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अड्डा Analysis: चीफ सेक्रेटरी पद से ओपी की छुट्टी और संधू की ताजपोशी से मजबूत युवा मुख्यमंत्री का भ्रम देते धामी अब क्यों हर मुद्दे पर होने लगे ढुलमुल!

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देहरादून: वैसे किसी नए मुख्यमंत्री के लिए हफ्ते-दो हफ्ते का वक्त गुलदस्ते पकड़ने में ही निकल जाता है लेकिन उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भला ये लग्ज़री या हनीमून पीरियड कहां मिल पाएगा! आखिर वे क्रिकेट के उन आखिरी ओवर्स यानी स्लॉग ओवर्स के बैट्समैन बनाकर सियासी क्रीज़ पर भेजे गए हैं, जहां हर बॉल को हिट कर बाउंड्री पार देखने की चाहत बीजेपी नेतृत्व को भी है और प्रदेश की जनता को भी।
सीएम बनने के 24 घंटे के भीतर, वजह और योगदान भले जो रहा हो लेकिन चीफ सेक्रेटरी पद से ओम प्रकाश की छुट्टी और एसएस संधू की ताजपोशी कराकर धामी ने संदेश दिया कि वे सिंगल्स खेलने आखिरी दौर में क्रीज़ पर नहीं उतरे हैं बल्कि त्रिवेंद्र-तीरथ के चलते बिगड़े खेल में वे बीजेपी की वापसी कराकर रहेंगे। लेकिन उसके बाद आए लगातार बयान इशारा कर रहे हैं कि चीफ सेक्रेटरी भले बदले गए हों पर युवा चीफ मिनिस्टर की हालत अभी अभिमन्यु सरीखी ही है। अगर ऐसा न होता तो ऊर्जा मंत्री बनते ही अति उत्साह में डॉ हरक सिंह रावत घाटे के ऊर्जा निगम से बेपरवाह होकर 100 यूनिट मुफ़्त बांटने न निकल पड़ते! ठीक ऐसे ही मंत्री सतपाल महाराज ने हरिद्वार में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनवाने का ऐलान कर तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को ठेंगा दिखाया था। मतलब साफ है आगे भी वरिष्ठ मंत्रियों के बीच युवा मुख्यमंत्री ऐसे ही फजीहत झेलने को मजबूर होते रहें तो आश्यर्च न हो।

अब बात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पेचीदा मुद्दों पर दिखाई दे रहे स्टैंड की कर लेते हैं। सीएम के सामने कांवड़ यात्रा पहला मसला आया जिस पर यूपी सीएम योगी का फोन आने के बाद मुख्यमंत्री ने तीरथ कैबिनेट के 30 जून के फैसले से पलटी मारने की सोची लेकिन कोरोना संक्रमण का खतरे और हाईकोर्ट में पेचीदा हालत होने की आशंका में मसला दिल्ली दरबार पहुंचाना बेहतर समझा। दिल्ली दौरे से लौटने से पहले की गई पत्रकार वार्ता में सीएम धामी ने आस्था की बात करते हुए जीवन के महत्व को तवज्जो देने का इशारा किया पर साफ साफ स्टैंड नही रखा।

इसी तर्ज पर सोमवार शाम देहरादून पार्टी कार्यालय में बैठक के बाद भी वहीं राग अलापा कि आस्था का प्रश्न है पर जीवन हानि न हो, मसला अकेले उत्तराखंड का नहीं पड़ोसी राज्यों से बात करेंगे उच्च स्तर पर बात करेंगे आदि। कमोबेश यही हाल केजरीवाल के 300 यूनिट फ्री बिजली और अपने ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत के 100 यूनिट फ्री बिजली घोषणा पर कि हम अच्छी बिजली दे रहे और अच्छी देंगे आदि।


साफ है पुष्कर सिंह धामी के लिए मुख्यमंत्री का ताज काँटों भरा है और खतरा जितना बाहरी सियासी दुश्मनों से है उतना ही ‘अपनों’ की ‘मेहरबानी-ए-मुहब्बत’ से संभले रहने का भी है। यहीं वजह है कि मुख्यमंत्री बोल लगातार रहे हैं लेकिन असल बोल फूट नहीं पा रहे।

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