न्यूज़ 360

सुकून वाली खबर: 20 सितंबर को उत्तराखंड ने कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर छुआ 1 करोड़ का माइलस्टोन, 93 फीसदी लोगों को लग चुकी सिंगल डोज, तीन जिलों में सौ फीसदी वैक्सीनेशन

Share now

देहरादून: देश के साथ उत्तराखंड में भी 16 जनवरी से शुरू हुआ कोरोना टीकाकरण अभियान 20 सितंबर आते-आते यानी पिछले 248 दिनों में राज्य में एक करोड़ वैक्सीन डोज के माइलस्टोन को पार कर चुका है। जाहिर है कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनज़र यह खबर थोड़ा सुकून देने वाली तो ज़रूर है ही, साथ यह भरोसा भी दे रही कि अगले तीन से चार महीनों में टीकाकरण अभियान की रफ्तार बरक़रार रही तो राज्य की शत-प्रतिशत आबादी तक डबल डोज के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा।

राज्य की 18 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के वैक्सीन लेने योग्य 93 फीसदी आबादी को कोरोना का सिंगल डोज लग चुका है। जबकि चमोली, रुद्रप्रयाग और बागेश्वर में शत-प्रतिशत लोगों को पहली डोज मिल चुकी है।


यह आंकड़ा इसलिए भी अहम हो जाता है जब इसकी तुलना राष्ट्रीय औसत से की जाती है। एक अनुमान के अनुसार देश में 63 फीसदी लोगों को पहली डोज लग चुकी है जबकि उत्तराखंड में वैक्सीनेशन का आंकड़ा राष्ट्रीय औसत से 29.6 फीसदी ज्यादा है। जबकि राज्य में दूसरी डोज भी राष्ट्रीय औसत के मुकाबले 21.4 फीसदी अधिक है। उत्तराखंड में 35.1 फीसदी लोगों का डबल डोज वैक्सीनेशन हो चुका है। धामी सरकार ने 31 दिसंबर 2021 तक सबको डबल डोज लगाने का टारगेट रखा है।


पिछले साल कोरोना महामारी की दस्तक के बाद से लगातार कोविड डेटा का विश्लेषण कर रहे देहरादून स्थित एसडीसी फ़ाउन्डेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल इसे ऐतिहासिक क्षण मानते हुए राज्य के आम लोगों से अपील कर रहे हैं कि

चारधाम यात्रा और आगामी त्यौहारी सीजन को देखते हुए पूरी शिद्दत से कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर जारी रखना होगा। नौटियाल ने कहा कि जिस रफ्तार से टीकाकरण हो रहा है उसे देखकर कहा जा सकता है कि दिसंबर आखिरी तक सबको डबल डोज के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। अनूप नौटियाल ने इस मौके पर धामी सरकार व स्वास्थ्य महकमे की प्रशंसा करते अपील की है कि वैक्सीनेशन अच्छा चल रहा इसे लेकर सबको बधाई लेकिन पिछले कुछ महीनों से कोविड टेस्टिंग 50 फीसदी तक कम हो रही है उस और ध्यान देने की सख्त दरकार है।

Show More

The News Adda

The News अड्डा एक प्रयास है बिना किसी पूर्वाग्रह के बेबाक़ी से ख़बर को ख़बर की तरह कहने का आख़िर खबर जब किसी के लिये अचार और किसी के सामने लाचार बनती दिखे तब कोई तो अड्डा हो जहां से ख़बर का सही रास्ता भी दिखे और विमर्श का मज़बूत मंच भी मिले. आख़िर ख़बर ही जीवन है.

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!