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आपके अनुसार हमारे शहरों और कस्बों की सबसे बड़ी शहरी चुनौती क्या है? उत्तराखंड को लेकर ट्विटर पोल में ये जवाब मिला

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Urban Uttarakhand and the challenge we face the most? उत्तराखंड में वजह चाहे पहाड़ों से पलायन हो या फिर यूपी, हरियाणा, दिल्ली और बिहार,राजस्थान जैसे राज्यों से लोगों का कामकाज, शिक्षा और रोजगार आदि को लेकर यहां आकर रहना हो, राज्य के शहरों और कस्बों पर आबादी का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। लेकिन इसके मुकाबले में शहरीकरण को लेकर जो ढांचागत नागरिक सुविधाएं बढ़नी चाहिए वह नहीं बढ़ पा रही हैं।

यह हाल सिर्फ देहरादून, हरिद्वार या रुद्रपुर और हल्द्वानी जैसे बड़े शहरों का ही नहीं है बल्कि ऋषिकेश, कोटद्वार, श्रीनगर से लेकर टिहरी, कर्णप्रयाग, मसूरी, नैनीताल,अल्मोड़ा या अन्य पर्वतीय जिलों के कस्बों का हाल भी यही है क्योंकि टूरिस्टों से लेकर पर्वतीय गांवों से हुए स्थानीय पलायन का असर इन कस्बों की आबादी में भारी इजाफे के रूप में दिखाई दे रहा है।

उत्तराखंड के शहरों और कस्बों में आम नागरिकों को अपने दैनंदिन जीवन में कौनसी समस्या सबसे ज्यादा परेशान कर रही इसे लेकर देहरादून स्थित एसडीसी फाउंडेशन ने एक ट्विटर पोल किया। हालांकि 177 जवाबों के साथ यह सर्वे पोल छोटा कहा जायेगा लेकिन शहरी उत्तराखंड की समस्याओं को लेकर एक दिशा सूचक जरूर है।

इस ट्विटर पोल में 41% लोगों का मानना था कि कचरा प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती है। जबकि 30% लोगों ने कहा कि पार्किंग और ट्रैफिक अगली सबसे बड़ी चुनौती है। शेष 29% लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट और सड़कों/गड्ढों की समस्या को लेकर लगभग समान रूप से विभाजित नजर आए।

SDC Foundation के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि हम सब इस बात से सहमत होंगे की भले ही 177 जवाबों के साथ ये सैंपल साइज काफी छोटा था, किन्तु इसके बावजूद हमें एक दिशा दिखती है कि अधिकांश लोगों का मानना है कि इस समय कचरा प्रबंधन Urban Uttarakhand के लिए नंबर वन चुनौती बन गया है। देहरादून, ऋषिकेश, उत्तरकाशी और कई अन्य शहरों और कस्बों में संवेदनशील कचरे की स्थिति को देखते हुए यह आश्चर्य की बात नहीं है।

नौटियाल ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि ये छोटे-छोटे प्रयास हमारी पॉलिटिकल लीडरशिप, सरकारों, नागरिकों और व्यवसायों को समाधान खोजने के लिए प्रेरित करेंगे। हम सभी लोग समस्याओं को जानते हैं और इन मुद्दों के बारे में लंबे समय से बात कर रहे हैं, अब समय आ गया है कि हम व्यावहारिक और रिजल्ट ओरिएंटेड समाधानों की दिशा में तीव्रता से काम करना शुरू करें।’

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