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गोल्डन कार्ड को सफ़ेद हाथी बनाए रखने पर तुले नौकरशाह: स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत का वादा भी अफसरों ने पहुंचाया ‘आईसीयू’ में, एक महीना गुज़रा एक कदम आगे नहीं बढ़ी फाइल, सचिवालय संघ का 5 सितंबर का अल्टीमेटम, फिर होगा आक्रामक आंदोलन

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देहरादून: उत्तराखंड की बेलगाम नौकरशाही का एक और मामला सामने आया है। अभी तक कैबिनेट सब कमेटी रिपोर्ट कैबिनेट तक नहीं पहुँचने को लेकर मंत्री गुस्साए दिख रहे थे। लेकिन गोल्डन कार्ड को लेकर तो अफ़सरशाही ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के आश्वासन को ही ‘आईसीयू’ पहुँचा दिया है। दरअसल, गोल्डन कार्ड योजना को अटल आयुष्मान योजना से पृथक करने, कार्मिकों से जुड़ी इस स्वास्थ्य योजना को CGHS की दरों पर संचालित करने तथा नये सिरे से सम्पूर्ण चिकित्सालयों को सूचीबद्व करने को लेकर सचिवालय संघ कई महीनों ले संघर्ष कर रहा है।

एक महीने पहले संघ की उपस्थिति में स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत द्वारा सम्बन्धित पत्रावली को अनुमोदित कर देने के बाद भी अब तक प्रकरण को मंत्रिमण्डल के समक्ष न रखा जा सका है। तथा न ही एक माह की अवधि बीत जाने पर इसका संशोधित शासनादेश निर्गत किया गया है। इसे लेकर अब उत्तराखंड सचिवालय संघ द्वारा सचिव स्वास्थ्य व वित्त के प्रति गहरा आक्रोश व्यक्त किया गया है।
संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी द्वारा कार्मिकों, पेन्शनर्स व उनके परिवार के आश्रितों से जुड़ी इस महत्वपूर्ण मांग को लटकाने और सरकार तथा स्वास्थ्य मंत्री के आदेशों का भी पालन न करने पर कड़ा एतराज जताया है। संघ ने इसे कर्मचारियों की मांगों पर नौकरशाही के हावी होने का यह सबसे ज्वलन्त उदाहरण बताया है क्योंकि यह योजना कार्मिकों, पेन्शनर्स के प्रतिमाह अंशदान की कटौती से चलती जरूर है लेकिन किसी भी कार्मिक, पेंशनर्स व परिवार के आश्रित को इस योजना का अपेक्षित लाभ अब तक नही मिल पाया है। आलाधिकारियों की मनमानी और कर्मचारी विरोधी मानसिकता से काम करने की प्रणाली ही इस राज्य को हड़ताली प्रदेश बनाये हुए है।

सचिवालय संघ के अध्यक्ष द्वारा स्पष्ट रूप से चेतावनी दी गई है कि यदि सचिवालय संघ की माँगों के प्रति आला अधिकारियों का यही हाल और रूख कायम रहा तो निश्चित रूप से संघ द्वारा 5 अगस्त को दिए गए 1 माह के अल्टीमेटम के बाद ऐसे अधिकारियों की कार्य प्रणाली के विरूद्ध सचिवालय सेवा संवर्ग की लम्बित मांगों सहित प्रदेश कार्मिकों से जुड़ी इन सभी काॅमन माँगों को मनवाने के लिये राज्य में अब सबसे पहले सचिवालय संघ का ही आन्दोलन होगा। आंदोलन ऐसा कि इसकी कल्पना शायद ही ऐसे अधिकारी कर पाएँ।

सचिवालय संघ राज्य की सर्वोच्च कार्यालय इकाई का एक गरिमामयी संघ है, जिसे इतने हल्केपन में लिया जाना ऐसे अधिकारियों को सचिवालय में होने वाले बड़े आन्दोलन को देखते हुए महंगा साबित हो सकता है। सचिवालय संघ सरकार से अपनी मांगों को मनवाने के हर पहलू जानता है तथा पूर्ण रूप से अपनी मांगों को मनवाने को लेकर सक्षम भी है। सचिवालय संघ द्वारा दिये गये 1 माह के अल्टीमेटम की अवधि 5 सितम्बर को पूर्ण होने तक संघ प्रतीक्षारत है तथा सरकार और ऐसे मनमाने अधिकारियों को सम्पूर्ण समय देने का पक्षधर है। इस अवधि के बाद का जो आक्रामक आन्दोलन होगा, वह सरकार व ऐसे नौकरशाही के लिये देखने लायक होगा।

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