Dehradun News: एक समय मौके बेमौके मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तारीफों के पुल बांधने से नहीं हिचक रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आजकल अपने “अनुज” से “आहत” नजर आ रहे हैं! अगर ऐसा नहीं होता तो भला वे सीधे सीधे युवा मुख्यमंत्री को झूठ, सफेद झूठ बोलने वाला क्यों करार देते! दरअसल हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद उत्तराखंड की सियासत में चर्चा शुरू हो गई है कि क्या कांग्रेस “मुस्लिम यूनिवर्सिटी” प्रकरण के चलते साल के शुरू में कांग्रेस बीजेपी के हाथों शिकस्त खा बैठी।
मुस्लिम यूनिवर्सिटी प्रकरण को लेकर हरीश रावत अपने तरीके से पक्ष रख रहे हैं और बीजेपी को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। अब हरदा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कांग्रेस के सत्ता में आने पर मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने संबंधी रावत के वादे वाले बयान को सफेद झूठ करार दिया है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने आरोप लगाया है कि यह सरासर झूठ है और भाजपा को बार बार चुनौती देने के बावजूद वे ऐसा बयान देने संबंधी साक्ष्य सार्वजनिक नहीं कर पाई है।
हरीश रावत ने दो दिन पहले आजतक एजेंडा मंच से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा उत्तराखंड में 2014-15 से भर्ती घोटाले होने वाले बयान पर भी पलटवार किया है। रावत ने दावा किया है कि 2016 में गड़बड़ी की जानकारी मिलने के बाद हमने आयोग के चेयरमैन को हटाया और एसआईटी बनाई। हरीश रावत ने बीजेपी के नेता रहे हाकम सिंह रावत के UKSSSC पेपर लीक कांड का मास्टरमाइंड निकलने के बहाने सत्ताधारी दल को आईना दिखाने की कोशिश की है। रावत ने कहा,”यदि मुख्यमंत्री जी आप हम पर कीचड़ उछाल रहे हैं तो जरा यह जो इतना बड़ा सना हुआ गंदा कीचड़ आपके भाजपा की कमीज पर लगा हुआ है, तो जरा उसकी सफाई तो दे दीजिये।”
यहां पढ़िए हरदा ने क्या क्या कहा है:
मुख्यमंत्री बहुत आदरणीय होते हैं और यदि उम्र में छोटे हैं तो प्रिय भी होते हैं। प्रिय, आदरणीय मुख्यमंत्री के लिए झूठ बोलते हैं “शब्द” का प्रयोग बड़े भारी मन से कर रहा हूं। यह दूसरी बार झूठ नहीं, सफेद झूठ बोल रहे हैं। पहला झूठ सत्ता के लिए बोला कहा कि हरीश रावत ने सत्ता में आने के बाद मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने का बयान दिया है। जबकि यह सरासर झूठ था और मेरी बार-बार चुनौती देने के बाद भी भाजपा ऐसा बयान देने का साक्ष्य सार्वजनिक रूप से नहीं दे पाई है।
अब दूसरा उतना ही बड़ा झूठ कि सरकारी नौकरियों में भर्ती में घोटाले वर्ष 2014-15 से हो रहे थे, यह भी सरासर झूठ है। 2016 में एक गड़बड़ी की जानकारी मिली तो हमने उस पर कार्यवाही की। भर्ती आयोग के चेयरमैन को हटाया और मामले की जांच हेतु एसआईटी का गठन किया।
हां यह सत्य है कि घोटाले का मास्टरमाइंड एक भाजपाई निकला, अब उसके खिलाफ FIR दर्ज हुई और उसका बाद में मामला रफा-दफा कर दिया गया है, FIR के समझौते के नाम पर रद्द कर दिया गया तो यह कौन व्यक्ति था निश्चित तौर पर कोई तो भाजपाई होगा! क्योंकि उस समय हमारी सरकार तो थी नहीं, जिसने समझौता करवाया होगा और मामले को रफा-दफा किया होगा। यदि हाकम सिंह उसी समय जेल चला जाता तो शायद घोटाले का जो स्वरूप आज दिखाई दे रहा है, वह स्वरूप नहीं दिखाई देता।
फिर एक हाकम सिंह नहीं, हाकम सिंह से लेकर घोटाले के हर विशेषज्ञ, चाहे वह यूपी का विशेषज्ञ हो, चाहे वह रामनगर के विशेषज्ञ हो और तो छोड़ो अब लेटेस्ट एक पहलवान और सामने आया है रितेश के नाम से, वह घोटालेबाज हो नौकरियों पर घोटाला करने वाला, यह सब लोगों के संबंध कहीं न कहीं भाजपा से ही क्यों निकल रहे हैं? यदि मुख्यमंत्री जी आप हम पर कीचड़ उछाल रहे हैं तो जरा यह जो इतना बड़ा सना हुआ गंदा कीचड़ आपके भाजपा की कमीज पर लगा हुआ है, तो जरा उसकी सफाई तो दे दीजिये।
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