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सियासत में हरदा होना भी आसां नहीं ! जब धामी कैबिनेट के यंगेस्ट मिनिस्टर सौरभ बहुगुणा की यूं तारीफ कर पूर्व CM ने बढ़ाया हौसला और दिया ये मैसेज

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Uttarakhand News: उत्तराखंड सियासत में हरीश रावत एक ऐसे किरदार हैं जिनके चाहने वालों की फौज है तो खफा रहने वालों का भी रेला! लेकिन बीच बीच में हरदा ऐसा कुछ कर जाते हैं कि उनके प्रशंसकों की तो खैर बात छोड़िए कट्टर प्रतिद्वंद्वी भी बोल लड़ते हैं कि हरीश रावत का जवाब नहीं! अब बार कांग्रेसी दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ऐसा ही कुछ किया है जिसकी चर्चा पहाड़ पॉलिटिक्स के कॉरिडोर्स में खूब हो रही है।

हुआ यूं कि सूबे की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में चार दिन तक चले विधानसभा के बजट सत्र के दौरान गन्ना मूल्य और गन्ना किसानों की बदहाली कांग्रेस के तरकश के सबसे धारदार तीरों में से एक था। इस मुद्दे पर कांग्रेस के धारदार तीरों का सामना करना था धामी सरकार के सबसे युवा और प्रदेश के गन्ना विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा को। हरिद्वार और उधमसिंहजनगर जिलों से गन्ना लेकर गैरसैंण विधानसभा पहुंचे कांग्रेस विधायकों ने चौतरफा घेराबंदी शुरू कर दी। लेकिन तैयारी कर विधानसभा सत्र में शिरकत करने पहुंचे गन्ना विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने एक एक विपक्ष के तरकश के हर तीर का तथ्यों और आंकड़ों के साथ जवाब देकर सबको लाजवाब कर दिया।

यही वजह रही कि ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में चल रहे विधानसभा के बजट सत्र की उस वक्त कार्यवाही देख रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद को सौरभ बहुगुणा की तारीफ करने से रोक नहीं पाए। हरदा ने कहा कि कांग्रेस विधायकों ने अपने तीखे तेवरों और चुटीले प्रश्नों से गन्ना विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा की खूब घेराबंदी की। लेकिन वे यहां मंत्री सौरभ बहुगुणा को भी शाबाशी देना चाहेंगे कि उन्होंने आंकड़ों और शब्दों के जाल से ऐसा आभास नहीं होने दिया कि वह कांग्रेस विधायकों के प्रश्नों के घेरे में हैं। हरीश रावत ने कहा कि मंत्री के सामने गन्ना किसानों को संतुष्ट करने की कठिन चुनौती हैं और उनको इकबालपुर चीनी मिल पर किसानों का बकाया भुगतान कराना भी सुनिश्चित करना है। इसके बावजूद गन्ना मंत्री सौरभ बहुगुणा के जवाब भले ही समाधानकारी न हों लेकिन चतुराईपूर्ण जरूर लगे।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गन्ना विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा को लेकर क्या कहा :

कल यूं ही मैंने #भराड़ीसैंण विधानसभा की कार्यवाही को देखने और विशेष तौर पर गन्ना किसानों के सवाल को लेकर हो रही चर्चा को सुनने की उत्सुकता में विधानसभा की कार्यवाही को देखा। कांग्रेस के सदस्यों ने चुटिले प्रश्नों के साथ मंत्री जी की घेराबंदी की। मगर मैं, मंत्री जी को भी शाबाशी देना चाहूंगा कि उन्होंने आंकड़ों और शब्दों के जाल से ऐसा आभास नहीं होने दिया कि वो, कांग्रेस के सदस्यों के प्रश्नों के घेरे में हैं! जबकि एक बहुत कठिन चुनौती है उनके सामने गन्ना किसानों को संतुष्ट करने की और उसके साथ-साथ #इकबालपुर_चीनी मिल पर जो #किसानों का बकाया है उसका भुगतान सुनिश्चित करने की! मंत्री जी के जवाब भले ही समाधानकारी न हों, मगर चतुराईपूर्ण थे।

हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री

जाहिर है ऐसे समय जब इस बार गैरसैंण में हुए विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस बेहद आक्रामक होकर बीजेपी सरकार पर हल्लाबोल करती नजर आई और सबसे कद्दावर मंत्री सतपाल महाराज अपने और विपक्षी दल के विधायकों के सवालों में घिरकर हांफते नजर आए तब सबसे युवा मंत्री होकर भी सौरभ बहुगुणा ने गन्ना किसानों से जुड़े बेहद जटिल मुद्दे पर हरदा जैसे दिग्गज की तारीफ बंटोर ली ये उनके सालभर के कामकाज की सबसे बड़ी कामयाबी कही जाएगी।

दरअसल,यह पहला मौका नहीं जब हरदा ने विरोधी दल के किसी नेता की तारीफ की हो। इससे पहले कई मौकों पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मौजूदा युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की भी कई मौकों पर मुक्त कंठ से प्रशंसा की है फिर भले यह कई कांग्रेसियों को अंदर ही अंदर नागवार गुजरा हो। लेकिन सौरभ बहुगुणा की सराहना करना और भी खास हो जाता है क्योंकि सौरभ पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के पुत्र हैं जिनकी हरदा से दोस्ती और अदावत पुरानी है।

file photo: Harish Rawat & Vijay Bahuguna

यह वक्त 2012 ने सूबे में कांग्रेस का एक विधायक अधिक जीतने के बाद सीएम खोजने और सरकार गठित करने का वक्त था। सियासत के जानकार कहते हैं कि तब हरदा, बहुगुणा के अलावा सीएम रेस में चार चेहरे- हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, सतपाल महाराज और दिवंगत इंदिरा हृदयेश थे। फिर समीकरण ऐसे बने कि चार को काटने के चक्कर में हरदा और बहुगुणा में खास “दोस्ती” हुई लेकिन हरदा गच्चा खा गए और सीएम कुर्सी बहुगुणा पा गए। फिर केदारनाथ आपदा आई और बहुगुणा की कुर्सी बहा ले गई और फरवरी 2014 में हरदा मुख्यमंत्री हो गए।

लेकिन हरदा-बहुगुणा की इस सियासत वाली खट्टी-मीठी “दोस्ती” में पक्की वाली ‘दरार’ 18 मार्च 2016 को तब पड़ गई थी, जब बहुगुणा की अगुआई में बगावत का झंडा थामे हरक सिंह रावत सहित नौ विधायक बीजेपी की बस में सवार हो चले। उसके बाद तो यदा कदा दोनों दिग्गजों के बयान बताते हैं कि अब उनकी ‘दोस्ती’ किस हाल में हैं।

बावजूद इसके हरदा ने जिस अंदाज में मंत्री सौरभ बहुगुणा की तारीफ कर हौसलाअफजाई की है यह उनके बड़प्पन और सियासत में अपने खास अंदाज की ही बानगी है जो विरोधियों को भी उनका प्रशंसक बनाती है। शायद हरदा का ये गुर बाकी नेताओं खासतौर पर युवा नेताओं को जरूर आत्मसात करना चाहिए क्योंकि सियासत में विरोधी की गलत नीतियों की कसकर आलोचना और अगर कोई अच्छा नजर आए तो उसकी बेहिचक तारीफ करने का माद्दा रखना ही एक असल राजनेता की गहराई का अहसास करा देता है।

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