चंडीगढ़/ देहरादून: शुक्रवार को पंजाब कांग्रेस के प्रभारी महासचिव हरीश रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस को टा-टा बाय-बाय करने की तैयारी कर रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह पर तीखा हमला बोला। रावत ने न केवल अमरिंदर सरकार के अलोकप्रिय होने का आरोप लगाया बल्कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कार्रवाई न करने को उनकी कुर्सी जाने की सबसे बड़ी वजह बताकर कैप्टन का क़सूर समझाया।
रावत ने कैप्टन पर भाजपा का मुखौटा बनने का आरोप लगाते कहा कि अमरिंदर सिंह तो कांग्रेस नेतृत्व ने न केवल दो बार मुख्यमंत्री बनाया बल्कि तीन बार प्रदेश कांग्रेस का प्रधान भी बनाया। रावत ने कहा कि कैप्टन के अपमान की थ्योरी बिलकुल गलत और बेबुनियाद है क्योंकि कांग्रेस ने उनको पूरा मान-सम्मान दिया है। रावत ने तीखा हमला बोलते कहा कि ऐसे संकट के समय कैप्टन को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ खड़े रहना चाहिए और अगर वे किसी भी तरह की मदद भाजपा तो पहुँचाते हैं तो यह उनकी पंथ निरपेक्ष छवि को नुकसान पहुँचाने वाला कदम होगा।
हरदा के तीखे हमले के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी उसी अंदाज में जवाबी हमला बोला है। कैप्टन के मीडिया एडवाइज़र रवीन ठुकराल ने पूर्व मुख्यमंत्री के हवाले से बाक़ायदा जवाबी हमला बोलते दो पेज ट्विटर पर पोस्ट किए है जिनमें कैप्टन ने हरदा के एक-एक वार पर चुन-चुनकर पलटवार किया है।
कैप्टन ने जवाबी हमला बोलते कहा है कि मेरा अपमान सारी दुनिया ने देखा है और रावत को मेरी जगह खुद को खड़ा कर इसे देखना चाहिए। कैप्टन ने तीखा हमला बोलते कहा कि अपने सीएम पद से इस्तीफे से तीन हफ्ते पहले उन्होंने खुद सोनिया गांधी को इस्तीफे की पेशकश की थी लेकिन तब कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष ने उन्हें पद पर बने रहने को कहा था। कैप्टन ने आरोप लगाते कहा कि सीएलपी मीटिंग बुलाकर मुझे इस्तीफा देने को कहा गया और यह सब जगज़ाहिर है कि इस तरीके से मुझे अपमानित कर इस्तीफा माँगा गया। कैप्टन ने कहा कि रावत हकीकत के विपरीत जाकर जाने क्यों विरोधाभासी दावे कर रहे हैं!
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हरीश रावत खुद मेरी सरकार की तारीफ करते कह चुके कि 2017 के चुनाव घोषणा पत्र वादे पूरे करने को लेकर संतोष जता चुके। कैंप्टन ने कहा कि पंजाब कांग्रेस प्रभारी रावत ने बाक़ायदा एक सितंबर को ही ऐलान किया था कि कांग्रेस 2022 का चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में ही लड़ेगी और पार्टी आलाकमान की नेतृत्व परिवर्तन की कोई मंशा नहीं है। अमरिंदर सिंह ने सवाल किया कि अब रावत कैसे दावा कर रहे कि कांग्रेस लीडरशिप मुझसे असंतुष्ट थी?
हरीश रावत के दबाव में होने संबंधी बयान को हास्यास्पद करार देते कैप्टन ने कहा कि पिछले कुछ महीनों उन पर इकलौता दबाव कांग्रेस के प्रति उनकी वफ़ादारी थी जिसके चलते वह तमाम तरह के अपमान का घूँट पीकर चुप रहे।
कैप्टन ने कहा,” अगर पार्टी की मंशा मेरा अपमान कराना नहीं थी तो फिर कैसे नवजोत सिंह सिद्धू को सोशल मीडिया में मेरी आलोचना करने की खुली छूट कैसे दी गई? पार्टी ने मेरे विरोधियों और सिद्धू के इशारे पर बागी तेवर अपनाए नेताओं को खुली छूट दी कि वे लगातार मेरी अथॉरिटी को चुनौती देते रहें? पार्टी ने पिछले साढ़े चार सालों में लगातार एक के बाद एक मिली चुनावी जीत का संज्ञान लेना क्यों गंवारा नहीं किया?”
हरीश रावत के पंथ निरपेक्ष छवि पर आँच आने संबंधी बयान पर कैप्टन ने कहा है कि मेरी सेकुलर छवि को लेकर मेरे राजनीतिक विरोधी और आलोचक भी संदेह नहीं करते लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार रावत, अब जब मेरी पंथ निरपेक्ष छवि पर शक कर रहे तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं हो रहा। साफ है अब पार्टी को न मुझ पर विश्वास रहा और न ही इतने सालों की मेरी वफ़ादारी की कोई क़द्र रही।
नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी से नहीं मिलने के हरीश रावत के आरोप पर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि उस दिन सीएम चन्नी ने शपथ ग्रहण को लेकर मुझे आमंत्रित किया था और मै जाने वाला भी था लेकिन किसी वजह से पहुंच नहीं पाया। कैप्टन ने हरीश रावत के कॉल रिसीव न करने के आरोप पर कहा, ”सीएलपी बैठक से एक दिन पहले हमारी बात हुई थी और हरीश रावत ने उस दिन दावा किया था कि उन्होंने 43 विधायकों के कांग्रेस नेतृत्व को लिखे पत्र को लेकर अपनी अनभिज्ञता जाहिर की थी। लेकिन अब मैं सदमे में हूँ जिस तरह से रावत साफ-साफ झूठ बोल रहे हैं।”
कैप्टन ने याद दिलाते कहा,”दो बार मुख्यमंत्री और तीन बार कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के नाते वह क़द्दावर नेताओं जिनमें
प्रणव मुखर्जी, मोती लाल वोरा, मोहसिना किदवई, मीरा कुमार और शकील अहमद आदि प्रदेश प्रभारियों के साथ काम कर चुके लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा कि रावत मेरे साथ ऐसा काम और बर्ताव क्यों कर रहे?”
कैप्टन ने रावत की अपमान वाली थ्योरी को गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद आगे बढ़ाने के आरोप को खारिज करते कहा कि इस मुलाकात से बहुत पहले ही वह कह चुके थे कि कांग्रेस ने उनको तीन बार अपमानित किया है। दो बार दिल्ली में सीएलपी मीटिंग और आखिरी बार चंडीगढ़ में सीएलपी मीटिंग बुलाकर उनका अपमान किया गया।
हरीश रावत पर सफ़ेद झूठ बोलने का आरोप लगाते अमरिंदर सिंह ने कहा कि वह 2017 के चुनाव घोषणा पत्र के 90 फीसदी वादे पूरे कर चुके थे और इन तथ्यों को झुठलाया नहीं जा सकता बल्कि किसी भी कसौटी पर परखा जा सकता है।