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लैंब्रेटा स्कूटर पर नमकीन बेचने से सहारा साम्राज्य की बादशाहत फिर विवाद, अदालत और गुमनामी…नहीं रहे सहाराश्री सुब्रत रॉय

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Subrata Roy passes away: सहारा ग्रुप के चीफ और एक जमाने में रेलवे के बाद सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देने वाले बिजनेसमैन की ख्याति प्राप्त कर चुके सुब्रत रॉय का देर रात 75 साल की उम्र में निधन हो गया है। मुंबई के कोकिला बेन धीरूभाई अम्बानी अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में 12 नवंबर से इलाज के लिए भर्ती सहाराश्री का मंगलवार देर रात निधन हुआ। बताया जा रहा है कि बुधवार को उनका पार्थिव शरीर उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ के सहारा शहर लाया जाएगा, कहां उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।

10 जून 1948 को जन्मे सुब्रत रॉय देश के एक जमाने में सबसे तेजी से उभरते कारोबारी थे जिन्होंने सहारा इंडिया परिवार की फाउंडेशन रखी थी और इसी लिए उनकी पहचान सहाराश्री के तौर पर होती थी। कहते हैं कि कभी उन्होंने स्कूटर पर नमक बेचा लेकिन कारोबार जगत में इतनी ऊंचाई हासिल की कि उनको रेलवे के बाद सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले समूह के मालिक के तौर पर नई पहचान मिली।
हालांकि एक के बाद एक कई कानूनी उलझनों में उलझते चले गए सहाराश्री सुब्रत रॉय इन दिनों जमानत पर चल रहे थे। पटना हाई कोर्ट में सहारा इंडिया के खिलाफ कई लोगों द्वारा पैसों का भुगतान नहीं करने का मामला चल रहा था जिसमें पटना हाई कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी के आदेश दिए थे जिस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगा दी गई थी। शीर्ष अदालत ने इसी के साथ आगे किसी भी तरह की कार्रवाई को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।

दरअसल बड़ी संख्या में लोगों ने सहारा इंडिया की कई स्कीमों में पैसे लगाए थे और इन सब के चलते कई कोर्ट केस लंबित थे। सुप्रीम कोर्ट में एक इसी तरह के केस में जमानत पर बाहर थे।सहारा इंडिया ग्रुप का दावा है कि कोर्ट के निर्देश के अनुसार सारी रकम सेबी के पास जमा कराई जा चुकी है।

सुब्रत रॉय की पहचान बड़ी ही शान ओ शौकत के साथ जीवन जीने को लेकर भी बनी थी। उन्होंने अपने दोनों बेटों शुशांतो रॉय और सीमांतों रॉय की शादी लखनऊ के स्टेडियम में की थी जिस पर 2004 में करीब 500 करोड़ रु खर्च किए गए थे।

नमकीन स्नैक्स से सहाराश्री तक का सफर

बिहार के अररिया में एक बंगाली परिवार में पैदा हुए सुब्रता रॉय ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कोर्स किया और अपने करियर की शुरुआत नमकीन स्नैक्स बेचकर की। उन्होंने अपने लैब्रेटा स्कूटर पार “जया प्रोडक्ट्स” नाम से बनाए खुद के नमकीन स्नैक्स प्रोडक्ट बेचे। फिर 1978 में सुब्रत रॉय ने गोरखपुर में एक छोटा सा ऑफिस लेकर सहारा कंपनी की नींव रखी और देखते ही देखते सहारा इंडिया परिवार से लाखों लोग जुड़ते गए और वे खुद बन गए सहाराश्री। रॉय का साम्राज्य फाइनेंस, रियल एस्टेट, मीडिया और हॉस्पिटैलिटी सहित कई क्षेत्रों में फैलता गया। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन से लेकर अनिल अंबानी और सियासत के पहलवान मुलायम सिंह यादव सहित तमाम दिग्गज नेता उनके साथ जुड़ते गए। 2000 के दशक में तो सहारा इंडिया ने लंदन के ग्रोसवेनर हाउस होटल और न्यूयॉर्क के प्लाजा होटल जैसी वर्ल्ड क्लास प्रॉपर्टी का अधिग्रहण कर देश से बाहर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तहलका मचा दिया था।

एयर सहारा के रूप में एयरलाइंस सेक्टर में दखल तो लोनावाला में साढ़े 10 हजार एकड़ में देश का पहला प्लांड हिल सिटी एंबी वैली प्राजेक्ट और सहारा समय सहित दर्जनभर न्यूज और एंटरटेनमेंट चैनल, फिल्में और क्रिकेट में टीम इंडिया के स्पॉन्सर और पुणे वॉरियर्स के रूप में आईपीएल में एंट्री। लेकिन 2013 में सहारा इंडिया परिवार के कारोबार को एक बार सेबी और दूसरी वजहों से ग्रहण लगना शुरू हुआ तो फिर कभी दोबारा सहाराश्री सुब्रत रॉय इससे उबर नहीं पाए। उन पर और उनकी कंपनियों पर नियम विरुद्ध पैसे जुटाने के जो आरोप लगे उससे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 24,400 करोड़ रु निवेशकों को लौटाने पड़े और मरते दम तक वे इन मामलों में अदालतों के चक्कर काटते रहे।

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