Amit Shah in Uttarakhand: केंद्रीय मंत्री अमित शाह का 13 अक्तूबर का उत्तराखंड दौरा प्रस्तावित है जिसमें वे वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत उत्तरकाशी ज़िले का दौरा करेंगे। हालाँकि गृह मंत्री का उत्तराखंड दौरा ऐसे समय हो रहा है जब केदारनाथ उपचुनाव से लेकर स्थानीय नगर निकाय चुनाव होने हैं और बदरीनाथ व मंगलौर में उपचुनाव हो चुके हैं। साथ ही डीजीपी को लेकर बने संशय पर भी गृह मंत्री के दौरे के दौरान स्पष्टता आ सकती है। फिर पुष्कर सिंह धामी मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर भी अटकलबाज़ियां के बार फिर तेज हो चली हैं। लेकिन इन सबके बावजूद केंद्रीय गृह मंत्री के उत्तरकाशी दौरे में चीन सीमा से लगे गाँवों को लेकर कोई बड़ा एलान हो सकता है। आइये जानते हैं वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम में अमित शाह क्या बड़ी घोषणा कर सकते हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री दिल्ली से देहरादून होते हुए उत्तरकाशी के हर्षिल पहुँचेंगे, जहां वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम से संबंधित विभिन्न योजनाओं के बारे में स्थानीय लोगों को जानकारी देंगे। सूत्रों की मानें तो गृह मंत्री शाह चीन सीमा के क़रीब सीमांत नेलांग और जादूंग गाँव को लेकर अहम ऐलान कर सकते हैं।
ज्ञात हो कि बहुत लंबे समय से स्थानीय लोग नेलांग और जादूंग को इनर लाइन परमिट से बाहर करने की माँग कर रहे हैं। अब शाह के दौरे में इस माँग पर सहमति मिलने की उम्मीद की जा रही है। दरअसल हाल में दोनों गाँवों में होमेस्टे निर्माण शुरू किया गया है। इनर लाइन के चलते टूरिस्टों को एसडीएम के माध्यम से परमिट लेना होता है। लेकिन अगर ये दोनों गाँव इनर लाइन से बाहर कर दिए जाएँगे तो पर्यटकों को कोई परमिट लेने की ज़रूरत नहीं होगी।
गौर हो कि 1962 के भारत – चीन युद्ध के चलते ये दोनों गाँव ख़ाली करवाए गये थे। भारत – चीन युद्ध से पूर्व इन दोनों गाँवों में 50 के आसपास परिवार बसते थे। वर्तमान में नेलांग गाँव में सेना तैनात है और जादूंग गाँव में आईटीबीपी की चौकी है। ज़ाहिर है इस लिहाज़ से वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम में आ रहे गृह मंत्री अमित शाह का दौरा बेहद अहम माना जा रहा है।
शाह का दौरा सिर्फ़ वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के चलते ही अहम नहीं बल्कि केंद्रीय गृह मंत्री देहरादून में एफ़आरआई में उत्तराखंड पुलिस महकमे के साथ हाल में लागू किए गये तीन नये क़ानूनों और साइबर अपराधों पर भी चर्चा करेंगे। साथ ही यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने को लेकर भी अमित शाह पुष्कर सिंह धामी सरकार के साथ मंथन कर सकते हैं। फिर राजनीतिक लिहाज़ से तो केदारनाथ उपचुनाव तैयारियों, बदरीनाथ व मंगलौर में हार से लेकर मंत्रिमंडल विस्तार जैसे जटिल विषयों पर भी चर्चा कर सकते हैं।