Maharashtra Shivsena Political Crisis: शिवसेना में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हुई बगावत के बाद महाराष्ट्र में शुरू हुआ सियासी संकट किसी बॉलीवुड की फ़िल्म और OTT प्लेटफॉर्म सरीखा ड्रामा लिए नजर आ रहा है। कभी शिंदे गुट का पलड़ा भारी नज़र आता है तो कभी उद्धव मजबूत नज़र आते हैं। शिंदे की अगुवाई वाला बागी गुट असम की राजधानी गुवाहाटी में जमा हुआ है और उद्धव ठाकरे के करीबी और शिवसेना सांसद संजय राउत गुवाहाटी से चौपाटी आना ही पड़ेगा और लाखों शिवसैनिकों के एक इशारे का इंतज़ार करने की धमकी दे रहे हैं।
इधर विधानसभा में स्पीकर का पद रिक्त है और डिप्टी स्पीकर से संभावित खतरे की आशंका के चलते शिंदे गुट उन पर अविश्वास जता रहा है। उधर महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी कोरोना संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती हो गए थे। इस बीच ख़बर आई है कि उद्धव ठाकरे भले बागी विधायकों को फिर से अपने पाले में लाने में कामयाब नहीं हो पा रहे हों लेकिन अब मोर्चा उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे ने संभाल लिया है।
कहा जा रहा है कि नाराजगी की बर्फ पिघलाने के लिए उद्धव की पत्नी रश्मि ठाकरे ने कई बागी विधायकों की पत्नियों से फ़ोन पर बातचीत की है। रश्मि ठाकरे बागी विधायकों की पत्नियों से बातचीत का रास्ता खोलकर हालात संभालने को मैदान में उतर चुकी हैं। जबकि उद्धव ठाकरे भी व्हाट्सअप और मैसेज के जरिए कुछ बागी विधायकों को मनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं।
उद्धव कैम्प की कोशिश है कि अगर कुछेक विधायक भी मुंबई लौटने के बाद अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में एकनाथ शिंदे का साथ छोड़कर फिर से शिवसेना में खड़े हो जाते हैं तो शिवसेना में दो तिहाई टूट रोकी जा सकेगी और डिप्टी स्पीकर के माध्यम से शिंदे और उनके हार्ड लाइनर MLAs की सदस्यता रद्द कराने का प्रयास किया जा सकेगा।
ज़ाहिर है शिवसेना में बगावत के बाद शुरू हुए सबसे बड़े सियासी ड्रामे वाली इस ‘महाराष्ट्र फाइल्स’ में अभी कई ट्वीस्ट एंड टर्न आने बाकी हैं। शायद यही वजह है कि भाजपा भले सूरत से लेकर गुवाहाटी तक पर्दे के पीछे से शिंदे गुट की आवभगत में जुटी हो लेकिन महा विकास अगाड़ी (MVA) बहुमत खो चुकी है यह कहने की जल्दबाज़ी वह कतई नहीं दिखा रही। आखिर एक बार शरद पवार के भतीजे अजित पवार के ब्लफ में उलझ तड़के चार बजे देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की शपथ कराकर हाथ झुलसा कर देख चुकी है।