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हरक पर सियासी सक्रियता का पड़ा फ़र्क! ईडी ने 70 करोड़ से ज़्यादा की ज़मीन की अटैच

निकाय चुनाव में आक्रामक तेवरों के साथ सत्ताधारी बीजेपी और केंद्रीय जांच एजेंसियों पर हमलावर पूर्व मंत्री डॉ हरक सिंह रावत की घेराबंदी तेज।

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ED’s biggest action against Harak Singh Rawat: उत्तराखंड में चल रहे निकाय चुनाव के प्रचार में लगातार ‘कांग्रेस आई-कांग्रेस छाई’ नारा लगाकर सियासी तापमान गरमा रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ हरक सिंह रावत पर प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने शिकंजा कस दिया है। ED ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए हरक सिंह रावत से जुड़ी सौ बीघा से ज़्यादा क़रीब 70 करोड़ को ज़मीन अटैच कर दी है। ज्ञात हो कि पूर्व मंत्री हरक जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क को पाखरो टाइगर सफारी से जुड़े मामले में केंद्रीय जाँच एजेंसी के निशाने पर हैं।

 

बीती 20 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व वन मंत्री रहे डॉ हरक सिंह रावत पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने हरक सिंह की सहसपुर स्थित 70 करोड़ रुपए से ज़्यादा की करीब 101 बीघा ज़मीन को तात्कालिक रूप से अटैच कर लिया है। इसी भूमि पर हरक सिंह रावत के बेटे तुषित रावत दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस का संचालन कर रहे हैं। दिसंबर 2024 में जब ईडी ने दोनों प्रकरण में जांच और पूछताछ तेज की थी, तभी से माना जा रहा था कि केंद्रीय जांच एजेंसी कुछ बड़ा एक्शन करने वाली है। यहाँ यह भी ध्यातव्य है कि वर्तमान में कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत पूर्व की त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में वन मंत्री थे और उसी दौरान का यह कथित पाखरो टाइगर सफारी अवैध पेड़ कटान घोटाला है।

ईडी के सूत्रों के अनुसार पूर्व वन मंत्री के करीबी बीरेंद्र सिंह कंडारी और नरेंद्र कुमार वालिया ने हरक सिंह रावत के साथ आपराधिक साजिश करते हुए एक जमीन की दो पॉवर ऑफ अटॉर्नी पंजीकृत कराई। हालांकि, कोर्ट ने संबंधित भूमि के विक्रय विलेख रद्द कर दिए थे। बावजूद इसके भूमि को अवैध रूप से हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत और उनकी करीबी लक्ष्मी राणा को बेचा जाना दिखाया गया।

 

पिछले साल संबर में ईडी इस प्रकरण में हरक सिंह की पत्नी दीप्ति रावत, करीबी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा के साथ उनके पुत्र तुषित रावत को भी पूछताछ के लिए बुला चुकी है। उस दौरान ईडी ने सहसपुर की भूमि को लेकर भी तमाम सवाल किए थे। ED ने इस कार्रवाई के बाद जानकारी देते हुए कहा है कि भूमि खरीद मामले में मनी लॉन्ड्रिंग यानी पीएमएलए के तहत कार्रवाई की गई है।

 

ईडी ने हरक सिंह रावत से जुड़े कार्बेट टाइगर सफारी के घपले के साथ भूमि खरीद प्रकरण पर भी जांच शुरू की थी। जबकि ईडी फरवरी 2024 में दोनों मामलों में उत्तराखंड समेत हरियाणा व दिल्ली में 17 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी भी कर चुकी है। जिसमें ईडी की 17 टीमों ने पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के देहरादून में डिफेंस कालोनी स्थित आवास, उनके बेटे के सहसपुर के शंकरपुर स्थित दून इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज समेत उनसे जुड़े करीबी अधिकारियों, उत्तराखंड के वरिष्ठ आइएफएस अधिकारी सुशांत पटनायक व पेड़ कटान में आरोपित सेवानिवृत्त प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) किशन चंद के हरिद्वार के आवास पर जांच की थी।

साथ ही हरक सिंह रावत के निजी सचिव रहे बीरेंद्र कंडारी के दून स्थित आवास, उनके करीबी नरेंद्र वालिया के ऋषिकेश में गंगानगर स्थित अपार्टमेंट, हरिद्वार रोड पर छिद्दरवाला स्थित लक्ष्मी राणा के अमरावती पेट्रोल पंप, काशीपुर में भाजपा के जिला मंत्री अमित सिंह के आलू फार्म स्थित आवास पर भी जांच की गई। इसके अलावा हरक सिंह रावत के श्रीनगर गढ़वाल में श्रीकोट स्थित गहड़ के पैतृक आवास और उनके करीबियों के अन्य ठिकानों को कवर किया गया था।

छापेमारी में ईडी ने 1.10 करोड़ रुपये, 80 लाख रुपये का 1.3 किलो सोना, 10 लाख रुपये की विदेशी मुद्रा जब्त की थी। साथ ही उल्लेख किया गया था कि कार्रवाई में कई बैंक लॉकर्स, डिजिटल डिवाइस को सीज किया गया है और अचल संपत्ति के बड़ी संख्या में दस्तावेज जब्त किए गए हैं। इसके बाद ईडी जरूरत पड़ने पर समन भेजकर हरक सिंह रावत समेत उनकी पत्नी दीप्ति रावत, पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं, लक्ष्मी राणा और अन्य को बुलाती आ रही है।

जिम कार्बेट का पाखरो टाइगर सफारी पेड़ कटान प्रकरण

जिम कार्बेट नेशनल पार्क में पाखरो टाइगर सफारी प्रकरण में सीबीआई ने अक्टूबर 2023 में मुकदमा दर्ज किया, जबकि दिसंबर 2023 में ईडी की एंट्री हुई। ईडी फरवरी 2024 में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत समेत उनके करीबियों और कई वन अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी भी कर चुकी है। पाखरो रेंज में टाइगर सफारी के लिए पेड़ों के अवैध कटान का मामला तब सामने आया था, जब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने इस संबंध में मिली शिकायत की स्थलीय जांच की। साथ ही शिकायत को सही पाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की गई। इस प्रकरण की अब तक कई एजेंसियां जांच कर चुकी हैं। यह बात सामने आई है कि सफारी के लिए स्वीकृति से अधिक पेड़ों के कटान (163 के सापेक्ष 6000 से अधिक) के साथ ही बड़े पैमाने पर बिना वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति के निर्माण कराए गए।

 

इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने भी कड़ा रुख़ अपनाया था।सुप्रीम कोर्ट की उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने इस प्रकरण में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह की भूमिका पर भी प्रश्न उठाते हुए उन्हें भी जिम्मेदार ठहराया था। भारतीय वन सर्वेक्षण की सेटेलाइट जांच में यहां छह हजार से ज्यादा पेड़ों के कटान की बात सामने आई थी। मामले में दो आएफएस पर भी कार्रवाई की जा चुकी है।

मुख्यमंत्री धामी के आदेश पर खुली परत, दर्ज किया गया था मुकदमा

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर वर्ष-2022 में विजिलेंस के हल्द्वानी सेक्टर में इस मामले मे मुकदमा दर्ज किया गया। जांच के बाद विजिलेंस ने एक आरोपी बृजबिहारी शर्मा को गिरफ्तार किया और इसके बाद 24 दिसंबर 2022 को पूर्व डीएफओ किशनचंद को भी गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में विजिलेंस न्यायालय में आरोपपत्र भी दाखिल कर दिया था। विजिलेंस ने उसी वर्ष 30 अगस्त को पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत के परिवार से संबंधित देहरादून में एक शिक्षण संस्थान और एक पेट्रोल पंप पर भी छापा मारा था। इस बीच उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआइ ने विजिलेंस से जांच संबंधी दस्तावेज हासिल किए और मुकदमा दर्ज कर जांच शुरु की।

पाखरो टाइगर सफारी मामले में रिटायर्ड आइएफएस की 31.8 करोड़ की संपत्ति जब्त कर चुकी ईडी

ईडी दिसंबर 2023 में अटैच की गई रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी किशन चंद की हरिद्वार-रुड़की में स्थित 31.8 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त कर चुकी है। इन संपत्ति में रुड़की में स्कूल, स्टोन क्रशर, भवन और भूमि शामिल हैं। कार्बेट टाइगर रिजर्व के प्रकरण में ईडी से पहले उत्तराखंड विजिलेंस और सीबीआई भी शिकंजा कस चुकी है।

 

हालांकि, विजिलेंस पर ढुलमुल रवैया अपनाने के आरोप लगने के चलते नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर मामले में सीबीआई ने अक्टूबर 2023 में मुकदमा दर्ज किया। इसी क्रम में दिसंबर 2023 में ईडी ने भी एंट्री ली। साथ ही प्रकरण में भाजपा की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में वन मंत्री रहे डॉ हरक सिंह रावत, अन्य वन अधिकारियों और पूर्व मंत्री के करीबियों व परिजनों को भी जांच के दायरे में लिया गया और उसी क्रम में सीबीआई के साथ साथ ईडी की जांच जारी है।

 

क्या हरक पर पड़ेगा भारी फरक? 

 

किसी ज़माने में उत्तराखंड की राजनीति में स्वयं घोषित शेर ए गढ़वाल रहे डॉ हरक सिंह रावत का वक्त पिछले कुछ सालों से ठीक नहीं चल रहा है। पहले 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेताओं के साथ पालाबदल को लेकर गुपचुप पींगे बढ़ाने के आरोप में बीजेपी से बर्खास्तगी हुई और फिर विधानसभा चुनाव में पुत्रवधू को जीत दिलाने में भी सफल नहीं हो पाए। उसके बाद से लगातार कभी सीबीआई और कभी ED की जांच में उलझते हुए हरक सिंह रावत सियासत की पगडंडी से उतरते दिखाई दे रहे हैं। निकाय चुनाव में सक्रिय होकर कांग्रेस आई कांग्रेस छाई का नारा बुलंद करते हुए ED को निशाने पर ले रहे थे लेकिन अब केंद्रीय जांच एजेंसी ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। देखना दिलचस्प होगा कि क्या हरक सिंह रावत दोबारा सियासी खेल में असरदार हो भी पाएंगे कि नहीं!

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