
DISTANCE AND ONLINE EDUCATION WILL BE CONSIDERED EQUAL TO REGULAR: देशभर में ऐसे छात्रों की बड़ी तादाद है जो जॉब या दूसरी वजहों से रेगुलर पढ़ाई ना कर डिस्टेंस या ऑनलाइन माध्यमों से विभिन्न विश्वविद्यालयों से किसी न किसी डिग्री कोर्सेज में दाखिला लेते हैं। लेकिन उनके साथ भेदभाव यह होता था कि उनकी डिग्री को रेगुलर कोर्सेज कर पारंपरिक डिग्री पाने वालों के समान महत्व और मान्यता नहीं मिलती थी जिसका नुकसान नौकरी पाने या किसी फॉर्म आदि का भरते छात्रों को उठाना पड़ जाता था।
अब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( University Grants Commission -UGC) ने कह दिया है कि मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों से डिस्टेंस और ऑनलाइन माध्यम से हासिल की गई डिग्री को भी रेगुलर मोड यानी पारंपरिक फॉर्मेट से पढ़कर हासिल डिग्री के बराबर समझी जाएगी।
UGC सचिव रजनीश जैन (UGC Secretary Rajnish Jain) ने कहा है कि डिग्री विशिष्टता 2014 पर यूजीसी के नोटिफिकेशन के तहत हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस (Higher Educational Institutions) में जो ओपन व डिस्टेंस या ऑनलाइन मोड के जरिए ग्रेजुएट तथा पोस्ट ग्रेजुएट लेवल पर डिग्री या डिप्लोमा दिया जाता है। अब उसे पारंपरिक माध्यम की डिग्री और डिप्लोमा के बराबर माना जाएगा। ध्यान रहे कि यह फैसला यूजीसी (मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम और ऑनलाइन कार्यक्रम) के नियम 22 के अनुसार लिया गया है।
ज्ञात हो कि भारत में अब तक ऑनलाइन या डिस्टेंस लर्निंग कोर्सेज ( Online or Distance Learning Courses) में कुल एक चौथाई यानी 25 प्रतिशत छात्र रजिस्टर्ड हैं। दरअसल देश में युवाओं का एक बड़ा वर्ग है जो जॉब के साथ साथ पढ़ाई करता है या फिर किसी मजबूरीवश रेगुलर मोड में नहीं पढ़ पाता तब ऑनलाइन या डिस्टेंस लर्निंग कोर्सेज की तरफ दौड़ता है और यह आबादी लगातार बढ़ रही है।