भू-कानून लागू करने के लिए सरकार को इतना सोचना क्यों पड़ रहा है? : नेता प्रतिपक्ष
क्यों सोई पड़ी है सरकार?: यशपाल आर्य
भू कानून के बहाने आर्य का सरकार पर अटैक
Uttarakhand News: भू कानून का मुद्दा फिर से गरमाने लगा है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भू कानून को लेकर धामी सरकार पर सोई होने का आरोप जड़ा है। आर्य ने अटैक किया है कि बीजेपी की धामी सरकार2.0 का पूरा एक साल बीत गया है लेकिन भू कानून लागू नहीं हो सका है। आर्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विधानसभा चुनाव से पूर्व कहा था, ” मित्रों! अब पहाड़ का पानी और जवानी दोनों पहाड़ के काम आएंगी।” उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार का वादा था नया जनहितकारी भू-कानून लाएंगे, जो कृषि एवं अन्य भूमि_व्यवस्था सुधार आयोग के तहत कार्य करेगा।
इस भू कानून के तहत भूमि की पैमाइश कर उसे सिंचित-असिंचित में वर्गीकृत किया जाएगा, जिसे किसानों और भूमिधारकों को सहूलियत होगी। यशपाल आर्य ने धामी सरकार पर निशाना साधा कि कमेटी बनी, सुझाव मिले, सुझावों को शामिल कर रिपोर्ट बनी, रिपोर्ट सरकार को सितम्बर 2022 में सौंप दी गई लेकिन सरकार आज तक एक सशक्त भू-कानून लाने में नाकाम साबित हुई है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण की लड़ाई जल, जंगल और ज़मीन को लेकर थी। मगर आज जल स्रोत सूख रहे हैं, जंगल घट रहे हैं, कृषि भूमि ग़ैर कृषि कार्यों के लिए धड़ल्ले से दी जा रही है। यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि सरकार से लगातार इस संदर्भ में प्रश्न पूछने पर रटा-रटाया जवाब मिलता है कि प्रदेश सरकार शीघ्र ही भू-कानून के परीक्षण से संबंधित गठित समिति की रिपोर्ट का गहन अध्ययन कर जनहित व प्रदेश हित में समिति की संस्तुतियों पर विचार करेगी और भू-कानून में संशोधन करेगी। लेकिन ऐसा लगता है कि उत्तराखण्ड सरकार अस्वस्थ है और देवभूमि की रक्षा के लिए भू-क़ानून दूर की कौड़ी बना हुआ है।
यशपाल आर्य ने कहा कि भूमि बचाना सिर्फ भूमि बचाना नहीं अपितु भाषा, संस्कृति, परंपराओं को जीवित रखना भी है। उन्होंने कहा कि कोई भी संस्कृति किराए पर जीवित नहीं रहती; परंपराएं जड़ से दूर होकर दम तोड़ देती हैं। आर्य ने कहा कि आज प्रदेश में बाहरी राज्यों के धनवान लोगों द्वारा बेरोकटोक भूमि का क्रय मनमाने ढंग से किया जा रहा है। इससे उत्तराखंड के छोटे किसान अपनी भूमि से बेदखल हो रहे हैं तथा बिचौलिए एवं भू माफिया प्रदेश के निर्धन निवासियों का शोषण कर रहे हैं।
यशपाल आर्य ने कहा कि बढ़ते जनसंख्या घनत्व व बेतरतीब अवैध निर्माणों से पर्यावरण असंतुलन तो बिगड़ा हैं ही, साथ ही डेमोग्राफिक चेंज भी बहुत तेजी से हो रहा हैं। उन्होंने कहा कि यदि इस प्रकार से जमीनों का विक्रय होता रहा तो भविष्य में इस पर्वतीय राज्य में युवाओं को कृषि, बागवानी, मौन पालन, पुष्प उत्पादन, पशुपालन डेयरी फल एवं सब्जी उत्पादन जैसे स्वरोजगार के लिए आवश्यक भूमि से वंचित होना पड़ेगा और आने वाली पीढ़ियों को टिकट बेरोजगारी एवं पलायन का सामना करना पड़ेगा।