हम आप’के हैं कौन! केजरीवाल ने 29 अप्रैल को कर लिया था किनारा, कर्नल की आज टूटी नींद, राजनीति से तौबा या भाजपा के दर पर देंगे दस्तक

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देहरादून: Colonel Ajay Kothiyal Resigns from AAM AADMI PARTY-AAP आम आदमी पार्टी के सहारे उत्तराखंड की कठिन सियासी डगर पर निकले कर्नल अजय कोठियाल ने बुधवार को टीम केजरीवाल से तौबा कर ली है। वैसे सियासत के जानकार मानते हैं कि 29 अप्रैल को ही दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने दीपक बाली को आम आदमी पार्टी की प्रदेश में कमान सौंपकर कर्नल कोठियाल को भविष्य की पटकथा दिखा दी थी। यह तो कर्नल कोठियाल ने 20 दिन इंतजार कर AAP से विदाई का औपचारिक ऐलान किया। वरना आपके THE NEWS ADDA ने बाली की ताजपोशी के साथ ही आप तक खबर पहुँचा दी थी कि इस नियुक्ति को लेकर न तो पूछा गया और न ही कर्नल ने AAP को लेकर खास आकर्षण बचा था। दीपक बाली के अध्यक्ष बनते कर्नल ने गैर हाज़िर रहकर अपनी नाराजगी भी दर्ज करा दी थी लेकिन लगता है कि दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल कर्नल को लेकर ‘तिलों में कितना तेल है’ भाँप चुके थे।

यूँ तो विधानसभा चुनाव से पहले कर्नल कोठियाल आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री चेहरे बनाएँ गए थे और खुद अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया जगह जगह उन्हें साथ लेकर घूमे भी। यह सोचकर कि फौजी वोटर्स में कर्नल का जादू चलेगा उन्हें चीफ मिनिस्टर चेहरा बनाया गया था लेकिन चुनाव प्रचार के समय ही केजरीवाल-सिसोदिया भांप चुके थे कि कर्नल कोठियाल को लेकर न फौजी वोटर्स में उत्साह दिख रहा है और ना ही यूथ फाउंडेशन के सहारे हज़ारों युवाओं को नौकरी दिलाने के नारे के एवज में युवा वोटर ही आकर्षित हो रहे हैं।

यही वजह रही कि चुनाव प्रचार के बीच ही टीम केजरीवाल का फोकस उत्तराखंड की बजाय पंजाब हो गया था। प्रचार के आखिरी दौर में तो नौबत यहाँ तक आ गई थी कि आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों को न तो सीएम चेहरे के नाते कर्नल स्पोर्ट करने पहुँचे और न ही दिल्ली से टीम केजरीवाल संसाधन मुहैया करा पाई। कर्नल भी गंगोत्री के सियासी भँवर में ऐसे उलझे कि जमानत ज़ब्त कराकर ही पहाड़ से नीचे उतरे। इस नतीजे ने केजरीवाल को भी यकीन दिला दिया कि दिल्ली या पंजाब जैसा करिश्मा हो सके ऐसा चेहरे कर्नल तो नहीं ही हो सकते। कर्नल भी जान चुके थे कि वे भले सेना में रहते कई मर्तबा माउंट एवरेस्ट की चोटी फतह कर गए हों लेकिन आम आदमी पार्टी का झंडा लेकर वे पहाड़ की पगडंडी भी नहीं चढ़ पाएंगे।

जाहिर है ‘हम आप’के कौन हैं’ वाली नौबत लाज़िमी थी लेकिन उससे बड़ा सवाल अब यही है कि क्या कर्नल अजय कोठियाल राजनीति के अखाड़े में अपनी पहली ही पारी में मिली करारी हार के बाद मान चुके हैं कि सेना में शौर्य दिखाने के बावजूद राजनीतिक लड़ाई लड़ना उनके बूते की बात नहीं है? या फिर लोकसभा चुनाव से पहले जिस तरह वे आरएसएस और भाजपा नेताओं के दरवाजे दस्तक दे रहे थे लेकिन टिकट पाने में नाकाम रहने के बाद पार्टी ज्वाइन करने से पीछे हट गए थे । लिहाजा अब लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर नए सिरे से संघ और भाजपा नेताओं की शरण में जाने का प्रयास करेंगे?

देखना दिलचस्प होगा कि कर्नल अजय कोठियाल यूथ फाउंडेशन के जरिए कोई नया रास्ता पकड़ने का माद्दा दिखाते हैं या फिर सत्ताधारी दल के दरवाजे दस्तक देकर चौबीस की बिसात पर मोदी मैजिक की कृपा बरसने का इंतजार करते हैं। फिलहाल तो केजरीवाल और कर्नल दोनों एक-दूसरे से यही पूछ रहे हैं.’हम आप’के हैं कौन’?


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