AAP State President Deepak Bali joins BJP: उत्तराखंड की सियासत में अपनी जिन ‘मुफ्त रेवड़ियों’ की गारंटी लेकर दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल कूदे थे, विधासनभा चुनाव में जनता ने उनको सिरे से खारिज कर दिया है। अब आम आदमी पार्टी का कबाड़ा करने में रही-सही कसर वो नेता पूरी कर दे रहे जिनके दम पर केजरीवाल वैकल्पिक राजनीति का ककहरा उत्तराखंड की जनता को समझाना चाह रहे थे। अभी विधानसभा चुनाव में अपने मुख्यमंत्री चेहरे रहे कर्नल अजय कोठियाल के भाजपा में शामिल होने के झटके से आम आदमी पार्टी उबर भी नहीं पाई थी कि जिसे केजरीवाल ने प्रदेश में पार्टी की कमान सौंपी, वहीं दीपक बाली चंद दिनों में भाग खड़े हुए। काशीपुर के कारोबारी दीपक बाली 29 अप्रैल को आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड मुखिया बने थे और 14 जून आते-आते वे भी कर्नल के रास्ते भाजपा में जा पहुंचे।
दरअसल, यह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कोशिशों का ही असर है कि पहले आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री के चेहरे कर्नल अजय कोठियाल को तोड़ा और अब डेेेढ़ महीने AAP के प्रदेश अध्यक्ष रहे दीपक बाली को भी भाजपा में शामिल करा लिया। बाली चुनाव में AAP के कैम्पेन चीफ थे और 29 अप्रैल को कर्नल कोठियाल को इग्नोर कर केजरीवाल ने बाली को प्रदेश अध्यक्ष की कमान दी थी लेकिन अब वे भी भाजपा की शरण में चले गए हैं।
सवाल है कि धामी आम आदमी पार्टी के फ्लॉप और चुनाव में बुरी तरह हारकर जमानत जब्त कराने वाले नेताओं को भी भाजपा में शरण क्यों दिला रहे हैं। दरअसल यह मुख्यमंत्री धामी की खास रणनीति का हिस्सा दिखाई देता है। धामी चुनाव में लुटी पिटी AAP को भी उत्तराखंड में पूरी तरह से खत्म कर देना चाह रहे ताकि वैकल्पिक राजनीति के पैरोकार केजरीवाल को उत्तराखंड से कड़ा संदेश देकर मोदी शाह की नजरों में अपनी अलग छवि गढ़ सकें।
मुख्यमंत्री धामी बखूबी जानते हैं कि चम्पावत उपचुनाव में प्रचण्ड जीत के बाद अब उनका पांच साल निष्कंटक राज कैसे चले इसके लिए उन्हें पहले रोधी दलों को पंगु कर 2024 के मोदी मिशन के सच्चे सिपाही के तौर पर खुद को स्थापित करना होगा। धामी इस मिशन में कामयाब भी हो रहे हैं क्योंकि कर्नल कोठियाल और दीपक बाली को लेकर आम आदमी पार्टी पूरी तरह हाशिये पर जा चुकी है। अब लोकसभा चुनाव 2024 छोड़िए AAP के लिए 2027 में पटरी पर आना कठिन होगा।
इसमें किसी को कोई ताज्जुब नहीं होना चाहिए अगर आने वाले दिनों में कांग्रेस के एकाध चेहरे भी भाजपा दफ्तर में मुख्यमंत्री धामी की बगल में चमकते नज़र आएं। चर्चा रहती ही है कि एक दो नेता तो खुद को जैसे तैसे कंट्रोल किए बैठे हैं अगर धामी हरी झंडी दिखा दें तो कल ही पाला बदल डालें।
वैसे मुख्यमंत्री धामी ने जिस तरह आम आदमी पार्टी के दो सबसे बड़े चेहरे तोड़ लिए हैं, वह इशारा कर रहा कि अब उत्तराखंड भाजपा में धाकड़ धामी के धमक के आगे दूसरा कोई चेहरा टिकता नहीं है। अब अगर धामी ने आगे एकाध कांग्रेसी विकेट भी चटका दिए तो दिल्ली दरबार को यकीन हो जाएगा कि पहाड़ पॉलिटिक्स में धामी के मुकाबले विपक्षी तो छोड़िए पार्टी के भीतर भी कोई बराबरी लायक चेहरा नहीं बचा है। अध्यक्ष होकर भी मदन कौशिक राजनीतिक रूप से असहज और असहाय अधिक दिखते हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी से बड़े बेआबरू होकर उतारे गए त्रिवेन्द्र सिंह रावत के ‘अच्छे दिन’ अभी दूर ही दिखाई दे रहे।
निशंक भी धाकड़ धामी की पीठ थपथपा अब नेपथ्य से ही दंगल देख पाने की स्थिति में हैं। रही बात धाकड़ धामी के मंत्रियों की तो अब न सतपाल महाराज को भाव मिलने वाला और धनदा के लिए तो चाहे कितनी भी दिल्ली दरबार की परिक्रमा कर आते हों लेकिन अभी भी दिल्ली दूर ही है। भगतदा के सियासी आशीर्वाद की हथेली है ही सिर पर!