Backdoor recruitment scam in Assembly of Uttarakhand, Congress & BJP in the same boat: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने से शुरू हुआ बवाल अब राज्य बनने के बाद से उत्तराखंड विधासनभा में ‘आवश्यकतानुसार और नियमानुसार’ जुमले की आड़ लेकर चलते आए बैकडोर भर्तियों के खेल तक पहुंच गया है।धामी सरकार में संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा पिछली विधानसभा में स्पीकर रहते की गई 72 नियुक्तियों पर बवाल शुरू हुआ था लेकिन इस आग में कांग्रेस सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहे गोविंद सिंह कुंजवाल भी बुरी तरह से झुलस गए। कुंजवाल द्वारा सादे कागज पर एक अर्ज़ी लेकर मर्ज़ी की नौकरी बांटने वाली चिट्ठियां वायरल होने लगी तो हमलावर कांग्रेस ही पसीना पसीना हो गई।
उधर, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बैकडोर भर्तियों के ख़ुलासे के बाद न केवल गोविंद सिंह कुंजवाल को निशाने पर लिया बल्कि अपने ही दल से जुड़े प्रेमचन्द अग्रवाल को भी नहीं बख़्शा। टीएसआर ने कुंजवाल और अग्रवाल दवारा स्पीकर के नाते अपने विशेषाधिकार के तहत ‘नियमानुसार और आवश्यकतानुसार’ विधानसभा में बैकडोर भर्तियों पर ढिठाई दिखाने पर आईना दिखाते हुए कहा कि पारदर्शिता राष्ट्रपति भवन से लेकर राजभवन और संसद से लेकर विधानसभाओं तक बरती जाने की जरूरत है तभी मर्यादाएं बचेंगी और लोगों का भरोसा भी। अब टीएसआर से यह सवाल किसी और दिन की आप चार साल मुख्यमंत्री की कुर्सी पर क़ाबिज़ रहते क्यों न गोविंद सिंह कुंजवाल द्वारा की गई 158 बैकडोर भर्तियों की जांच करा पाए और ना ही उससे पहले के विधानसभा अध्यक्षों द्वारा खेले गए खेल की पड़ताल की फुरसत निकाल पाए?
फिलहाल तो आप वो लिस्ट देखिए जिसमें कांग्रेस के कुंजवाल की तर्ज पर भाजपाई ‘कुंजवालों’ ने कैसे ‘अंधा बाँटे रेवड़ी फिर फिर अपनों को देय’ वाली कहावत को चरितार्थ कर दिया जब जब पार्टी की सरकार राज्य की सत्ता पर क़ाबिज़ हुई। आपका THE NEWS ADDA सोशल मीडिया में वायरल इस लिस्ट को आप तक पहुँचा रहा है जिसमें दिखाया गया है कि किस नेता का कौन करीबी किस पद पर विधासनभा में कार्यरत है। सवाल है कि अगर यह लिस्ट और इसमें दिग्गज नेताओं के सगे संबंधियों को लेकर जो दावे किए गए हैं वे सही हैं तो फिर इस स्थिति को ‘पूरे कुएं में भांग पड़ा होना’ ही कहा जाएगा।