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लव जिहाद पर ये क्या बोल गए हरदा..केवल जिहाद शब्द का उद्घोष करने के अलावा!!

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Uttarakhand News: 26 मई को उत्तरकाशी जिले के पुरोला में एक मुस्लिम लड़के द्वारा हिंदू नाबालिग लड़की को भगाने का मामला उजागर होने के बाद लव जिहाद पर मचा बवाल थमता नहीं दिख रहा है। हिन्दू संगठनों ने 15 जून को पुरोला में महापंचायत बुलाई है तो उसके जवाब में मुस्लिम संगठनों ने 18 जून को देहरादून में महा पंचायत बुला ली है। बीजेपी और कांग्रेस में इस मुद्दे पर सियासी जंग भी छिड़ी हुई है और अब पूर्व सीएम हरीश रावत भी इसमें कूद पड़े हैं। हरदा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कुछ सवाल उठाए हैं।

यहां पढ़िए हुबहू पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने क्या क्या कहा ?

पुरोला, बड़कोट, उत्तरकाशी से आ रही सूचनाएं चिंताजनक हैं! हम एक ऐसे राज्य हैं जिसकी लगभग 40 प्रतिशत आबादी देश और दुनिया में, राष्ट्र और समाज सेवा में संलग्न है। हमारी ऊंची सोच की सर्वत्र प्रशंसा होती है। हमें कोई संकीर्ण समझे ऐसा हम में से कोई नहीं चाहेगा! एक लड़की को भगाने का पहला प्रसंग जिसके बाद वातावरण में गुस्सा और उत्तेजना आई है, वह स्वाभाविक है,उस घटना में अपराध करते हुए जो दो लोग पकड़े गए उसमें से एक हिंदू भी है, अब जिन लोगों को इस घटनाक्रम के बाद दुकानें और व्यवसाय बंद करने के लिए बाध्य किया गया है उनके विषय में बताया गया है कि ये लोग 40-50 वर्ष से इन क्षेत्रों में व्यवसाय कर रहे हैं और उन्हीं क्षेत्रों के भाषा-बोली, खान-पान, पहनावे को अपना चुके हैं। ये लोग जब इन क्षेत्रों में बसे तब तक “लव जिहाद या लैंड जिहाद” शब्द का धरती पर अवतरण नहीं हुआ था। मुझे बताया गया है कि जिन लोगों को दुकान बंद करने के लिए बाध्य किया गया है उनमें से कुछ लोग सत्तारूढ़ दल के प्रदेश और जिला स्तर के पदाधिकारी हैं, उनके लिए लव जिहाद या उसके मददगार का तमगा हमेशा कष्ट साध्य रहेगा और सत्तारूढ़ दल के लिए भी उनका बचाव करना कठिन होगा। प्रश्न यह है कि इन सीमांत क्षेत्रों में बिना उचित जांच-पड़ताल के कैसे ऐसे लोग पहुंच जा रहे हैं जिनके अपराध के कारण सबके लिए चिंताजनक स्थिति खड़ी हुई है। राज्य के दूर दराज के आधे से अधिक गांवों में राज्य से बाहर के लोग बड़े पैमाने पर जमीनें खरीद चुके हैं, वन्नतरा जैसे कई रिजॉर्ट दूर-दराज के गांवों में भी अस्तित्व में आ चुके हैं। जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के पास ऐसे रिजॉर्ट्स आदि की कोई सूचना उपलब्ध नहीं है, सतत निगरानी का तो प्रश्न ही पैदा नहीं होता है। इस अंकिता हत्याकांड के बावजूद सरकार इसे लैंड जिहाद का हिस्सा मानती भी है या नहीं, या सरकार की नजर में इस तरीके की अनियंत्रित खरीद-फरोख्तों से सीमांत क्षेत्रों में सांस्कृतिक व डेमोग्राफिक बदलाव आने का खतरा है या नहीं है!! यह भी मुख्यमंत्री जी को स्पष्ट करना चाहिए, माननीय मुख्यमंत्री जी, राज्य की समग्रता के संरक्षक होते हैं, उनके बयानों से एक राजनीतिक जिहादी का आभास नहीं जाना चाहिए। समस्या है तो समाधान भी माननीय मुख्यमंत्री को ही निकालना पड़ेगा, जिन लोगों को अपने आवास और व्यवसाय छोड़ने पड़ रहे हैं यह इस राज्य के निवासी हैं या नहीं उनको संरक्षण और न्याय कौन देगा ? वो और उनके साथी बार-बार इस प्रश्न पर विपक्ष को घेरने की कोशिश करने के बजाए यदि इस समस्या के समाधान के लिए एक सर्वपक्षीय सोच बनाकर काम करें तो अधिक अच्छा होगा। जब ये प्रकरण हुए थे तो मैं उम्मीद कर रहा था कि तहसील और ब्लॉक स्तर पर सतर्कता समितियों के साथ-साथ सद्भाव समितियां भी गठित होंगी और यहां तो ये लग रहा है कि उत्तराखंड के सम्मुख रोजगार, महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य की गिरावट, कुपोषण, महिला उत्पीडन की घटनाओं की वृद्धि, राज्य में व्याप्त जल और विद्युत संकट जैसे कोई सवाल हैं ही नहीं, केवल जिहाद शब्द का उद्घोष करने के अलावा!!

uttarakhand

Pushkar Singh Dhami #BJP4UK #Congress
Indian National Congress Uttarakhand

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