देहरादून: अब तक शहरी क्षेत्रों में मौत का तांडव मचा रहा कोरोना गाँव की पगडंडी पकड़ चुका है। पहाड़ के गांवों में कोरोना संक्रमण तेजी से पांव पसार रहा है। पिथौरागढ़, चंपावत, अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, टिहरी के साथ यूएसनगर, हरिद्वार और देहरादून जिले के ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना तेजी से फैल रहा है। पहाड़ से मैदान तत्व ग्रामीण क्षेत्रों में एक संकट ये भी बना हुआ है कि अक्सर मरीज़ या तो कोरोना जाँच से पूरी तरह परहेज़ कर रहे या फिर तब तक नहीं बताते जब तक तबियत ज़्यादा न बिगड़ जाए। उत्तराखंड में ग्रामीण अंचल में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल किसी से छिपा नहीं है ख़ासतौर पर पहाड़ के गाँवों के सामने कोरोना महामारी की चुनौती से निपटने का संकट और कठिन है।
देश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में कोरोना संक्रमण को रोकना केन्द्र से लेकर राज्य सरकारों के लिए दूसरी लहर में और सबसे कठिन चुनौती हो सकती है। प्रधानमंत्री मोदी दो दिन पहले ही ग्रामीण क्षेत्रों को कोरोना संक्रमण से सचेत रहने को कह चुके हैं।अब केन्द्र सरकार ने कोरोना जंग में गाँवों के लिए राज्यों को गाइडलाइन भेजी है। केन्द्र की गाइडलाइन के अनुसार गाँवों में संक्रमण रफतार न पकड़े इसके लिए आशा कार्यकत्रियों को ज़ुकाम-बुखार की मॉनिटरिंग और संक्रमण की स्थिति में कम्युनिटी हेल्थ अफसर को फोन पर मामले देखने को निर्देशित किया गया है। साथ ही एएनएम को रैपिड एंटीजन टेस्ट का प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए गए हैं।
केन्द्र की गांव के लिए ये है गाइडलाइन:-
- निगरानी और उपचार
- गांव में ज़ुकाम-बुखार के केस की निगरानी आशा कार्यकत्री करें। साथ में हेल्थ सैनिटाइजेशन और पोषण समिति रहेगी।
- कोरोना लक्षण मिलने पर कम्यूनिटी हेल्थ अफसर तत्काल फोन पर केस संभालें।
गंभीर मरीजों का ऑक्सीजन लेवल घटने पर हायर सेंटर रेफर करें।
ज़ुकाम-बुखार और साँस संबंधी इनफ़ेक्शन के लिए हर उपकेन्द्र पर निश्चित समय तय कर ओपीडी चलाई जाए। - संदिग्धों के स्वास्थ्य केन्द्रों पर रैपिड एंटीजन टेस्ट किए जाएं या निकट के कोविड सेंटर सेंपल भेजे जाएँ।
एएनएम को भी रैपिड एंटीजन टेस्ट की ट्रेनिंग दी जाए। हर स्वास्थ्य केन्द्र या उपकेन्द्र तक रैपिड एंटीजन टेस्ट किट पहुँचाई जाए।
सवास्थ केन्द्रों पर टेस्ट के बाद मरीज को रिपोर्ट आने तक आइसोलेट रहने की सलाह दें ।
बिना लक्षण वाले व्यक्ति जो किसी संक्रमित के संपर्क में आएँ हैं उनको क्वारंटाइन होने की सलाह दें और उनका टेस्ट भी करें।
कॉंट्रेक्ट ट्रेसिंग की जाए, ICMR की गाइडलाइंस के अनुरूप।
- होम एवं कम्युनिटी आइसोलेशन :-
- लगभग 80-85 फ़ीसदी केस बिना लक्षण के आ रहे जिन्हें अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत नहीं बल्कि घर या कोविड केयर फ़ैसिलिटी में आइसोलेट किया जाए।
- मरीज़ होम आइसोलेशन में गाइडलाइंस का पालन करे और परिजन भी उसी अनुरूप क्वारंटीन हों।
- होम आइसोलेशन में मॉनिटरिंग:-
- कोविड मरीज़ के ऑक्सीजन का लेवल जाँचना बेहद ज़रूरी है। गाँवों में पर्याप्त मात्रा में पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर हों।
- आशा कार्यकत्री, आंगनबाड़ी वर्कर और गाँव के स्वयंसेवियों की मदद से ऐसा सिस्टम बने कि पॉज़ीटिव मरीज़ों को ज़रूरी उपकरण दिलाने में मदद मिले।
- हर बार प्रयोग करने के बाद थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर को अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर में भीगे कपड़े से सैनिटाइज करें।
- क्वारंटीन और होम आइसोलेशन वाले मरीज़ों की लगातार जानकारी लेने के लिए फ्रंटलाइन वर्कर्स, स्वयंसेवी और शिक्षक दौरा करें। इस दौरान ख़ुद भी संक्रमण से बचाव के प्रोटोकॉल का पालन करें।
- होम आइसोलेशन किट मुहैया कराए जाएँ, जिनमें पैरासीटामॉल 500mg, आइवरमेक्टीन टैबलेट, कफ सीरप, मल्टीविटामिन शामिल हों। सावधानी बरतने की जागरूकता को प्रकाशित सामग्री जैसे पम्पलेट, पुस्तिका इत्यादि। एक कॉन्टेक्ट नंबर भी देना होगा जिस पर तबियत बिगड़ने या सुधरने या फिर डिस्चार्ज होने संबंधी जानकारी ली/दी जा सके।
- मरीज़ की तबियत बिगड़ने जैसे साँस लेने में तकलीफ़। 94 फ़ीसदी से नीचे ऑक्सीजन लेवल आने पर, सीने में लगातार दर्द या दबाव, दिमागी भ्रम या भूलने की स्थिति में तुरंत डॉक्टर से कॉन्टेक्ट करें।
- अगर मरीज़ का ऑक्सीजन लेवल 94 फ़ीसदी से नीचे आ गया है तो उसे ऑक्सीजन बेड युक्त स्वास्थ्य केन्द्र भेजा जाए।
- एसिम्प्टोमेटिक सैंपलिंग के 10 दिन बाद और लगातार तीन दिन बुखार न आने की स्थिति में मरीज़ होम आइसोलेशन ख़त्म कर सकता है और उसकी टेस्टिंग की ज़रूरत भी नहीं ।