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Explainer: मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत क्यों दी ?

दिल्ली शराब घोटाले में AAP नेता को 17 महीने बाद जमानत का आधार ?

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ADDA Explainer: शुक्रवार को देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि जरा सी भी संभावना नहीं दिख रही कि इस केस में ट्रायल निकट भविष्य में पूरा हो जाएगा। अदालत ने कहा कि बिना ट्रायल शुरू हुए ही मनीष सिसोदिया ने लगभग 17 महीने जेल में काट दिए हैं और इस तरह उन्हें आर्टिकल 21 के तहत स्पीडी ट्रायल के अधिकार से वंचित कर दिया जा रहा है। ऐसे में और अधिक समय तक उनको जेल ने बंद नहीं रखा जा सकता है और कोर्ट ने जमानत दे दी।

मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि ईडी और सीबीआई ने अक्टूबर 2023 में कहा था कि छ महीने में ट्रायल पूरा कर लिया जाएगा लेकिन आज तक ट्रायल शुरू भी नहीं हुआ है। जाहिर है यह तर्क जांच एजेंसी के खिलाफ गया और कोर्ट ने जमानत दे दी।
हालांकि इसी एक्साइज पॉलिसी केस को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अभी जेल में ही है। केजरीवाल को इसी साल 12 जुलाई को ईडी द्वारा दाखिल केस में जमानत मिल चुकी है लेकिन इसी दौरान उनके खिलाफ सीबीआई ने मनी लांड्रिंग केस दर्ज कर लिया और जिसके बाद भ्रष्टाचार के आरोप में वे जूडिशियल कस्टडी में बंद हैं।

  • सिसोदिया को जमानत देते SC ने क्या कहा?

शुक्रवार को जब दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत मिली तो शीर्ष अदालत ने निचली अदालत और हाई कोर्ट को फिर से याद दिलाया कि Bail is rule and jail is exception यानी जमानत देना नियम है और कैद में रखना अपवाद। टॉप कोर्ट ने निचली अदालतों को मनीष सिसोदिया के मामले में ट्रायल शुरू होने में हो रही देरी के मद्देनजर जमानत पर विचार से बचने के लिए फटकारा।

अदालत ने तर्क दिया कि यहां तक कि PMLA एक्ट 2002 के जमानत को कठिन बनाने वाले सेक्शन 45 के बावजूद अगर किसी को लंबे समय से कैद करके रखा गया है तो नरमी बरतते हुए आरोपी को जमानत दी जा सकती है। दरअसल प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट में आरोपी को प्रथमदृष्टया खुद को निर्दोष साबित करते हुए यह आश्वस्ति देनी होती है कि अगर उसे जमानत दी गई तो वह सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेगा।

अदालत ने जांच एजेंसी को फटकारते हुए कहा कि अभी नहीं लग रहा कि निकट भविष्य ने ट्रायल पूरा होने की जरा सी भी संभावना है लिहाजा न तो सिसोदिया कहीं विदेश भाग जायेंगे और न ही और अधिक जमानत के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।

कोर्ट ने जांच एजेंसी के वकील के जमानत न देने के सारे तर्क खारिज करते हुए सीबीआई और ईडी द्वारा दाखिल मामलों में जमानत के आदेश दे दिए जिसके बाद शुक्रवार शाम वे तिहाड़ जेल से बाहर भी आ गए। अदालत ने सिसोदिया को दिल्ली सचिवालय जाने की भी अनुमति दे दी। हालांकि कोर्ट ने उनको हर हफ्ते सोमवार और गुरुवार को पुलिस को रिपोर्ट करने तथा पासपोर्ट जमा कराने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने यह भी ताकीद किया है कि वे सबूतों को प्रभावित या छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे।

  • सिसोदिया पर ED, CBI के आरोप क्या थे?

दिल्ली के कथित शराब घोटाले जिसमें एक्साइज पॉलिसी के जरिए फायदा पहुंचाने के आरोप में शराब वेंडर्स से घूस लेने का मुख्य आरोप लगाया गया था। इस आरोप के आधार पर ईडी और सीबीआई ने क्रमश: 26 फरवरी 2023 तथा 9 मार्च 2023 को मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था।

इस मामले में ईडी ने मनीष सिसोदिया को प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट 2002 के तहत आरोपी बनाया था जिसमें जमानत को लेकर आरोपी को खूब पापड़ बेलने पड़ते हैं और इसी कारण दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम को करीब 17 महीने जेल में काटने पड़े।

इतना ही नहीं इसके साथ साथ सीबीआई ने मनीष पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 के तहत भ्रष्टाचार के आरोप वाली धाराएं और लगा दी थीं।

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