देहरादून/दिल्ली: सियासी बिसात पर कब कौन-सा पासा पलटती बाजी बचाने में मददगार साबित हो जाए कहा नहीं जा सकता है। पहाड़ पॉलिटिक्स में 10 मार्च से पहले ही दांव-पेंच की पूरी बिसात बिछ चुकी है। सत्ताधारी भाजपा हो या विपक्षी कांग्रेस, अपने-अपने पत्ते खेलना शुरू कर चुके हैं। कहने को भले 60 पार और 48 प्लस सीट जीतने के दावे हो रहे हों लेकिन अंदर ही अंदर जन्नत की हकीकत से वाक़िफ़ भाजपा हो या कांग्रेस Plan B भी होमवर्क शुरू कर चुके हैं।
…तो क्या इसी प्लान बी पर होमवर्क के तहत भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पूर्व केन्द्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की याद आई? या फिर जमीनी फीडबैक के खातिर हरिद्वार सांसद के क्षेत्र में वोटिंग के बाद मचे घमासान ने भाजपा आलाकमान को बुलावे को मजबूर कर दिया? पिछले 24 घंटे में देहरादून से लेकर पहाड़ पॉलिटिक्स में नड्डा-निशंक मुलाकात के कई गहरे निहितार्थ निकाले जा रहे है।
किसी ने कह दिया निशंक को अगला प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा रहा! लेकिन बिना नतीजों के ऐसी बातें न केवल बेमानी हैं बल्कि बेतुकी भी प्रतीत होती हैं। ऐसे में क्या हरिद्वार भाजपा में जिस तरह से 14 फरवरी की वोटिंग के ठीक बाद से विधायक संजय गुप्ता के बयान से शुरू हुआ बवंडर स्वामी यतिंद्रानंद गिरी महाराज तक जारी रहने से भाजपा आलाकमान गुस्से में है! और स्थानीय सांसद के नाते निशंक को बुलाकर झगड़े पर कम से कम नतीजों तक मिट्टी डालने का मैसेज पहुँचाने को कहा गया है!
दरअसल, असल कहानी वह है जो हम आपको अब बताने जा रहे हैं। सूत्रों ने THE NEWS ADDA ख़ुलासा किया है कि ‘अबकी बार 60 पार’ महज़ एक नारा था जिससे भाजपा चुनाव में काफ़ी पहले किनारा भी कर चुकी है और अब नतीजे की घड़ी क़रीब आती जा रही तो उसके पास पुख़्ता फ़ीडबैक आ चुका है कि प्लान बी को लेकर उसे पसीना बहाना शुरू कर देना चाहिए। तो क्या इसीलिए नड्डा को निशंक की याद आई? जी हां अगर भाजपा के लिए प्लान बी की ज़रूरत आन पड़ी तो त्रिवेंद्र-तीरथ या धामी-कौशिक नहीं बल्कि निशंक जैसे दिग्गज खिलाड़ी को मैदान में उतारना पड़ेगा।
प्लान बी के तहत अगर भाजपा-कांग्रेस में किसी को भी बहुमत का जादुई आँकड़ा (36 सीटें) हासिल नहीं होता है तो फिर बाज़ी बसपा, यूकेडी या निर्दलीयों में जीतकर आने वालों के हाथों में होगी। ऐसे में भाजपा थिंकटैंक ने उन चेहरों को अपने रडार पर ले लिया है जिनको जीत नसीब हो सकती है। सूत्रों ने THE NEWS ADDA पर ख़ुलासा किया है कि भाजपा थिंकटैंक के अनुसार हरिद्वार जिले में बसपा कम से कम तीन से चार सीटों पर जीत की लड़ाई में हैं। लक्सर से मोहम्मद शहज़ाद, खानपुर से रविन्द्र पनियाला, मंगलौर से सरबत करीम अंसारी और भगवानपुर से सुबोध राकेश टक्कर दे रहे हैं। माना जा रहा है कि शहज़ाद से कौशिक के क़रीबी रिश्ते हैं तो सरबत से निशंक की बढ़िया छनती है। जबकि बसपा के दो धड़ों में सुबोध राकेश शहज़ाद के साथ माने जाते हैं जबकि पनियाला सरबत के साथ हैं।
इतना ही नहीं देवप्रयाग के दंगल में यूकेडी नेता दिवाकर भट्ट कांग्रेस प्रत्याशी मंत्री प्रसाद नैथानी से लड़ाई में हैं और भट्ट के निशंक के साथ अच्छे रिश्ते बताए जाते हैं। जबकि द्वाराहाट से यूकेडी प्रत्याशी पुष्पेश त्रिपाठी से भी दुआ-सलाम ठीक बताई जा रही है। केदारनाथ से निर्दलीय कुलदीप रावत के साथ भी निशंक के ठीकठाक संबंध बताए जाते हैं। ज़रूरत पड़ने पर यमुनोत्री से कांग्रेस के बागी निर्दलीय संजय डोभाल को लेकर भी निशंक को कॉन्फ़िडेंट बताया जा रहा है।
जाहिर है भाजपा आलाकमान जिनको दौड़ में देख रहा है, चाहे बसपा, यूकेडी या निर्दलीय हों, उनको मैनेज करना न त्रिवेंद्र रावत के बस में है और ना ही युवा सीएम पुष्कर सिंह धामी के प्रभाव में कोई भाजपा के साथ आता दिख रहा। लिहाज़ा भाजपा नेतृत्व ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री निशंक को मोर्चे पर लगने के संकेत दिए हैं। हालांकि निशंक के मैनेजमेंट के बावजूद धामी के आलाकमान में अभी भी नंबर पूरे बने हुए हैं। लेकिन इन सबसे आगे बड़ा सवाल यही है कि क्या जनता ने त्रिशंकु विधानसभा जैसा मैन्डेट दिया भी है!