ठहराकर वहाँ के निकटस्थ तीर्थ स्थलों के दर्शन कराने चाहिए। रावत ने कहा कि मेडिकल और खानपान सुविधाओं पर नजर रखने की दरकार है क्योंकि लोगों ने फोन करके बताया है कि एक-एक पराँठे के लिए 150-160 रुपए वसूले जा रहे हैं। रावत ने कहा कि कुछ लोग तो यह दे सकते हैं लेकिन कुछ श्रद्धालु अपनी छोटी-छोटी बचतों के आधार पर हमारे तीर्थ स्थलों के दर्शन करने आ रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हर 100 यात्रियों पर दवा और एसडीआरएफ की सुविधा के लिए हेल्प डेस्क बनाने चाहिए। रावत ने राज्यवासियोें से अपील की कि यह हम सबकी सामूहिक चुनौती है कि यात्रियों को जितना हो सके सुविधा पहुँचाएँ। रावत ने कहा हम सरकार की आलोचना नहीं बल्कि जमीनी फीडबैक देकर उनके काम में हाथ बँटाने का काम कर रहे हैं।
पढ़िए हूबहू क्या कहा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चारधाम यात्रा व्यवस्था को लेकर
चारधाम_यात्रा के प्रति जबरदस्त आकर्षण। तैयारियों की कमजोरी। इस समय सारे राज्य वासियों को “अतिथि देवो भव:” की भावना से पर्यटकों और श्रद्धालुओं के आगमन का स्वागत करना चाहिए और हम लोगों को चारधाम यात्रा को केवल बाहर से आने वाले आगंतुकों के लिए छोड़ देना चाहिए। यदि हमारे उत्तराखंड वासियों ने अपनी बुकिंग भी करवाई हो, तो वो सरेंडर कर दें और मैं, राज्य सरकार से भी आग्रह करूंगा कि उनकी उस बुकिंग को आने वाले दिनों के लिए, जब थोड़ा दबाव कम हो जाएगा उस समय उसको मान्य करें।
हरिद्वार से जिस राज्य के हर हिस्से में हर 50-60 किलोमीटर पर कोई न कोई महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल हो, हमको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो बाहर के यात्रीगण आ रहे हैं और यदि #केदारधाम, बद्रीधाम, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में संख्या ज्यादा हो रही है तो कुछ लोगों को सरकारी खर्चे पर मार्ग में ठहरा कर, वहां के निकटस्थ तीर्थ स्थल के दर्शन करवाने चाइये और उसका खर्चा सरकार स्वयं वहन करें। मेडिकल सुविधाओं के साथ खान-पान की सुविधाओं पर भी नजर रखनी पड़ेगी। मुझे कुछ लोगों ने फोन करके बताया कि 150-160 रुपये का एक पराठा चार्ज हो रहा है, कुछ लोग दे सकते हैं और कुछ लोग ऐसे भी तो हैं जो आस्था के कारण अपनी छोटी-मोटी बचतों के आधार पर हमारे तीर्थ स्थानों पर आ रहे हैं। हमारे तीर्थ स्थलों की प्रति उनकी मान्यता है, तो हमें इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए कि उन सब लोगों को खाने-पीने, रहने की सुविधा उचित मूल्य पर मिल जाए। दवा और SDRF की सुविधा तो हर 100 यात्रियों के बीच में हमें एक हेल्प डेस्क बनाना चाहिए, जहां पर यात्री को हर तरीके की सुविधा और मार्गदर्शन मिल सके। यह अब केवल सरकार की चुनौती नहीं रह गई है। मैं, राज्य के लोगों से अपील करूंगा कि हम सबकी सामूहिक चुनौती है। यदि हम कुछ कह रहे हैं तो हमारे कहे को राज्य सरकार की आलोचना न समझा जाए। बल्कि कुछ बातें जो हम लोगों तक आ रही हैं, उसको हम राज्य सरकार तक पहुंचा कर उनके काम में हाथ बंटाने के भाव से इसको ले रहे हैं। “जय हिंद, जय केदार, जय बद्री”।।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत