न्यूज़ 360

आखिर हरदा ने क्यों कहा- कांग्रेस राज में पर्यावरणविद थे अत्यधिक जागरूक, अब मोदीकाल में सम्मोहन स्थिति में

Share now

Avalanche in Uttarkashi and questions raised by Harish Rawat: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित उच्च हिमालयी क्षेत्र द्रौपदी का डांडा पर्वत चोटी में हिमस्खलन के चपेट में आने से 29 पर्वतारोहियों को मौत हो गई। अब तक 26 शव बरामद कर लिए गए हैं जबकि तीन शवों की तलाश है। मौसम खराबी के बावजूद रेस्क्यू अभियान दल लगातार अपने टास्क में लगा हुआ है। माना जा रहा है कि शनिवार को शायद बाकी शव भी बरामद कर लिए जाएं। अब किसी लापता पर्वतारोही के जीवित होने की आस बहुत कम बची है।


दरअसल, द्रौपदी का डांडा पर्वत चोटियों पर ट्रेनिंग के उद्देश्य से गया नेहरू पर्वतारोहण संस्थान का दल डोकरानी बामक ग्लेशियर में आए एवलांच की चपेट में आ गया था जिसके बाद दल के 29 पर्वतारोही लापता हो गए थे। इस घटना के बाद उत्तरकाशी ही नहीं बल्कि पूरे उत्तराखंड गमगीन माहौल है।

अब उत्तरकाशी जिले में हुई इस हिमस्खलन (Avalanche in Uttarkashi) की घटना के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कुछ सवाल उठाए हैं। पूर्व सीएम हरदा ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कहा है कि कांग्रेस शासनकाल में पर्यावरणविद बड़े जागरूक दिखते थे लेकिन अब लगता है कि मोदी शासनकाल में वे भी सम्मोहित हो चुके हैं। दरअसल पर्यावरणविदों को निशाने पर लेने से पहले हरीश रावत ने पिछले कुछ दिनों में हिमालय की तरफ से मिल रहे संकेतों का जिक्र करते हुए न केवल सरकार बल्कि पर्यावरणविदों को भी लपेटा है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने चारधाम रोड प्रोजेक्ट को लेकर मोदी धामी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकारों ने इस प्रोजेक्ट को ‘पहाड़ काटो पैसा बनाओ’ अभियान में बदल डाला है और रेल, रोड, टनल और अंडरग्राउंड पार्किंग के नाम पर विस्फोटकों से ब्लास्टिंग की जा रही है लेकिन प्रकृति द्वारा दिए जा रहे संकेतों को अनसुना और अनदेखा किया जा रहा है।


हरदा ने कहा कि केदारनाथ क्षेत्र में चौराबाड़ी ग्लेशियर में जिस तरह से तीन बार अवलांच आया है, भूस्खलन बढ़ा है और ग्लेशियर टूट रहे हैं ये असामान्य संकेत हैं जिनको लेकर सतर्क होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अक्टूबर में मूसलाधार बारिश भी असामान्य जान पड़ रही है।

यहां पढ़िए पूर्व सीएम हरीश रावत ने क्या कहा हुबहू

द्रोपदी_डांडा एक ऐसा सब पीक है, जहां माउंटेनियरिंग के एडवांस ट्रेनीज को ट्रेनिंग दी जाती है और वर्षों से यह काम होता आया है। इस बार जो एवलांच वहां आया वह एक दुर्भाग्यपूर्ण अपवाद है। जिसने कई होनहार प्रशिक्षकों को ही नहीं बल्कि प्रशिक्षक गणों को भी जिनमें एवरेस्ट की बहुत कम समय में विजय हासिल करने वाली सविता जैसी ट्रेनीज से लेकर और ट्रेनीज भी हैं, उनको निम, उत्तराखंड और देश ने खो दिया है। केदारनाथ जी के चौराबाड़ी क्षेत्र में भी 3 बार इस तरीके का एवलांच आ चुका है, और भी क्षेत्रों से इस तरीके की सूचनाएं आ रही हैं। एक असामान्य डेवलपमेंट है और असामान्य डेवलपमेंट तो अक्टूबर में हो रही मूसलाधार बारिश भी है। कई स्थानों पर ऐसी मूसलाधार बारिश हो रही है, जो सावन, भादो की झड़ी को माफ कर दे रही हैं। जलवायु परिवर्तन, उत्तराखंड के लिए एक बड़ी चुनौती हैं, क्योंकि हम नए हिमालय हैं। अभी यहां के पहाड़ स्थिर नहीं हुए हैं। हिमाचल और दूसरे हिमालयी क्षेत्रों की तुलना में हम नए हैं और इसलिए भूस्खलन आदि की घटनाएं बहुत हो रही हैं। ग्लेशियर टूटने की घटनाएं निरंतर बढ़ रही हैं। विकास हमारी आकांक्षा है। मगर जिस प्रकार से चारधाम यात्रा सुधार मार्ग को केंद्र और राज्य सरकार ने “पहाड़ काटो-पैसा बनाओ” अभियान में बदल दिया है और अब जिन स्थानों पर टनल की डीपीआर नहीं भी है, चाहे वह रेलवेज हो या नेशनल हाईवे अथॉरिटी हो, वहां टनल बनाई जा रही हैं। अंडर ग्राउंड पार्किंग के लिए भी कहा जा रहा है कि हम टनल का सहारा लेंगे। विस्फोटक पदार्थों का बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है। प्रकृति चेतावनी दे रही है, हम कहीं उसको अनसुना करके गलती तो नहीं कर रहे हैं, इस पर एक विहंगम विचार की आवश्यकता है। कांग्रेस के शासनकाल में पर्यावरणविद अत्यधिक जागरूक थे। लेकिन मोदी जी के कार्यकाल में वह भी सम्मोहित स्थिति में हैं।

uttarakhand

Show More

The News Adda

The News अड्डा एक प्रयास है बिना किसी पूर्वाग्रह के बेबाक़ी से ख़बर को ख़बर की तरह कहने का आख़िर खबर जब किसी के लिये अचार और किसी के सामने लाचार बनती दिखे तब कोई तो अड्डा हो जहां से ख़बर का सही रास्ता भी दिखे और विमर्श का मज़बूत मंच भी मिले. आख़िर ख़बर ही जीवन है.

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!