देहरादून: दिसंबर से टिकटों को लेकर एक्सरसाइज कर रही कांग्रेस प्रत्याशियों के ऐलान में भाजपा से दो दिन पिछड़ गई। भाजपा ने गुरुवार को 59 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी थी जबकि कांग्रेस ने शनिवार को अपने 53 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की। भाजपा में दूसरी लिस्ट की 11 सीटों पर मंथन चल रहा तो कांग्रेस भी पेंडिंग 17 सीटों का पेंच सुलझाने में जुट गई है। सोनिया गांधी ने इन सत्रह सीटों पर प्रदेश नेताओं व स्क्रीनिंग कमेटी सदस्यों से मंथन को केसी वेणुगोपाल और मुकुल वासनिक की अगुआई में एक कमेटी बना दी है ताकि जैसे ही भाजपा की लिस्ट जारी हो उसी के साथ कांग्रेस प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया जाए।
कैंपेन लीड कर रहे हरदा की सीट ही तय नहीं?
दरअसल, कांग्रेस की पहली लिस्ट में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह को चकराता से टिकट, पीसीसी चीफ गणेश गोदियाल को श्रीनगर और वरिष्ठ नेता यशपाल आर्य को बाजपुर से टिकट दिया गया है। लेकिन न तो पूर्व सीएम हरीश रावत और न ही हाल में कांग्रेस में घर वापसी करने वाले हरक सिंह रावत या उनकी पुत्रवधू अनुकृति गुंसाई की सीट पर फैसला हो पाया। इसी तरह पूर्व पीसीसी चीफ किशोर उपाध्याय और कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रणजीत रावत की सीट तय हो पाई।
पेंडिंग सीटों का पेंच ?
आइए समझते हैं कि आखिर कांग्रेस की 17 पेंडिंग सीटों के पीछे के सियासी समीकरण क्या हैं जिसके चलते पहली लिस्ट में इन्हें शामिल नहीं किया गया। कांग्रेस की पहली लिस्ट में नरेन्द्रनगर, टिहरी, देहरादून कैंट, डोईवाला, ऋषिकेश, ज्वालापुर, झबरेड़ा, रूड़की, खानपुर, लक्सर, हरिद्वार ग्रामीण, चौबट्टाखाल, लैंसडौन, सल्ट, लालकुआं, कालाढूंगी और रामनगर सीट को होल्ड किया गया है।
दरअसल, कांग्रेस की 17 सीटों के पेंडिंग रहने के पीछे सबसे बड़ा वजह यही है कि पूर्व सीएम और कांग्रेस के कैपेन कमांडर हरीश रावत किस सीट से चुनाव लड़ेंगे यही तय नहीं हो पा रहा है। इन 17 सीटों में कम से कम पांच सीटें हरदा की टिकट तय न हो पाने के चलते रुकी हैं। रामनगर, सल्ट, हरिद्वार ग्रामीण, लालकुआं और कालाढूंगी सीट इसी समीकरण के चलते होल्ड की गई हैं। हालाँकि लालकुआं सीट भाजपा ने भी होल्ड की है लेकिन कांग्रेस के पेंडिंग रखने की दूसरी वजह हरदा की सीट पर फैसला न होना भी है।
हरदा की पहली पसंद रामनगर सीट बताई जा रही लेकिन वहां से बदली राजनीति में उनके धुर विरोधी रणजीत रावत भी दावेदारी कर रहे हैं। रणजीत रावत पिछले पांच साल से वहाँ न केवल सक्रिय हैं बल्कि कोरोना महामारी में राशन आदि बाँटकर लोगों के बीच डटे रहे हैं। लिहाजा रणजीत इस सीट को किसी क़ीमत पर छोड़ने को तैयारी नहीं। भले हरदा और रणजीत में मीटिंग कराने से लेकर केसी वेणुगोपाल व अविनाश पांडेय के साथ बैठक के बाद रणजीत ने हरदा को रामनगर लड़ने को कह दिया हो। लेकिन एक जमाने में रावत के सियासी ‘हनुमान’ रहे रणजीत अब न हरदा के समर्थन में उतरने को तैयार हैं और न ही सल्ट जाने को राजी। इसी पेंच में रामनगर के साथ सल्ट सीट पेंडिंग में चली गई।
हरदा के सामने लालकुआं सीट भी है और सोशल समीकरण साधने की कड़ी में कालाढूंगी को भी होल्ड कर दिया गया है वरना कालाढूंगी में महेश शर्मा की दावेदारी पक्की है। वैसे जैसा की ऊपर कहा गया है कि लालकुआं सीट पर भाजपा के प्रत्याशी की घोषणा का भी कांग्रेस को इंतजार है। एक और सीट हरिद्वार ग्रामीण भी हरदा के चलते होल्ड कर दी गई है। यहाँ से तैयारी तो पूर्व सीएम की पुत्री अनुपमा रावत कर रही हैं लेकिन ‘एक परिवार एक टिकट’ फ़ॉर्मूले के चलते दो टिकट पर संकट है।
अगर हरदा की सीट कुमाऊं की तरफ तय हो गई और एक परिवार एक सीट फ़ॉर्मूले का पालन हुआ तो लक्सर और हरिद्वार ग्रामीण सीट पर हिन्दू-मुस्लिम समीकरण ध्यान में रखते हु्ए प्रत्याशी तय होंगे।लक्सर को भी इसी कारण होल्ड कर दिया गया है। खानपुर से हरदा के पुत्र वीरेन्द्र रावत भी दावेदार रहे हैं लेकिन यहां से सरप्राइज़ प्रत्याशी आ सकता है।
लैंसडौन, चौबट्टाखाल और डोईवाला सीट पर हरक सिंह रावत की कांग्रेस में घर वापसी के बाद नए सिरे से मंथन शुरू हो चुका है। वैसे तो तय फ़ॉर्मूले के तहत हरक सिंह रावत को एक सीट ही मिलेगी जिस पर वे चाहेंगे तो अपनी बहू अनुकृति गुंसाई को चुनाव लड़ा सकेंगे। लेकिन बदले हालात में डोईवाला और चौबट्टाखाल में हरक के शक्ति-प्रदर्शन की पटकथा लिखने की कोशिश भी शुरू हो चुकी हैं। अगर हरीश रावत के साथ सहमति बनी और राहुल गांधी का ग्रीन सिग्नल मिला तो हरक सिंह को सतपाल महाराज के सामने उतारने की रणनीति बन सकती है। वैसे हीरा सिंह बिष्ट को रायपुर शिफ्ट करने के बाद अब डोईवाला में दांव खेला जा सकता है। यानी इन तीन सीटों पर हरक भी एक फैक्टर है जिसके चलते इन्हें होल्ड कर दिया गया है।
नरेन्द्रनगर सीट पर प्रीतम कोटे से हिमांशु बिजल्वाण का टिकट पक्का माना जा रहा था लेकिन ओम गोपाल रावत को कांग्रेस से टिकट न मिल पाने के चलते उनकी कांग्रेसी में एंट्री हो रही है और अब टिकट भी उनको ही दिया जाएगा। जाहिर है ऐसा हुआ तो नरेन्द्रनगर में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल वर्सेस ओम गोपाल रावत कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा।
किशोर उपाध्याय को लेकर उड़ रही खबरों ने कांग्रेस और किशोर के बीच अविश्वास की दीवार खड़ी कर दी है। सवाल यही है कि क्या वे भाजपा में जाएंगे क्योंकि भाजपा ने भी अपनी पहली सूची में टिहरी सीट पर सिटिंग विधायक धन सिंह नेगी के होने के बावजूद प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है। इस हालात में कांग्रेस के हाथ भी टिहरी पर फैसला लेते काँप रहे हैं। वैसे वहाँ हरदा की पसंद दिनेश धैने हैं और ऋषिकेश से शूरवीर सिंह सजवाण के रूप में मजबूत दावेदार होने के बावजूद इस सीट को भी होल्ड कर दिया गया है। सवाल है कि क्या टिहरी में दिनेश धैने से बात बन जाए तो कांग्रेस किशोर को ऋषिकेश शिफ्ट करने की सोच रही है?
देहरादून कैंट से सूर्यकांत धस्माना ही रिपीट होंगे या वैभव वालिया जैसे किसी युवा चेहरे को राहुल गांधी यूथ कोटे से मौका दिलाएँगे यह समीकरण भी अभी तक सुलझ नहीं पाया है। ज्वालापुर में महिला पर दा़ंव लगाया जाएगा या पुराना प्रत्याशी रिपीट होगा यह पेंच भी फंसा है। झबरेड़ा, लालकुआं, टिहरी और डोईवाला में भाजपा के नाम घोषित होने का इंतजार भी कांग्रेस कर रही है।