Rajasthan Congress Political Crisis and Gehlot vs Pilot battle about to end! इस समय मध्यप्रदेश में “भारत जोड़ो यात्रा” निकाल रहे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी दो दिन बाद चार दिसंबर को पड़ोसी राज्य राजस्थान में दाखिल हो जाएंगे। 2023 के चुनावी राज्य राजस्थान में राहुल गांधी एक पखवाड़े में करीब 520 किलोमीटर लंबा सफर तय करेंगे और कांग्रेसी सियासत के जानकार मान रहे कि राज रण में उतरने से पहले गहलोत बनाम पायलट जंग को लेकर राहुल गांधी के संकेत भांपकर राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पटाक्षेप की पटकथा लिख चुके हैं।
बस गहलोत बनाम पायलट जंग के पटाक्षेप की पटकथा का खुलासे को लेकर सही समय का इंतजार किया जा रहा है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के नतीजे जब आठ दिसंबर को आएंगे तब राहुल गांधी राजस्थान में यात्रा पर होंगे और कम से कम गुजरात के नतीजे सीएम अशोक गहलोत के लिहाज से बेहद अहम हो सकते हैं! अशोक गहलोत गुजरात में कांग्रेस को चुनाव लड़ा रहे हैं और नतीजे इस “जादूगर” के लिए एक और सियासी जीवनदान भी साबित हो सकते हैं तो कांग्रेस का कमजोर प्रदर्शन रहना सचिन पायलट के पक्ष में एक और तरकश का तीर साबित होगा।
दिल्ली में चौबीस अकबर रोड से लेकर बारह तुगलक लेन तक अब यह चर्चा जोर पकड़ रही कि अशोक गहलोत को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे मन बना चुके हैं। कांग्रेस के जानकार सूत्र भी इस दावे में दम देख रहे कि पार्टी आलाकमान “वन्स फॉर ऑल” अंदाज में राजस्थान केला झगड़ा खत्म करना चाह रहा है और अब पलड़ा पायलट कैंप का भारी होता दिख रहा। पिछले दिनों एनडीटीवी को बाकायदा इंटरव्यू देकर पायलट को “गद्दार” करार देकर सीएम पद के लिए अपने अंदाज में अस्वीकार ठहराने का अंदाज भी राहुल गांधी से लेकर खड़गे को नागवार गुजरा है।
तो क्या समझा जाए कि जिस दौर में राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा लेकर राजस्थान से प्रस्थान की ओर होंगे तब सत्ता से गहलोत की विदाई का फैसला हो जाएगा? या एक बार फिर गहलोत पायलट के मंसूबों पर पानी फेरने को कोई नया बखेड़ा खड़ा कर साफ बच निकलेंगे? वैसे दिल्ली के कांग्रेसी कॉरिडोर्स में किसी आंतरिक सर्वे की भी चर्चा गर्म है जिसमें गहलोत बनाम पायलट किस चेहरे पर 2023 में चुनावी जीत दिख रही उस तराजू में पायलट वजनदार बताए जा रहे।
राजस्थान से किसी ने बताया कि जिस झालावाड़ क्षेत्र से राहुल गांधी “भारत जोड़ो यात्रा” लेकर प्रवेश कर रहे उस रास्ते की सड़क के दोनों लगाए जा रहे पोस्टरों, बैनरों में राहुल गांधी और सचिन पायलट ही अधिक नजर आ रहे। तो क्या यह भी एक संकेत हैं। आखिर 2018 के चुनाव से पहले राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष रहते सचिन पायलट ने इसी क्षेत्र में 100 किलोमीटर लंबी पदयात्रा कर पार्टी के पक्ष में चुनावी जीत का माहौल बनाया था।
तो क्या पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के गढ़ झालावाड़ में राहुल गांधी पायलट को तवज्जो देकर सरकार की उड़ान की कमान उनको दिलाकर जा रहे..! लेकिन अभी भी कांग्रेस में कई गहलोत समर्थक कह रहे कि 25 सितंबर को बुलाई विधायक दल बैठक और उसके बाद दिखे विधायकों के बागी तेवर शायद अभी भी भूली नहीं होगी दिल्ली! अब भला दिल्ली भूलेगी भी कैसे तब प्रभारी अजय माकन के साथ एक लाइन का प्रस्ताव पारित कराने पर्यवेक्षक बनकर कोई और नहीं बल्कि खुद मल्लिकार्जुन खड़गे, जो आए थे।