Forest fire in Uttarakhand case in SC: बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग को लेकर धामी सरकार और केंद्र को फटकार लगाई। उत्तराखंड ने वनाग्नि मामले की सुनवाई करते हुए देश की शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि वनाग्नि के खतरे को देखते हुए संबंधित कार्मिकों को चुनावी ड्यूटी पर क्यों लगाया गया। ज्ञात हो कि उत्तराखंड में 19 अप्रैल को पहले चरण में वोटिंग हुई थी और राज्य में हर साल 15 फरवरी से लेकर 15 जून के अंतराल को वनाग्नि सीजन माना जाता है जिस दौरान जंगलों में आग फैलने की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं। ज्ञात हो कि पिछले दिनों बारिश से जंग की आग से राहत मिलने से पहले तक 1000 से ज्यादा वनाग्नि की घटनाओं के चलते करीब 1100 हेक्टेयर जंगल स्वाहा हो गए।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी ड्यूटी पर वन कार्मिकों को लगाने को लेकर राज्य के साथ साथ केंद्र सरकार को भी कोसा। वनाग्नि को रोकने को लेकर किए गए प्रयासों को नाकाफी करार देते हुए ने धामी सरकार को वनाग्नि से निपटने के लिए 10 करोड़ की बजाय 3.15 करोड़ ही देने पर फटकार लगाई।
सरकार के वकील ने जब दलील दी कि राज्य की मुख्य सचिव ने वन कार्मिकों को आगे इलेक्शन ड्यूटी पर ना लगाने के निर्देश दिए हैं जिसके बाद ड्यूटी संबंधी पुराना आदेश वापस ले लिया गया है। लेकिन राज्य सरकार के वकील की दलील सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एसवीएन भट्टी और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने नाखुशी जाहिर करते हुए कहा,”This is a sorry state of affairs. You are just making excuses.” यानी शीर्ष अदालत ने सरकार की दलीलों को खारिज करते हुए दो टूक फटकार लगाई है कि हालात बेहद खस्ता और चिंताजनक हैं लेकिन सरकार यहां सिर्फ बहानेबाजी कर रही है।
जाहिर है यह पहली बार नहीं है जब शीर्ष अदालत ने धामी सरकार को वनाग्नि के मामले में फटकार लगाई है। पिछले हफ्ते ही इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने धामी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि जंगल की आग रोकने और उसे बुझाने को लेकर ठोस इंतजाम की बजाय बारिश और क्लाउड सीडिंग के भरोसे हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठा रहा जा सकता है।