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नेशनल टेक्नोलॉजी डे पर यूसैक में कार्यशाला: AI, VR, 5G और रियल टाईम त्वरित डेटा की उपयोगिता पर वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ0 हरीश कर्नाटक ने यह कहा

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Dehradun News: गुरुवार को उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र के सभागार में नेशनल टेक्नोलॉजी डे विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में इण्डियन इन्स्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के वैज्ञानिक-एस.जी. डॉ0 हरीश कर्नाटक, डॉ0 क्षमा गुप्ता, वैज्ञानिक-एस.एफ., राजीव गुप्ता, मुख्य परियोजना प्रबन्धक, उरेड़ा एवं यूसैक के वैज्ञानिक/अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

कार्यशाला का शुभारम्भ यूसैक की निदेशक नीतिका खण्डेलवाल एवं आमंत्रित विषय-विशेषज्ञों तथा अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया। इस अवसर पर यूसैक की निदेशक ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सभी को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस की बधाई देते हुए कहा कि वर्तमान समय में प्रौद्योगिकी मानव के जीवन का अहम हिस्सा बन गई है, उन्होंने टेक्नोलॉजी को शिक्षा से जोड़ने पर अहम जोर देते हुए कहा कि विश्व का नेेतृत्व वही देश करेगा जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में अग्रणी होगा।

उन्होंने कहा कि हिमालय के संवाग्रीर्ण विकास एवं पर्यावरण संतुलन के लिए अन्तरिक्ष आधारित सूचना तकनीक का महत्वपूर्ण योगदान है, जिसके लिए राज्य में कार्य कर रहे सभी राष्ट्रीय एवं राजकीय संस्थानों को अधिक सामन्जस्य एवं साझा प्रयास करने होंगे। उन्होंने राज्य के रेखीय विभागों के साथ विभिन्न परियोजनाओं में अन्तरिक्ष प्रौद्योगिकी आधारित कार्ययोजना तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे प्रदेश में प्राकृतिक संसाधनों जैसे जल, जंगल, जमीन एवं जन सुविधाओं से जुड़ी समस्याओं के निराकरण में मदद मिल सके।

इसके अतिरिक्त अन्तरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नित नए-नए शोध एवं प्रयोग किए जा रहे है जिसमें हाई रेज्यूलेशन सैटेलाइट डेटा से लैण्ड रिर्सोसेज की लार्ज स्केल मैपिंग कर विभिन्न समयावधियों में आ रहे बदलावों को चिन्हित किया जा सकता है, जोकि भूमि के नियोजन एवं नीति निर्धारण में सहायक सिद्ध होगी। साथ ही अन्तरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जियोइंटेलिजेन्स के माध्यम से प्राकृतिक संसाधन प्रबन्धन, आपदा प्रबन्धन, आधारभूत संरचनाओं सम्बन्धी विकास एवं नियोजन कार्यो में बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।

कार्यशाला के मुख्य वक्ता आई.आई.आर.एस. के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ0 हरीश कर्नाटक ने जियोइंटेलिजेन्स में इमर्जिंग टेक्नोलॉजी व इसके उपयोग पर व्याख्यान दिया जिसमें उन्होंने आने वाले समय में आर्टिफीशियल इंटेलिजेन्स, वर्च्यूवल रियलिटी, 5 जी नेटवर्क, रियल टाईम त्वरित डेटा अधिग्रहण की उपयोगिता मानव के दैनिक जीवन एवं कार्य पद्वति तथा आपदा प्रबन्धन जैसे क्षेत्रों की उपयोगिता पर चर्चा की।

उन्होंने यह भी बताया कि विभिनन माध्यमों जैसे वाट्सअप, इंस्टाग्राम, फेसबुक से अत्याधिक डेटा का संग्रहण हो रहा है जिसमें आर्टिफीशियल इंटेलिजेन्स से भविष्य में और भी जनपयोगी सूचनाओं को सहज रूप में प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने अन्तरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अन्तरिक्ष में हो रहे सैटेलाइट वेस्ट निस्तारण के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि वर्तमान में अन्तरिक्ष में 8261 सैटेलाइट हैं जिसमें से 4900 सैटेलाइट ही कार्यरत हैं।

कार्यशाला में विषय-विशेषज्ञ आई.आई.आर.एस. की वैज्ञानिक- डॉ0 क्षमा गुप्ता द्वारा अर्बन माइक्रो क्लाइमेट विषय पर कहा कि पहाड़ों से पलायन होकर लोग शहरों की ओर आ गए हैं जहां आबादी तीव्रता से बढ़ गई है वहीं दूसरी ओर पहाड़ी नगर खाली हो रहे हैं। हिल टाउन को डेवलप करने की जरूरत है, इसके लिए डेवलेप्मेन्ट इकोनॉमिक मॉडल को बदलने की जरूरत है जिससे हिल टाउन से पलायन न हो तथा वे आबाद रहें एवं तेजी से बढ़ रही शहरी आबादी को नियंत्रित किया जा सके।

उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों को मैनेज करने में जियोस्पाशियल डेटा का अत्यन्त महत्व है तथा शहरी क्षेत्रों में आ रहे बदलावों में इसका महत्वपूर्ण उपयोग है। उन्होंने ड्रेनेज एरिया को संरक्षित करने पर जोर देते हुए कहा इसमें ब्ल्यू इंफा्रस्ट्रक्चर के साथ-साथ ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर को भी डेवलप करना आवश्यक है जिससे शहरों में ग्रीन स्पेस मिल सके तथा ड्रेनेज एरिया सुरक्षित एवं संरक्षित रहे सके।

उन्होंने कहा कि स्काई व्यू फैक्टर तापमान को ज्यादा प्रभावित करता है जैसे भारत के जितने भी पुराने शहर हैं वहां अत्याधिक भीडभाड़ एवं तंग रास्ते होने के बाद भी उतना गर्म नहीं होता जितना नए शहरी क्षेत्र हैं क्योंकि पुराने शहरों को बसाते हुए निर्माण में स्काई व्यू फैक्टर एवं मटीरियल को ध्यान में रखा गया है।

यूसैक की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ0 अरूणा रानी द्वारा रिमोट सेसिंग एवं जी.आई.एस. की ऊर्जा के क्षेत्र में उपयोगिता के महत्व पर प्रकाश डाला गया। उनके द्वारा बताया गया कि यूसैक ऊर्जा विभाग की विभिन्न परियोजनाओं एवं असेट की मैपिंग करके वैब जी.आई.एस. बनाकर एण्ड्रायड एप डेवलप करेगा जो प्रशासन स्तर पर निर्णय लेने एवं नई परियोजनाओं हेतु सूटेबल साइट का चयन करने में मददगार साबित होगा। इसमें उरेडा के मुख्य परियोजना अधिकारी द्वारा ऐप में अर्ली वार्निंग फीचर भी जोड़ने का सुझाव दिया गया जोकि विभाग के लिए उपयोगी साबित होगा।

कार्यक्रम का संचालन केन्द्र की वैज्ञानिक डॉ0 सुषमा गैरोला द्वारा किया गया। इस अवसर पर केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ0 प्रियदर्शी उपाध्याय, डॉ0 नीलम रावत, डॉ0 आशा थपलियाल, डॉ0 गजेन्द्र सिंह, शशांक लिंगवाल, पुष्कर कुमार, डॉ0 दिव्या उनियाल, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी आर.एस. मेहता, प्रशासनिक सलाहकार प्रदीप रावत, सिस्टम मैनेजर हेमन्त बिष्ट, रिसर्च- नवीन चन्द्र, विवेक तिवारी, सोनम बहुगुणा आदि समस्त कार्मिक उपस्थित थे।

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