चमोली: 18 मई को भगवान बदरी विशाल के कपाट ग्रीष्म काल के लिए खुल गए लेकिन कोरोना की वजह से चारधाम यात्रा स्थगित है। किसी भी तीर्थ यात्री को बदरीनाथ धाम दर्शन के लिए आने की अनुमति नहीं दी है। लेकिन इस वर्ष कोरोना गाइडलाइन के मद्देनज़र जो नई SOP तैयार की गई है उससे देवस्थानम बोर्ड और डिमरी पंचायत आमने-सामने हो गई है।
कोरोना गाइडलाइन के नियमानुसार भगवान बदरी विशाल के मंदिर में अभिषेक पूजन का समय सुबह 7:00 बजे से शाम को 7:00 बजे तक किया गया है जिस पर स्थानीय हक-हकूकधारी और तीर्थ पुरोहित लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं। डिमरी पंचायत और ब्रह्म कपाल तीर्थ पुरोहित के लोगों का कहना है कि भगवान बदरी विशाल का अभिषेक ब्रह्म मुहूर्त में किया जाता है, जोकि शंकराचार्य द्वारा बनाई गई परंपरा है।
जबकि देवस्थानम बोर्ड का कहना है कि 1970 के दशक में भगवान बदरी विशाल का अभिषेक प्रातःकाल 7:30 बजे किया जाता था, कुछ समय तक यह व्यवस्थाएं चलती रही, बाद में यात्रा जैसे-जैसे बढ़ती गई भगवान बदरी विशाल का अभिषेक प्रातः काल 4:30 बजे मंदिर खुलने के बाद होने लगा। देवस्थानम बोर्ड के इस बयान के बाद डिमरी पंचायत और ब्रह्म कपाल के तीर्थ पुरोहित नाराज हो गए है।
पूरे मामले में एक ओर जहां तीरथ सरकार की किरकिरी हो रही है तो वहीं दूसरी ओर देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों द्वारा दिए जा रहे अनाप-शनाप के बयानों से डिमरी पंचायत और पंडा पंचायत और ब्रह्म कपाल तीर्थ पुरोहित खासे नाराज दिखाई दे रहे हैं। उनका कहना है कि उत्तराखंड सरकार को इस पूरे मामले में हस्तक्षेप करके विवाद सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा बनाई गई पूजा पद्धति पर ही चल कर भगवान बद्री विशाल का अभिषेक करना चाहिए।
चिन्ता की बात यह है कि अभी तक न तो खुद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने ही पहल कर विवाद निपटारे के प्रयास किए हैं और ना ही धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज दोनों पक्षों से संवाद करते दिख रहे हैं।
रिपोर्ट: नितिन सेमवाल, पत्रकार, जोशीमठ