देहरादून/हल्द्वानी: नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार पर आदि कैलास यात्रा को लेकर गंभीर आरोप लगाया है। नेता प्रतिपक्ष आर्य ने एक बयान में कहा है कि 1981 से कुमाऊँ मण्डल विकास निगम (KMVN) द्वारा भारत-चीन सीमा में स्थित विश्व प्रसिद्ध कैलास मानसरोवर यात्रा संचालित की जा रही है। जबकि इस यात्रा के दौरान के गैप के दिनों का सदुपयोग कर निगम को आर्थिक तौर सशक्त बनाने के लिए KMVN ने 1994 से भारतीय सीमा में आदि कैलास यात्रा शुरु की थी। आर्य ने कहा कि शुरुआती प्रतिकूल हालात में यात्रा संचालित कर निगम ने यात्रा मार्ग में लगभग एक दर्जन टीआरसी तथा कैंप आदि स्थापित किए थे। प्रतिकूल मौसम के बावजूद यहां दर्जनों निगम कर्मियों ने तैनाती के क्रम में सेवाएं दी। क्षेत्र के ग्रामीणों को भी संबंधित रोजगार से जोड़ा गया। यह यात्रा आज निगम की विशिष्ट पहचान बन गई हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बीते वर्षो तक यात्रा का बड़ा भू-भाग पैदल ही कवर किया जाता था लेकिन अब समूचे यात्रा मार्ग में सड़क पहुंच गई है। पर्यटन प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में कार्य कर रहे निगम के लिए प्रतिकूल हालात में यात्रा संचालन का प्रतिफल अब और बेहतर ढंग मिलना था। लेकिन निगम ने बिना किसी निविदा के आगामी आठ वर्षों के लिए निजी कम्पनी डिवाइन मंत्रा एजेन्सी से इसका करार कर लिया। आर्य ने कहा कि बिना टेंडर कर करार करने वाली कम्पनी अब दशकों से बनाई गई निगम की सुविधाओं का सदुपयोग तो करेगी, लेकिन यात्रा स्वयं संचालित कर मुनाफ़ा भी अकेले पाएगी। 56000 रुपये के टिकट में सरकार अथवा निगम के हिस्से महज 12400 रुपये की धनराशि आएगी। आर्य ने कहा कि अब यदि पर्यटन के क्षेत्र में दशकों से काबिज होने, बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टाफ, सरकारी सिस्टम का सपोर्ट होने के बावजूद निगम कुछ वर्षों पूर्व स्थापित निजी कंपनी से कमतर है तो यह सरकारी सिस्टम पर सवालिया निशान है?
यशपाल आर्य ने कहा कि इस समय जहां पर्यटन गतिविधियों के लिए KMVN को और मज़बूत करने की ज़रूरत थी, निगम से ये ज़िम्मेदारी हटाने से कर्मचारियों और निगम के भविष्य पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है। नेता प्रतिपक्ष ने सवाल किया है कि तीन दशकों से यात्रा सुचारू रूप से संचालित होने के बावजूद आख़िर ऐसा क्या कारण है की सरकार ने बिना निविदा के निजी हाथों में ये काम सौंप दिया? उन्होने सवाल उठाया कि अगर सरकार को किसी निजी फ़र्म को कार्य देना ही था तो खुली निविदाएँ क्यों नहीं आमंत्रित की गयी?
इससे स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार और सरकार की मिलीभगत ज़ाहिर होती है। आर्य ने कहा कि सरकार पुनर्विचार करे और निगम को पुनः ज़िम्मेदारी देते हुए पूरे प्रकरण की जाँच कराई जाए।