Uttarakhand News: एक तरफ खुद युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रदेश में चले आ रहे भर्ती भ्रष्टाचार पर करारी चोट के साथ जीरो टॉलरेंस का दम भर रहे और दूसरी तरफ हल्द्वानी स्थित उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में अरसे से भर्तियों में जमकर भ्रष्टाचार होने के आरोप लग रहे हैं। एक बार फिर आरोपों के कटघरे में उच्च शिक्षा विभाग से लेकर मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो ओपीएस नेगी खड़े हैं।
राज्य आंदोलनकारी और सीपीआई(एमएल) के प्रदेश सचिव इन्द्रेश मैखुरी ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर मुक्त विश्वविद्यालय में मचे भ्रष्टाचार पर की जांच को एसआईटी गठित करने की मांग की है। इन्द्रेश मैखुरी ने सीएम को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के दागी वाइस चांसलर को तीसरी बार पद पर बनाए रखने के लिए राज्य सरकार कुलपतियों के पद पर बने रहने की आयु को 65 से बढ़ाकर 70 वर्ष करने जा रही है।
मैखुरी ने मुख्यमंत्री को श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय कुलपति नियुक्ति प्रकरण की याद दिलाते हुए कहा है कि दोबारा ऐसा ही प्रयास करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा है कि ऐसी कोशिशें देखकर लगता है कि उत्तराखंड के विश्वविद्यालयों की तबाही का इंतजाम किया जा रहा है।
इन्द्रेश मैखुरी ने युवा सीएम को सरकारी नौकरी पाने को लेकर हुए घोटालों पर जीरो टॉलरेंस का रुख अपनाने के मुख्यमंत्री के दावे की याद दिलाते हुए कहा है कि वर्ष 2021 में तत्कालीन राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि उनकी जानकारी के बिना करीब 56 नियुक्तियां कर दी गई थी और इनमें हुई गड़बड़ी खुद उत्तराखंड सरकार के ऑडिट में पकड़ी गई थी। मैखुरी ने सीधे सीधे कहा है कि उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में जब जब भर्तियों में घोटाले की बात उठी, आरोप और उंगलियां कुलपति प्रो ओपीएस नेगी पर उठे हैं।
सीएम को लिखे पत्र में इन्द्रेश मैखुरी ने कहा है कि कुलपति प्रो ओपीएस नेगी पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने प्रोफेसरों की नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर से छेड़छाड़ की और एससी, एसटी तथा ओबीसी आरक्षण में मनमाने ढंग से छेड़छाड़ की। यह केस फिलहाल नैनीताल हाई कोर्ट में विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि प्रो नेगी द्वारा की गई नियुक्तियों में राज्य की महिलाओं को मिलने वाला 30 प्रतिशत आरक्षण का भी लागू नहीं किया।
इन्द्रेश मैखुरी ने कहा कि होना तो यह चाहिए था कि जिस व्यक्ति के कार्यकाल में की गई नियुक्तियों के भ्रष्टाचार का जिक्र जब राज्य सरकार का ऑडिट विभाग ही कर रहा और तत्कालीन राज्यपाल तक ने माना कि उनकी जानकारी के बिना नियुक्तियां हुई, ऐसे व्यक्ति के खिलाफ जांच कराकर एक्शन हो लेकिन जाने क्यों जांच की आंच की बजाय उनको दूसरी बार कुलपति नियुक्त कर दिया गया! और अब जब उनके कार्यकाल के दो महीने बचे हैं तब चर्चा है कि उनको तीसरी बार मुक्त विश्वविद्यालय का कुलपति बनाने के लिए कुलपतियों की रिटायरमेंट उम्र ही बढ़ाकर 70 वर्ष करने की तैयारी कर रही है।
इन्द्रेश मैखुरी ने सीधे सीधे कहा कि अगर अपनी ही विचारधारा के लोगों को वीसी बनाना है तब भी कम से कम भर्ती भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप झेल रहे व्यक्ति से तो तौबा की ही जा सकती है!
मैखुरी ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि कम से कम उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय को भ्रष्टाचार और मनमानी के अड्डे में तब्दील करने वाले शख्स को तो दोबारा पद पर बिठाने के लिए आयु सीमा बढ़ाने जैसा विशेष प्रयास तो कम से कम नहीं ही किया जाना चाहिए।
मैखुरी ने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे व्यक्ति के लिए किसी भी हद तक जाने को अगर सरकार तैयार दिखता है, तो आशंका पैदा होती है कि कोई संदिग्ध गठजोड़ बना हुआ है। उन्होंने मांग की है कि कुलपति की रिटायरमेंट आयु सीमा बढ़ाने की बजाय उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो ओपीएस नेगी के अब तक के कार्यकाल की जांच को लेकर एसआईटी का गठन किया जाए और भ्रष्टाचार की पुष्टि होने पर उनसे आर्थिक वसूली भी की जाए।
सवाल है कि जब युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भर्ती भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति का दावा कर रहे, तब क्या उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत के विभाग पर लग रहे इन भर्ती भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों की जांच कराकर दूध का दूध और पानी का पानी नही होना चाहिए?
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय सालों से इन आरोपों की जद में है और डॉ धन सिंह रावत के उच्च शिक्षा विभाग में काबिज रहते ऐसे आरोप थमने की बजाय समय के साथ और जोर पकड़ते जा रहे हैं। सवाल है कि क्या जांच हो भी पाएगी,वो भी धन दा के बेहद करीबियों में शुमार वीसी प्रो ओपीएस नेगी के गिरेबान तक जांच की आंच पहुंच भी पाएगी?