देहरादून: कांग्रेस नेतृत्व ने मैराथन मंथन और तमाम नेताओं से फ़ीडबैक लेने की लंबी प्रक्रिया के बाद उत्तराखंड की टीम-2022 घोषित कर दी है। धड़ेबाजी की शिकार प्रदेश इकाई के किसी भी नेता या कैंप को नाराज़ करने का जोखिम कांग्रेस नेतृत्व ने नहीं उठाना चाहा है। हालाँकि सबको ख़ुश करने के दबाव में प्रदेश नेतृत्व के नए चेहरों में 2017 के हारे नेताओं की भरमार जताया दिख रही। ये अलग बात है कि पार्टी कहेगी कि 2017 में कुछ को छोड़कर ज़्यादातर हारे थे लिहाज़ा दांव उन्हीं पर लगाना था।
ऐसा लगता है कि विधायक मनोज रावत, हरीश धामी और ममता राकेश जैसे चेहरे कहीं जगह पाते इसकी संभावना इसलिए भी कम हो गई क्योंकि पार्टी आलकमान पर हरदा कैंप और प्रीतम कैंप को साधे रखने का दबाव था। ऐसे में परफॉर्मर खोजने की बजाय एडजेस्टमेंट को वरीयता मिलती ज्यादा दिखी है। इसीलिए पंजाब फ़ॉर्मूला पार्टी की मजबूरी थी वरना पांच लोकसभा और 70 विधानसभा सीटों वाले सियासी तौर पर छोटे राज्य उत्तराखंड में पांच-पांच अध्यक्ष( एक अध्यक्ष व चार कार्यकारी अध्यक्ष) बनाने को मजबूर न होना पड़ता। यही फ़ॉर्मूला प्रदेश कांग्रेस के भीतर मची हुई कलह का द्योतक भी है।
2022 में जीत के चेहरे के तौर पर कैंपेन कमेटी अध्यक्ष बनाकर तवज्जो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को ही दी गई है। हरदा लगातार कोशिश भी यही कर रहे थे कि पार्टी को चेहरा देकर चुनाव में उतरना चाहिए। अब अघोषित तौर पर पार्टी आलाकमान ने उनको कैंपेन कमांडर बनाकर चेहरा बनाने की उनकी चाहत को सांकेतिक तौर पर ही सही तवज्जो दी है, भले घोषित तौर पर पार्टी का स्टैंड सामूहिक नेतृत्व वाला ही रहेगा।
अब हरीश रावत की वह मुराद पार्टी ने पूरी कर दी है जिसके तहत वह कहते रहे कि विरोधी पीसीसी के कार्यक्रमों में उनके पोस्टर-बैनर नहीं लगाते न उन्हें क़ायदे से बुलाया जाता है। अध्यक्ष के तौर पर संगठन की नई और अहम ज़िम्मेदारी के मुकाबले गणेश गोदियाल का तजुर्बा बहुत नहीं है लिहाजा उनकी तरफ से संगठन की बिसात हरदा ही बिछाएंगे। हालाँकि कार्यकारी अध्यक्षों की चौकड़ी तिलकराज बेहड़. प्रो जीतराम, रंजीत रावत और भुवन कापड़ी के ज़रिए गढवाल-कुमाऊं और तराई के क्षेत्रीय व सामाजिक संतुलन साधे ही गए हैं, साथ ही इस चौकड़ी में प्रीतम कैंप का पलड़ा भारी कर संतुलन भी बिठाया गया है। प्रदेश अध्यक्ष से CLP नेता बनाए गए प्रीतम सिंह को न केवल कार्यकारी अध्यक्षों के मामले में तवज्जो दी गई बल्कि चुनाव को लेकर बनाई गई तमाम कमेटियों में भी उनके कैंप को तवज्जो दी गई है।
कैंपेन कमेटी की अगुआई में हरदा को अपने कैंप के प्रदीप टम्टा उपाध्यक्ष और दिनेश अग्रवाल का साथ संयोजक के तौर पर मिला है। पार्टी ने नई सांगठनिक टीम के ऐलान के साथ ही तमाम समितियों का गठन कर बाकी नेताओं को एडजेस्ट करने की कोशिश की है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को समन्वय समिति की कमान दी गई है। जबकि नवप्रभात को मेनिफेस्टो कमेटी, प्रकाश जोशी को चुनाव प्रबंधन समिति, दिवंगत इंदिरा ह्रदयेश के बेटे सुमित ह्रदयेश को प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।
जाहिर है सीमित विकल्पों में पार्टी आलाकमान ने काफी वक्त लेकर किए गए अपने होमवर्क से सबको साधने की कसरत जरूर की है। अब सवाल एक ही है कि क्या ‘एकला चलो’ की चाहत पाले हरदा कैंप पार्टी आलाकमान के सामूहिक नेतृत्व के साफ संदेश के बाद पूर्व सीएम हरीश रावत को अग्रिम पंक्ति में खड़ा देखकर संतुष्ट हो जाएगा या फिर धारचूला विधायक हरीश धामी के ज़रिए निकली नाराजगी की लाइन आगे बढ़ाएगा!