
Uttarakhand News: नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार उत्तराखंड में न केवल पंचायती राज संस्थाओं को कमजोर कर रही है बल्कि पंचायत राज अधिनियम का दुरुप्रयोग कर कांग्रेस के चुने हुए पंचायत प्रतिनिधियों को परेशान करने के उद्देश्य से उन्हें पदों से हटा रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि 2022 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही सत्ता का दुरुप्रयोग कर कांग्रेस के चुने हुए खटीमा के ब्लॉक प्रमुख को पद से हटाया गया। उसके बाद उत्तरकाशी के जिला पंचायत अध्यक्ष और फिर चमोली की जिला पंचायत अध्यक्ष को हटाया गया और अब हाल में बागेश्वर के जिला पंचायत सदस्य को पद से हटा दिया है।
नेता प्रतिपक्ष आर्य ने कहा कि सरकार के पद से हटाने के अधिकांश आदेशों को उच्च न्यायालय ने पलट दिया है जिससे ये सिद्ध होता है कि राज्य सरकार ने ये निर्णय पंचायत राज अधिनियम की भावनाओं के विपरीत सत्ता के अहंकार में लिए थे।
यशपाल आर्य ने कहा कि हाल ही में बागेश्वर जिले के पूर्व ज़िला पंचायत अध्यक्ष और वर्तमान जिला पंचायत सदस्य हरीश ऐठानी की सदस्यता को समाप्त कर यह सिद्ध किया है कि भाजपा विपक्षी दलों के चुने हुए प्रतिनिधियों की सदस्यता समाप्त करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।
उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि हरीश ऐठानी की सदस्यता 2017 की एक शिकायत के आधार पर समाप्त की गई है, तब वे जिला पंचायत बागेश्वर के अध्यक्ष थे।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपनी सरकार के इस निर्णय पर फिर से विचार करना चाहिए। आर्य ने कहा कि बदले की भावना सरकार और राज्य के लिए उचित नहीं है। उन्होंने कहा,” मुझे भरोसा है कि उत्तरकाशी और चमोली के जिला पंचायत अध्यक्षों की तरह हरीश ऐठानी की भी उच्च न्यायालय में जीत होगी।”