देहरादून: उत्तरप्रदेश चुनाव में कैराना से लेकर पाकिस्तान और जिन्ना का ज़िक्र जमकर हो रहा है। लेकिन उत्तराखंड में भी सत्ताधारी भाजपा डबल इंजन सरकार के विकास कार्यों पर कम और मुस्लिम यूनिवर्सिटी से लेकर हरीश रावत पर आईटी सेल हमले से वोट बंटोरने पर ज्यादा भरोसा कर रही है। भाजपा नेताओं की जुबान भी हरीश रावत और कांग्रेस नेताओं पर हमला बोलते फिसल रही है।
प्रदेश नेताओं से लेकर स्टार प्रचारक के तौर पर उत्तराखंड पहुंच रहे केन्द्रीय नेताओं में कोई राहुल गांधी की मानसिक आयु 6 वर्ष बता रहा तो कोई हरीश रावत का राजनीतिक वध करने का दम भर रहा। कोई लालकुआं जहां से हरीश रावत चुनाव लड़ रहे उसे उनके लिए मौत का कुआं करार दे रहा, तो कोई उनका राजनीतिक इंतक़ाल कर आत्मा का तर्पण कर रहा। आखिर भाजपा डबल इंजन सरकार के विकास के एजेंडे को छोड़कर जुबानी फिसलन का शिकार क्यों हो रही? क्या भाजपा नेताओं की उखड़ती जुबान पार्टी के सत्ता से पांव उखड़ने का संकेत दे रही है?
सबसे पहले पूर्व सीएम विजय बहुगुणा ने हरदा को रामनगर से लालकुआं भेजने पर कहा कि लालकुआं हरीश रावत के लिए राजनीतिक मौत का कुआं साबित होगा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने भी इसी अंदाज में कहा कि कांग्रेस ने हरीश रावत को मौत के कुएं में धकेल दिया है। किच्छा में 2017 में हरीश रावत को चुनावी शिकस्त देने वाले विधायक राजेश शुक्ला ने तो एक कदम और आगे बढ़कर हरीश रावत का राजनीतिक इंतक़ाल करा दिया है। भाजपा विधायक ने कहा कि 2017 में हरीश रावत का किच्छा में इंतक़ाल हो गया था अब उनकी आत्मा भटक कर लालकुआं पहुंच गई है, जहां अब उनकी आत्मा का तर्पण होने वाला है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक टीवी इंटरव्यू में हरीश रावत के राजनीतिक वध करने को लेकर बयान दिया है।
मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर भाजपा ने सोशल मीडिया में अपने आधिकारिक पेज पर हरीश रावत की एडिटेड फोटो पोस्ट की जिस पर चुनाव आयोग नोटिस थमा चुका है। लेकिन भाजपा नेताओं की जुबान फिसलने का मामला सिर्फ प्रदेश नेताओं तक ही सीमित नहीं है बल्कि केन्द्र की तरफ से भेजे जा रहे स्टार प्रचारकों की जुबान भी खूब फिसल रही। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राहुल गांधी पर हमला बोलते कहा है कि उनकी मानसिक उम्र अभी भी 6 साल के बच्चे की है
सवाल है कि आखिर भाजपा नेताओं की जुबान पर डबल इंजन सरकार की उपलब्धियों का बखान क्यों नहीं हो पा रहा? क्या डबल इंजन सरकार का संदेश देकर चुनाव जीतने की आस टूट रही है? क्या सत्ता से पांव उखड़ते देख भाजपा नेताओं की जुबान भी पटरी से उखड़ रही है?