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दृष्टिकोण …तो यमकेश्वर से विधायक बनेंगे मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत

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पंकज कुशवाल का कॉलम:

  • फिलहाल उपचुनाव होने पर छाए हैं संशय के बादल
  • उपचुनाव हुए तो ऋतु खंडूड़ी की सीट से विधानसभा सदस्य बन सकते हैं तीरथ
  • छह विधायकों के सीट छोड़ने के प्रस्ताव व रिक्त गंगोत्री विधानसभा सीट भी तीरथ सिंह रावत के पास विकल्प

देहरादून: मार्च में अप्रत्याशित ढंग से मुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए तीरथ सिंह रावत के सामने संवैधानिक बाध्यता है कि 10 सितंबर से पहले उन्हें विधानसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित होना होगा। मार्च में बेहद नाटकीय राजनीतिक परिस्थितियों में चर्चा से गायब गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए घोषित किया गया, जबकि इससे पहले चर्चाओं में रहे सभी विधायक, सांसदों में वह शामिल नहीं थे। उनकी ताजपोशी के तुरंत बाद ही राज्य ने कोरोना महामारी का खतरनाक दौर देखा है। ऐसे में उनके शुरुआती दिन ही बड़े चुनौतीपूर्ण ढंग से बीते। फिलहाल मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को 10 सितंबर से पहले विधानसभा का सदस्य बनना होगा। मौजूदा हालातों को देखते हुए उपचुनाव होने पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं लेकिन यह भी लगभग साफ होता दिख रहा है कि अगस्त महीने के आखिर तक उपचुनाव हुए तो तीरथ सिंह रावत यमकेश्वर विधानसभा से विधायक ऋतु खंडूड़ी भूषण को दिल्ली की राह दिखाते हुए विधानसभा पहुंचेंगे।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के कुर्सी संभालते ही कोरोना महामारी की दूसरी लहर की भयानक चुनौती आन खड़ी हुई थी। हालांकि, शुरूआती दिनों में सल्ट विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी को मिली जीत ने उनका विजयी इस्तकबाल किया लेकि कोरोना महामारी ने उनकी क्षमता की पूरी परीक्षा ली। कोरोना नियंत्रण के प्रबंधन में वह कितने पास कितने फेल रहे हैं यह अलग चर्चा का विषय है लेकिन अब उनके सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती विधानसभा उपचुनाव जीतना है। मौजूदा हालातों को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि राज्य समय से पहले विधानसभा चुनाव में जा सकता है लिहाजा तीरथ सिंह रावत का उपचुनाव लड़ना तय नहीं है। हालांकि सब कुछ यथावत चलता रहा तो तीरथ सिंह रावत को अगस्त के आखिर तक उपचुनाव में जाना ही होगा। ऐसे में उनके सामने अपने लिए सेफ विधानसभा सीट खोजने की भी चुनौती हैं। अब तक छह विधायक उनके लिए सीट छोड़ने का प्रस्ताव दे चुके हैं तो वहीं दिवंगत विधायक गोपाल सिंह रावत के निधन के बाद गंगोत्री विधानसभा सीट भी रिक्त चल रही है। ऐसे में तीरथ सिंह रावत के सामने विकल्पों की भरमार है। लेकिन अब इस बात के ज्यादा आसार बनते दिख रहे हैं कि उपचुनाव लड़ने का समय आने पर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की सीट यमकेश्वर विधानसभा होगी। इसी के साथ ही ऋतु खंडूड़ी की लोकसभा जाने की राह भी खुल जाएगी।

पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल( रिटायर्ड) भुवनचंद्र खंडूड़ी के राजनीतिक शिष्य रहे तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनते ही इस बात की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी कि उनकी बेटी पौड़ी गढ़वाल संसदीय सीट से दिल्ली जाने की तैयारी में है। भुवनचंद्र खंडूड़ी की राजनीतिक विरासत संभालने विधानसभा चुनाव में उतरी ऋतु खंडूड़ी को उम्मीद थी कि उनके पिता के कद के अनुरूप उन्हें सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलेगी, लेकिन साढ़े चार साल में उनके हाथ निराशा ही लगी। पार्टी संगठन में उन्हें महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी जरूर दी गई है लेकिन वह इस जिम्मेदारी से बहुत खुश नजर नहीं आ रही हैं। वहीं, विधानसभा भी उन्हें रास नहीं आ रही है, ऐसे में उनकी दिल्ली वापिस लौटने की इच्छा भी बताई जा रही है। वहीं, भाजपा के लिए ऋतु खंडूड़ी को लोकसभा भेजने से कांग्रेस को भी तगड़ा झटका लगना तय है। कांग्रेस की ओर से भुवन चंद्र खंडूड़ी के पुत्र व ऋतु के भाई मनीष खंडूड़ी 2019 का लोकसभा चुनाव गढ़वाल संसदीय सीट से कांग्रेस के टिकट पर लड़ चुके हैं। मजबूत मोदी लहर में भी मनीष खंडूड़ी 28 फीसद वोट प्रतिशत के साथ दो लाख से अधिक वोट बंटोरने में कामयाब हुए थे और चुनाव के बाद भी लगातार सक्रिय बने हुए हैं। ऐसे में आने वाले लोकसभा चुनाव में मनीष खंडूड़ी भाजपा के लिए चुनौती बन सकते हैं। लिहाजा, ऋतु खंडूड़ी को गढ़वाल संसदीय सीट से लोकसभा भेजना भाजपा के लिए कांग्रेस पर एक बढ़त के तौर पर भी देखा जा सकता है।


वहीं, गंगोत्री विधानसभा उपचुनाव में मुख्यमंत्री स्वयं मैदान में उतरकर दिवंगत विधायक गोपाल सिंह रावत के परिजनों और उनके समर्थकों की नाराजगी भी मोल नहीं लेना चाहेंगे। साथ ही अन्य जिन विधायकों ने उन्हें अपनी सीट छोड़ने का प्रस्ताव दिया है उसमें से ज्यादातर लोकसभा जाने के इच्छुक हैं। लेकिन ज्यादातर भाजपा हाईकमान को पसंद न आने वाले चेहरे माने जाते हैं।

मंडल अध्यक्षों को लगाई फटकार
बीते दिनों उत्तरकाशी दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने लोक निर्माण विभाग गेस्ट हाउस में पार्टी पदाधिकारियों से मुलाकात की थी। बैठक में नगर मंडल अध्यक्ष सूरत सिंह गुसांई ने सबसे पहले उठकर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को गंगोत्री विधानसभा से रिक्त विधायक की सीट पर उपचुनाव लड़ने न्यौता दे दिया। पार्टी स्तर पर बिना विचार विमर्श के नगर मंडल अध्यक्ष की ओर से मुख्यमंत्री तीरथ रावत को चुनाव को न्यौता देने से बैठक में मौजूद ज्यादातर मंडल अध्यक्षों की चेहरे की हवाई उड़ गई। देखा-देखी सभी मंडल अध्यक्षों ने भी गुड बुक में आने के लिए मुख्यमंत्री को उपचुनाव गंगोत्री विधानसभा से लड़ने का न्यौता दे डाला। इस पर मुख्यमंत्री ने बैठक में मौजूद मंडल अध्यक्षों और पदाधिकारियों से पूछा कि इस संबंध में स्वर्गीय गोपाल सिंह रावत के परिजनों से विचार विमर्श किया गया तो मंडल अध्यक्ष बगले झांकने लगे। इस पर मुख्यमंत्री ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि दो बार गंगोत्री से विधायक रहे स्व. गोपाल सिंह रावत के परिवार को बिना विश्वास में लिए, उनसे बिना सलाह मशविरा किए बगैर पार्टी के मंडल अध्यक्षों के इस प्रस्ताव का कोई तुक नहीं बनता।
गौरतलब है कि 23 अप्रैल को गोपाल सिंह रावत के निधन के बाद से ही उनके विरोध में रहा खेमा लगातार मुख्यमंत्री को उत्तरकाशी आकर चुनाव लड़ने का न्यौता दे रहा है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और गोपाल सिंह रावत के धुर विरोधी रहे नेता तो विधायक रावत के निधन के तीसरे दिन ही देहरादून पहुंचकर मुख्यमंत्री को उत्तरकाशी से उपचुनाव लड़ने का न्यौता देकर सोशल मीडिया पर भी ऐलान कर दिया था।हालांकि कार्यकर्ताओं द्वारा गरियाये जाने के बाद उन्होंने उक्त फेसबुक पोस्ट को डिलिट कर दिया।

स्व. विधायक के पुत्र बने हुए सक्रिय
गंगोत्री विधायक स्व. गोपाल सिंह रावत के निधन के बाद से उनके पुत्र आदित्य रावत भी लगातार सक्रिय बने हुए हैं। जनसमस्याओं को लेकर अधिकारियों से मुलाकात, प्रदेश के नेताओं को जन समस्याओं के निस्तारण के पत्र भेजने से लेकर पुलिस विभाग को सीसीटीवी कैमरे उपलब्ध करवाने समेत लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनकर संबंधित से निस्तारण के लिए पत्राचार कर रहे हैं। ऐसे में यह संदेश भी साफ तौर पर दिया जा रहा है कि उपचुनाव में गोपाल सिंह रावत का परिवार चुनाव न केवल चुनाव लड़ने का इच्छुक है बल्कि पूरी तरह से तैयार होने के संकेत भी दे रहा है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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