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कर्मचारियों का 300 करोड़ का अंशदान वापस करें स्वास्थ्य मंत्री – दीपक जोशी

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गोल्डन कार्ड सफेद हाथी, टालमटोल करता स्वास्थ्य प्राधिकरण,
अब कार्मिक महासंघ ने मांग लिया स्वास्थ्य मंत्री से कार्मिकों के 250-300 करोड़

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देहरादून: प्रदेश के लाखों कार्मिकों, शिक्षकों पेंशनर्स व उनके परिवार के आश्रितों को गोल्डन कार्ड की बेहतर चिकित्सा सुविधाओं से नवाजे जाने के आशय से प्रदेश के कर्मचारी, शिक्षकों व पेंशनर्स की भावनाओं के अनुरूप कड़े संघर्ष के बाद नवंबर 2021 में प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रदेश के कार्मिकों के प्रति एक अच्छी सोच व त्वरित निर्णय लिए जाने की मंशा के अनुरूप सरकार के स्तर से गोल्डन कार्ड की योजना को एसजीएचएस के स्थान पर सीजीएचएस की दरों पर चलाए जाने के सकारात्मक व उपयोगी निर्णय हुआ है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के स्तर से सरकार की मंशा के विपरीत गोल्डन कार्ड की योजना में बर्ती गई उपेक्षा पूर्ण व उदासीन कार्यप्रणाली तथा अव्यवस्थाओ को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे उत्तराखंड अधिकारी कार्मिक शिक्षक महासंघ द्वारा कल स्वास्थ्य मंत्री के स्तर पर बैठक की गई । इस बैठक के बाद गोल्डन कार्ड के नाम पर पुनः एक समिति बनाकर एक माह का जो झुनझुना प्रदेश के कर्मचारियों को पकड़ाया गया है, उसके विरूद्ध आज तीखी प्रतिक्रिया दी गई है।

महासंघ का आरोप है कि स्वास्थ्य मंत्री मात्र आयुष्मान योजना को लेकर गंभीरता दिखा रहे हैं तथा राज्य के कर्मचारी, पेंशनर्स के अंशदान पर संचालित की गई गोल्डन कार्ड योजना का पर्याप्त लाभ दिलाए जाने में कोई तत्परता व गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। विगत कई समय से गोल्डन कार्ड की योजना के नाम पर प्रतिमाह अंशदान की कटौती की जो बंदरबांट व लूट राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण में की जा रही है, वह किसी से छुपी नहीं है। कर्मचारियों के इस पैसे से आयुष्मान योजना को संचालित किए जाने का आरोप महासंघ लगाता रहा है जो स्वास्थ्य मंत्री की नीति व दिशा निर्देश पुख्ता करने के लिए काफी है।

विगत 1 सप्ताह पूर्व महासंघ द्वारा राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण पर किए गए घेराव व एक दिवसीय धरना प्रदर्शन के बाद अध्यक्ष स्वास्थ्य प्राधिकरण से की गई लंबी वार्ता के बाद तथा इस आश्वासन पर जल्दी ही स्वास्थ्य मंत्री के स्तर पर त्रिस्तरीय बैठक की जाएगी, उसके विपरीत एक महीने की समिति बनाकर प्रदेश के कर्मचारियों, शिक्षकों व पेंशनर्स के साथ भद्दा मजाक किया गया है तथा कर्मचारियों के प्रति स्वास्थ्य मंत्री कितने गंभीर हैं, यह सिद्ध हुआ है।

महासंघ के अध्यक्ष द्वारा आरोप लगाया गया है कि घेराव कार्यक्रम के दिन तक राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण, जो इस गोल्डन कार्ड की योजना हेतु पूर्ण रूप से अधिकृत किया गया है, के पास न तो सूचीबद्ध चिकित्सालयों की कोई सूची उपलब्ध थी और न ही सीजीएचएस के रेट ही मौके पर उपलब्ध थे, अब तक जो भी परीक्षण इत्यादि किया जा रहा है उसके संबंध में बताया गया है कि हमारे पास पूरे राज्य में सीजीएचएस की रेट के आधार पर परीक्षण व प्रति हस्ताक्षर हेतु कोई विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं है।

महासंघ द्वारा बडा आरोप लगाया गया कि आयुष्मान योजना, जो निशुल्क योजना है, की दरो के आधार पर ही कार्मिको शिक्षकों व पेंशनर्स के चिकित्सा दावों के परीक्षण इत्यादि चल रहे हैं तथा कर्मचारी पेंशनर्स के चिकित्सा बिल की प्रतिपूर्ति पर संबंधित कार्य को निरंतर अंशदान की कटौती के उपरांत भी पर्याप्त लाभ से वंचित किया जा रहा है तथा इस एवज में जो आंकड़े दिखाए गए हैं, वह बिल्कुल बेबुनियाद व भ्रामक है। यदि वाकई में जो आंकड़े दिखाए गए हैं वह सत्य होते तो इस प्रदेश का कर्मचारी शिक्षक पेंशनर्स क्या सड़कों पर इस तरह होता और इस योजना के खिलाफ धरना प्रदर्शन करता।

राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की स्थापना चिकित्सा दावों की प्रतिपूर्ति मात्र के लिए है, वह परीक्षण इत्यादि का कार्य भी कर रहा है तथा अपनी अधिकारिता क्षेत्र से बाहर जाकर भुगतान करने के बजाए प्रति हस्ताक्षरित व संस्तुत धनराशि पर अनावश्यक आपत्ति लगाकर बिलों को लटकाने का काम विगत कई समय से कर रहा है।

महासंघ द्वारा आज इस संबंध में तीखी प्रतिक्रिया देते हुए स्वास्थ्य मंत्री की कर्मचारियों के प्रति दोहरे मापदंड की नीति पर असंतोष व्यक्त करते हुए स्वास्थ्य मंत्री के स्तर पर गोल्डन कार्ड के नाम पर की जा रही उपेक्षा पूर्ण कार्यवाही के इस चूहे बिल्ली के खेल को बंद करने की मांग की गई है तथा यह मांग प्रमुखता से की गई है कि यदि राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण इस योजना को सही प्रकार से संचालित करने में सक्षम नहीं हो पा रहा है तो 1 जनवरी 2021 से अनवरत रूप से अब तक जमा कर्मचारी शिक्षकों पेंशनर्स के प्रतिमाह के अंशदान की धनराशि, जो प्रतिमाह 15 से 17 करोड़ के हिसाब से अब तक 250 से 300 करोड़ के मध्य बैठती है, इस बड़ी पूंजी का दुरुपयोग करने वाले राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के सीईओ व अध्यक्ष की कार्यप्रणाली की जांच कराते हुए इस प्राधिकरण को भंग कर कर्मचारियों के एक एक पैसे का हिसाब संपूर्ण विवरण सहित पब्लिक डोमिन में प्रदर्शित किया जाए तथा कर्मचारियों के विगत डेढ़ वर्ष के इस पैसे की तत्काल वापसी कराते हुए इस व्यवस्था को धरातल पर कार्मिक शिक्षकों पेंशनर्स की भावनाओं के अनुरूप क्रियान्वित कराए जाने तक अंशदान की कटौती को तत्काल बंद किया जाए।

साथ ही विगत लंबे समय से राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की लचर कार्यप्रणाली से लंबित कार्मिकों शिक्षकों पेंशनर्स व उनके परिवार के सदस्यों के चिकित्सा दावों की प्रतिपूर्ति हेतु समानांतर वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में चिकित्सा प्रतिपूर्ति की पूर्व व्यवस्था को तत्काल लागू कराया जाए, अन्यथा की स्थिति में यह समझा जायेगा कि राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की इस लचर कार्यप्रणाली पर स्वास्थ्य मंत्री की भी मौन स्वीकृति है जिनका ध्यान कार्मिक शिक्षक पेंशनरों व उनके आश्रितों की इस गंभीर योजना पर न होकर मात्र आयुष्मान योजना के क्रियान्वयन पर है।

ताजा जानकारी के मुताबिक महासंघ द्वारा तय किया गया है कि 16 अगस्त 2022 को अपराहन 3:00 बजे पूर्व निर्धारित बैठक के अनुरूप अध्यक्ष स्वास्थ्य प्राधिकरण के साथ 1 सप्ताह पूर्व हुई वार्ता के निष्कर्ष की समीक्षा की जाएगी तथा अपेक्षा अनुरूप कार्रवाई ना होने पर स्वास्थ्य मंत्री के इस निर्णय के विरुद्ध जल्दी ही कोई बड़ा कदम महासंघ अपनी कार्यकारिणी बैठक करके लेगा, जिसमें स्वास्थ्य मंत्री की 1 माह की समिति के इस योजना को लटकाने के विरुद्ध आक्रोश व्यक्त किया जाएगा।

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