दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी की ‘ड्रीम टीम’ 7 जुलाई को शपथ लेने के अगले दिन ही एक्शन में आ गई। मोदी मंत्रिपरिषद की गुरुवार को हुई पहली बैठक में प्रधानमंत्री ने भी कामकाज को लेकर अपनी ‘ड्रीम टीम’ को कामकाज का मंत्र दे दिया है। नए मंत्रियों और जिनको प्रमोट कर नए विभाग दिए गए हैं, उनके लिए आगामी संसद सत्र को लेकर तैयारी करना काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है। मोदी ने नए मंत्रियों को मीडिया में बेवजह बयानबाज़ी से बचने और पूर्ववर्ती मंत्रियों के अनुभवों से सीखने की नसीहत दी है। मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि जिन मंत्रियों को हटाया गया वह उनकी क्षमता नहीं बल्कि व्यवस्था के तहत हटाया गया है।
किसने फ़ोन कर मांगे थे मंत्रियों से इस्तीफे ?
प्रधानमंत्री मोदी ने जिन 12 मंत्रियों को अपनी टीम से ड्रॉप किया था आखिर उनके इस्तीफे मांगने की पटकथा कैसे लिखी गई और किसने फोन कर इसे अंजाम दिया, ये सवाल बहुतों के ज़ेहन में था लेकिन अब इसका जवाब मिल गया है। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने इन 12 मंत्रियों को इस्तीफा देने की सूचना पहुँचाने का ज़िम्मा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंपा था। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि जेपी नड्डा ने 7 जुलाई की सुबह 7 से 8 बजे के मध्य हटाए जाने वाले सभी मंत्रियों को बारी-बारी फ़ोन कर PMO इस्तीफ़े भेजने को कहा।
सबसे पहले नड्डा ने जल संसाधन राज्यमंत्री क्रमवार कटारिया को फ़ोन कर इस्तीफ़ा देने को कहा। उसके बाद रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर और रमेश पोखरियाल निशंक सहित सबको नड्डा ने फ़ोन किया। ज़्यादातर मंत्रियों ने संक्षिप्त इस्तीफ़ा लिखकर प्रधानमंत्री ऑफ़िस भेज दिया। लेकिन शिक्षा मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे रहे रमेश पोखरियाल निशंक ने लंबा चौड़ा पत्र लिखकर अपनी मंत्रालय की उपलब्धियां गिनाई और अंत में स्वास्थ्य संबंधी कारण बताते हुए प्रधानमंत्री ऑफ़िस इस्तीफ़ा भेजा।