दृष्टिकोण (पंकज कुशवाल): अग्निवीर योजना को जब लाया गया तो अपने प्रचार माध्यम ने सरकार ने जोर-शोर से यह बताने की कोशिश की कि यह इजराइल जैसे देशों की योजना जैसी है जहां हर युवा को सेना में काम करने का मौका मिलेगा। हालांकि, यह कभी सच नहीं था। यह स्थाई सैनिकों की जगह चार साल के लिए सैनिक तैनात करने की योजना थी। लेकिन, कुप्रचार ने लोगों के दिमाग में ऐसा घर किया कि लोग उन लोगों को भी गरियाने लगे जो इस अग्निवीर योजना का विरोध कर रहे थे।
याद है आपको वह फेसबुक स्टेट्स जिसमें लिखा होता था कि वर्दी चाहे एक दिन के लिए मिले वह वर्दी ही है। देश की सेना के लिए यह सम्मान होना चाहिए क्योंकि देश की सेना ने अपना सर्वोच्च बलिदान देकर यह सम्मान कमाया है। लेकिन यहां सवाल सरकार की मंशा का था। भाजपा के तमाम नेताओं समेत फौज की भर्ती की तैयारियों के लिए कैंप चलाने वाले नये नये भाजपाई बने कर्नल अजय कोठियाल ने भी इस अग्निवीर योजना की खूबियां गिनाई।
कर्नल साहब आपका विवेक आपको झकझोरता नहीं था जब आप अग्निवीर जैसी योजना की तारीफ करते थे। इस योजना के तहत जितने साल युवा फौज में रहेगा उससे ज्यादा समय तो वह आपके यूथ फाउंडेशन के प्रशिक्षण कैंपों में पसीना बहाता था तैयारी के लिए।
माननीय कर्नल अजय कोठियाल जी समेत उन तमाम नेताओं, युवाओं से अब सवाल पूछना चाहूंगा कि जब हम लोगों अग्निवीर को युवाओं के साथ छलावा बता रहे थे तो तब तुम सब लोग अग्निवीर के पक्ष में खड़े होकर बेसिर पैर के तर्क दे रहे थे। कह रहे थे कि इस योजना से हर युवा को सेना का हिस्सा बनने का मौका मिलेगा।हालांकि ऐसा कभी नहीं था। यह पहले स्थायी सेना की जगह चार साल की नौकरी वाली योजना थी लिहाजा भर्ती उसी तरह से होनी थी। लेकिन, तुमने तो फेसबुक, व्हाट्सएप पर मिले ज्ञान के दम पर ‘मोदी जी ने किया है तो कुछ सोच कर ही किया होगा’ का नारा आत्मसात कर लिया था। अग्निवीर भर्ती में गये युवाओं के वीडियो देखे आप लोगों ने, आप बिल्कुल सहम नहीं गये कि किस तरह का घिनौना मजाक किया गया है युवाओं के साथ।
अब जाकर राज्य के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को लग रहा है कि अग्निवीर भर्ती के नाम पर युवाओं के साथ खेला हो गया।
भर्ती में युवा बता रहे हैं कि दौड़ में भाग ले रहे 10 युवाओं में से औसतन 2 युवाओं का चयन होता था यानी एक बार में 300 युवाओं को दौड़ाया जाता था तो 60 युवाओं का चयन हो जाता था लेकिन अब अग्निवीर की इस पहली ही भर्ती में यह दौड़ में भाग ले रहे 100 युवाओं में से 3 युवाओं का ही चयन होता है यानी एक बार दौड़ रहे 300 युवाओं में से करीब 10 का।
तो हर किसी को सेवा करने का मौका मिलने का राग अलापने वाले मित्रों सिर्फ दौड़ में ही 50 युवाओं से यह अवसर छूट रहा है। इसके पीछे का कारण बताया जा रहा है कि पूर्व की भर्ती में दौड़ पहले 5 मिनट 40 सैकेंड की हुआ करती थी वह बिना किसी सूचना के 5 मिनट में खत्म कर दी जा रही है।
अग्निवीर योजना के खिलाफ पूरा देश सुलग रहा था तो उत्तराखंड के युवा, नेता, बुजुर्ग, अधेड़ इस योजना का जश्न मना रहे थे। हम गिने चुने लोग जो इस योजना को युवाओं के साथ छलावा बता रहे थे हमें खूब गरियाया जा रहा था।
सेना देश सेवा है लेकिन उत्तराखंड में युवाओं के लिए रोजगार का सबसे बड़ा जरिया भी। एक फौजी बनने का मतलब था कि घर परिवार के सपनों का पूरा होना। अति गरीबी से उसका मध्यमवर्गीय श्रेणी में शामिल होना। लेकिन, चार साल की भर्ती में क्या मिलेगा। खैर, वह भी तब जब भर्ती हो सकोगे। क्योंकि, फौज ने तो साफ कर दिया है जो चल रहा है वही चलेगा।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और सामयिक विषयों पर लगातार लिख रहे हैं। विचार निजी हैं।)