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करनी और कथनी का अंतर: सीएम धामी अधिकारियों को कह रहे जुलाई तक पूरी कर लें तीसरी लहर की तैयारी, आंकड़े कुछ और ही कह रहे

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देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को तीसरी लहर से निपटने के लिए जुलाई तक सभी तैयारी पूरी कर लेने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने ये निर्देश सचिवालय में कोविड से बचाव के लिए की जा रही व्यवस्थाओं की समीक्षा बैठक के दौरान दिए। सीएम धामी ने निर्देश दिए कि कोविड से बचाव के लिए वैक्सीनेशन जरूरी है और टेस्टिंग पर भी ध्यान दिया जाए। इसी दौरान स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने बताया कि वैक्सीनेशन में उत्तराखंड देश में पाँचवें स्थान पर है और तीसरी लहर को लेकर पूरी तैयारी है।

अब ऐसे समय जब प्रदेश में डेल्टा प्लस वैरिएंट का मामला आ चुका है और देश-प्रदेश पर तीसरी लहर का खतरा मँडरा रहा यहाँ कोविड जंग में कथनी और करनी की हकीकत उजागर हो जाती है एसडीसी फ़ाउंडेशन द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के हवाले से:-
दरअसल कोरोना से मृत्युदर के मामले में उत्तराखंड पंजाब के बाद लगातार दूसरे नंबर पर बना हुआ है ये अपने आप में एक ख़तरनाक संकेत है। लेकिन सबसे चिन्ताजनक है लगातार घटती टेस्टिंग और वैक्सीनेशन। एक अनुमान के अनुसार बीते जून के आखिरी हफ्ते और जुलाई के पहले हफ्ते की ही तुलना करें तो इस महीने के पहले सात दिनों में 18 फ़ीसदी कम टीकाकरण हुआ है। एसडीसी फ़ाउंडेशन के अनुसार 24 से 30 जून के 7 दिनों में जहां, 4,85,217 टीके लगाए गए, वहीं 1 से 7 जुलाई के बीच 3,96858 टीके ही लगे। यानी टीकाकरण में तेजी की बजाय महज एक हफ्ते में 88,359 खुराकें कम दी गई।

8 और 9 जुलाई को भी टीकाकरण में कमी दर्ज की गई है। टेस्टिंग बढ़ाने पर जोर पूर्ववर्ती सीएम तीरथ सिंह रावत देते रहे. पूर्व मुख्य सचिव ओमप्रकाश रोजाना 40 हजार टेस्टिंग का टारगेट सेट करते रहे लेकिन हकीकत ये है कि पिछले तीन महीने के सबसे निचले स्तर पर टेस्टिंग इस समय हो रही है। ये अलग बात है कि नए मुख्यमंत्री धामी ने भी टीकाकरण और टेस्टिंग तेज करने के निर्देश देने शुरू कर दिए हैं।
पिछले क़रीब तीन महीनों में या कहिए 13 हफ्ते में लगातार टेस्टिंग की रफ्तार कम होती गई है और बीते हफ्ते में ये सबसे कम 1,59,779 रही है।


एसडीसी फ़ाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष अनूप नौटियाल कहते हैं कि ऐसे में जब खतरा तीसरी लहर का है तब टेस्टिंग और टीकाकरण की रफ्तार धीमी पड़ना गम्भीर चिन्ता का विषय है। इन सब चिन्ताओं के बीच कोविड एपरोप्रिएट बिहेवियर तार-तार हो रहा जो और भी चिन्ताजनक है। राजनीतिक स्थितियों के बावजूद उत्तराखंड प्रदेश के नई ऊर्जा के साथ टीकाकरण, टेस्ट और जनजागरण पर काम करने की जरूरत है।

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