- सीएम धामी शासन-प्रशासन तंत्र को किया सक्रिय
- खुद भी ग्राउंड जीरो पर ले रहे राहत-बचाव कार्यों का जायजा
- बीते 48 घंटों में उत्तरकाशी और पौड़ी में हुए दो बड़े हादसे
- सीएम ने खुद संभाली कमान, पल-पल के घटनाक्रम पर पैनी नजर
देहरादून: प्राकृतिक आपदा हो या मानव जनित दुर्घटना अगर सूबे का सत्ता तंत्र संवेदनशील नजर आए तो भले मानवीय नुकसान की भरपाई न हो पाए लेकिन इंसानी जख्मों पर मरहम जरूर लगाई जा सकती है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यही संवेदनशील नेतृत्व उत्तरकाशी अवलांच और पौड़ी बस हादसे में फिर दिखाई दिया है। सीएम धामी ने ग्राउंड जीरो पर उतरकर न केवल घायलों का हाल चाल लेकर मुआवजे का एलान किया हिमस्खलन की चपेट में आए निम पर्वतारोहियों के रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लेकर जरूरी निर्देश भी दिए।
ज्ञात हो कि बीते 48 घंटों में उत्तराखंड को दो बड़े हादसों का सामना करना पड़ा है। मंगलवार सुबह करीब पौने नौ बजे उत्तरकाशी जिले के द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत चोटियों पर आए हिमस्खलन में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के ट्रैकर्स फंस गए जिसकी सूचना मिलते ही सीएम धामी ने जहां जिला प्रशासन, एसडीआरएफ और आपदा प्रबंधन तंत्र को तेजी के साथ राहत और बचाव अभियान चलाने के निर्देश दिए। वहीं केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से फोन पर बातचीत कर एयरफोर्स की मदद मांगी।
अभी सरकार उत्तरकाशी अवलांच को लेकर वॉर फुटिंग मोड में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही थी कि शाम होते होते पौड़ी जिले में बारातियों से भरी बस खाई में गिरने के हादसे की खबर आ गई। अवलांच हादसे के बाद लगातार भारत सरकार और उत्तरकाशी जिला प्रशासन से कोऑर्डिनेट कर रहे मुख्यमंत्री धामी ने आपदा कंट्रोल रूम पहुंचकर पौड़ी बस हादसे का फीड बैक लेना शुरू किया। जाहिर है हादसों के बाद सिस्टम ने जो तेजी और तत्परता दिखाई उससे कई जानों को बचाने में मदद मिल सकी और खुद सीएम ने आपदा कंट्रोल रूम से लेकर ग्राउंड जीरो पर उतरकर शासन प्रशासन को भी और अधिक अलर्ट कर दिया।
अब तक शांत समझा जाने वाले उत्तरकाशी जिले में स्थित द्रौपदी पर्वत में आए हिमस्खलन में NIM के कई प्रशिक्षार्थी चपेट में आ गए। शायद द्रौपदी पर्वत के शांत स्वभाव के चलते निम दल को जरा भी अहसास नहीं रहा होगा कि हिमस्खलन के रूप ने इस पर्वत चोटी का गुस्सा कई जिंदगी लील देगा। एवलांच के बाद चलाए जा रहे रेस्क्यू एंड रिलीफ ऑपरेशन में अब तक 22 लोगों को बचाये जाने की सूचना है। जबकि अभी कई लापता लोगों की तलाश जारी है। इस हादसे में अब तक 10 शव बरामद किए जा चुके हैं। इस हादसे की सूचना मिलते ही सीएम ने मामले में केंद्र से वार्ता की जिसके बाद एयरफोर्स ने भी रिलीफ आपरेशन में मदद की। बुधवार को सीएम खुद ग्राउंड जीरो पर मौजूद रहे और उन्होंने यहां घायलों का हाल जाना।
वहीं, बीती देर शाम जैसे ही सीएम को पौड़ी के सिमड़ी में बारातियों से भरी बस के खाई में गिरने की सूचना मिली तो वे बिना देर किए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ कार्यक्रम को छोड़कर सचिवालय स्थित आपदा कंट्रोल रूम पहुँचे और न केवल हादसे का पल-पल अपडेट लेते रहे बल्कि पूरे सिस्टम को सक्रिय करते हुए निर्देश जारी किए। सीएम ने आज यानी बुधवार के अपने सारे सरकारी कार्यक्रम भी रद्द कर दिए।
सीएम की आपदा कंट्रोल रूप पहुंचकर एक्शन में रहने का नतीजा रहा कि पौड़ी बस हादसे की सूचना पर एक्शन में आया पौड़ी जिला पुलिस और प्रशासन, एसडीआरएफ टीमों ने रात्रि के घने अंधेरे में ही बचाव और राहत कार्य शुरू कर दिया। आज सुबह भी पौ-फटते ही टीमें पुनः राहत कार्य मे जुट गई।
इस बीच मुख्यमंत्री आज पौड़ी में पहले घटनास्थल और फिर कोटद्वार बेस अस्पताल पहुँचे और घायलों का हालचाल जाना। साथ ही साथ राहत राशि भी घोषित की। इससे पहले मुख्यमंत्री ने दुर्घटनास्थल सिमड़ी पहुंचकर वहां ग्रामीणों से मुलाकात की और रात में उनके द्वारा किये गए रेस्क्यू कार्य के लिए आभार भी प्रकट किया। सीएम ने कहा कि फर्स्ट रेस्पांडर की भूमिका निभाने वाले ग्रामीणों को सरकार प्रोत्साहन राशि देगी।
जाहिर है बीते 48 घंटों में लगे इन दो हादसों के थपेड़ों ने उत्तराखंड को गहरा घाव दिया है लेकिन सीएम पुष्कर धामी ने सचिवालय या आवास में बैठने की बजाय पहले आपदा कंट्रोल रूम और फिर आज सुबह ग्राउंड जीरो पर घटनास्थल पहुंचकर सरकार के संवेदनशील होने का संदेश दिया है। वैसे यह पहला मौका नहीं जब मुख्यमंत्री धामी ने संकट में धरातल पर उतरकर खुद के प्रदेश का मुख्य सेवक होने के दावे का दम दिखाया है। शायद यही वजह है कि विभिन्न मुद्दों पर सरकार से मतभेद रखने वाले व्यक्ति, नेता और संगठन भी मानते हैं कि अटके और उलझे मुद्दों को अगर सुलझा सकते हैं तो वह सीएम पुष्कर ही हैं।